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पर्यावरण दिवस SPECIAL: कोरिया के इस पर्यावरणप्रेमी ने बंजर पहाड़ को कर दिया हराभरा - बंजर पहाड़ में हरियाली

मनेंद्रगढ़ के संजय गायकवाड़ ने राष्ट्रीय राजमार्ग- 43 से लगी बंजर पहाड़ी जमीन और सिद्धबाबा पहाड़ पर सैकड़ों पौधे लगाए हैं. ETV भारत ने बंजर पहाड़ी जमीन को हरियाली में बदल देने वाले संजय गायकवाड़ से मुलाकात की और जाना कि आखिर उन्होंने ये कैसे कर दिखाया.

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पर्यावरण प्रेमी ने बंजर पहाड़ को कर दिया हराभरा
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Published : Jun 5, 2020, 7:57 AM IST

Updated : Jun 5, 2020, 1:18 PM IST

कोरिया: पर्यावरण को बचाने का जुनून अगर किसी में देखना है, तो मनेंद्रगढ़ के संजय गायकवाड़ उसके एक अच्छे उदाहरण साबित हो सकते हैं. 5 जून को पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. ETV भारत ने बंजर पहाड़ी जमीन को हरियाली में बदल देने वाले संजय गायकवाड़ से मुलाकात की, जो कहते हैं कि अब पर्यावरण को कुछ देने का टाइम है. इतने सालों तक इंसानों ने सिर्फ लिया है. बता दें कि संजय गायकवाड़ ने अपने बलबूते पहाड़ी बंजर भूमि पर हरियाली बिखेर दी है. राष्ट्रीय राजमार्ग 43 से लगी बंजर पहाड़ी जमीन और सिद्धबाबा पहाड़ पर उनके लगाए सैकड़ों पौधे हैं. कुछ पौधे अब पेड़ बन चुके हैं. कभी बंजर और बेजार दिखने वाला ये पहाड़ आज हरा-भरा दिखने लगा है. इसका श्रेय संजय और उनकी टीम को जाता है.

बंजर पहाड़ को बनाया हराभरा

ग्रीन वैली क्लब बनाया

संजय ने सबसे पहले अकेले काम शुरू किया. रोज पौधे लेकर बंजर जमीन में लगाने लगे. जिसके बाद अपने जैसे ही पर्यावरणप्रेमियों की एक टीम तैयार की, इसका नाम रखा ग्रीन वैली क्लब. इसमें 12 सदस्य हैं. अब सब मिलकर पर्यावरण को हरा-भरा बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.

कोई सरकारी मदद नहीं

संजय गायकवाड़ ने राष्ट्रीय राजमार्ग 43 से लगी बंजर भूमि पर विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण कर यहां हरियाली ला दी. उन्होंने इसे एक उद्यान का शक्ल दिया है. संजय को जब सरकारी नर्सरी से पौधे से लेने में दिक्कतें आने लगी, तो उन्होंने अपने फार्म हाउस में खुद की नर्सरी तैयार कर ली. नर्सरी में पौधे तैयार कर वे जगह-जगह पौधारोपण कर रहे हैं. संजय ने किसी सरकारी मदद तक की अपेक्षा नहीं की.

Planting trees on the mountain
पहाड़ पर पौधे लगाते हुए

अब पर्यावरण बचाना ही इनका काम

पौधारोपण करने के बाद संजय खुद ही पौधों की देखरेख भी करते हैं. इस काम में उनका स्टाफ और उनके ग्रीन वैली क्लब के सदस्य साथ देते हैं. संजय का कहना है कि पर्यावरण के लिए काम करना अब उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है. वे रोजाना 8 से 10 घंटे पर्यावरण के लिए देते हैं.

पढ़ें: 'कीड़ों से ज्यादा इंसानों के लिए खतरनाक है पेस्टिसाइड, हर्बल कीटनाशक की जरूरत'

कार से जागरूकता

संजय ने अपनी कार पर पर्यावरण को लेकर कई स्लोगन लिखवाए हैं. वे जहां भी जाते हैं, अपनी इसी कार से जाते हैं, ताकि लोग कार में लिखे स्लोगन को पढ़ें और पर्यावरण को लेकर जागरूक हो सकें. लोग कार पर लिखे पर्यावरण के स्लोगन पढ़ते भी हैं. 60 साल के संजय की कार अब उनकी पहचान भी बन गई है.

कोरिया: पर्यावरण को बचाने का जुनून अगर किसी में देखना है, तो मनेंद्रगढ़ के संजय गायकवाड़ उसके एक अच्छे उदाहरण साबित हो सकते हैं. 5 जून को पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. ETV भारत ने बंजर पहाड़ी जमीन को हरियाली में बदल देने वाले संजय गायकवाड़ से मुलाकात की, जो कहते हैं कि अब पर्यावरण को कुछ देने का टाइम है. इतने सालों तक इंसानों ने सिर्फ लिया है. बता दें कि संजय गायकवाड़ ने अपने बलबूते पहाड़ी बंजर भूमि पर हरियाली बिखेर दी है. राष्ट्रीय राजमार्ग 43 से लगी बंजर पहाड़ी जमीन और सिद्धबाबा पहाड़ पर उनके लगाए सैकड़ों पौधे हैं. कुछ पौधे अब पेड़ बन चुके हैं. कभी बंजर और बेजार दिखने वाला ये पहाड़ आज हरा-भरा दिखने लगा है. इसका श्रेय संजय और उनकी टीम को जाता है.

बंजर पहाड़ को बनाया हराभरा

ग्रीन वैली क्लब बनाया

संजय ने सबसे पहले अकेले काम शुरू किया. रोज पौधे लेकर बंजर जमीन में लगाने लगे. जिसके बाद अपने जैसे ही पर्यावरणप्रेमियों की एक टीम तैयार की, इसका नाम रखा ग्रीन वैली क्लब. इसमें 12 सदस्य हैं. अब सब मिलकर पर्यावरण को हरा-भरा बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.

कोई सरकारी मदद नहीं

संजय गायकवाड़ ने राष्ट्रीय राजमार्ग 43 से लगी बंजर भूमि पर विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण कर यहां हरियाली ला दी. उन्होंने इसे एक उद्यान का शक्ल दिया है. संजय को जब सरकारी नर्सरी से पौधे से लेने में दिक्कतें आने लगी, तो उन्होंने अपने फार्म हाउस में खुद की नर्सरी तैयार कर ली. नर्सरी में पौधे तैयार कर वे जगह-जगह पौधारोपण कर रहे हैं. संजय ने किसी सरकारी मदद तक की अपेक्षा नहीं की.

Planting trees on the mountain
पहाड़ पर पौधे लगाते हुए

अब पर्यावरण बचाना ही इनका काम

पौधारोपण करने के बाद संजय खुद ही पौधों की देखरेख भी करते हैं. इस काम में उनका स्टाफ और उनके ग्रीन वैली क्लब के सदस्य साथ देते हैं. संजय का कहना है कि पर्यावरण के लिए काम करना अब उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है. वे रोजाना 8 से 10 घंटे पर्यावरण के लिए देते हैं.

पढ़ें: 'कीड़ों से ज्यादा इंसानों के लिए खतरनाक है पेस्टिसाइड, हर्बल कीटनाशक की जरूरत'

कार से जागरूकता

संजय ने अपनी कार पर पर्यावरण को लेकर कई स्लोगन लिखवाए हैं. वे जहां भी जाते हैं, अपनी इसी कार से जाते हैं, ताकि लोग कार में लिखे स्लोगन को पढ़ें और पर्यावरण को लेकर जागरूक हो सकें. लोग कार पर लिखे पर्यावरण के स्लोगन पढ़ते भी हैं. 60 साल के संजय की कार अब उनकी पहचान भी बन गई है.

Last Updated : Jun 5, 2020, 1:18 PM IST
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