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मनेंद्रगढ़ में बने जयस्तंभ चारदीवारी में कैद, आजादी का इंतजार

मनेंद्रगढ़ में शहीदों की याद में बने जयस्तंभ को आजादी का इंतजार है. यहां पर अतिक्रमणकारियों ने दीवार खींच दी है. जिसको लेकर प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है.

Manendragarh Jaystambh
मनेंद्रगढ़ जयस्तंभ
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Published : Jul 23, 2022, 3:23 PM IST

Updated : Jul 23, 2022, 4:35 PM IST

कोरिया: शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा. इन पंक्तियों को गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिव के अवसर पर हर जगह उल्लेखित किया जाता है. लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि मनेंद्रगढ़ में बने जयस्तंभ को चारदीवारी में कैद करके रख दिया गया है. शहीद स्मारक की जगह पर दुकानें बनाकर किराए पर उठा दी गई है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में चक्रवाती बारिश का असर, सीएम ने राज्य के एसपी कलेक्टर को किया अलर्ट

कब होगी कार्रवाई: हैरत वाली बात तो यह है कि इस शहीद स्मारक को आजाद कराने के लिए जब लोगों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई तो सभी ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जयस्तंभ को अतिक्रमण करने वाले और शहीद स्मारक की जगह दुकान बनाने वालों पर आखिर कब कार्रवाई होगी, मैं जयस्तम्भ चौक हूं.

जिम्मेदार कौन ?: जयस्तंभ राष्ट्र की संपत्ति होते हैं. राष्ट्र की धरोहर होते हैं, लेकिन अगर उस पर अतिक्रमण कर लिया जाए और इसे आजाद कराने के लिए आम लोगों को न्यायालय की शरण लेना पड़े तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है ? भारत गणराज्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. बड़े बड़े आयोजन हो रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है. अमर शहीदों की शहादत को याद रखने के लिए बनाया गया. अभी तक आजाद नहीं हो पाया है.

मैं गांधी पार्क भी आजाद होना चाहता हूं: एक और जहां जयस्तंभ अतिक्रमण का शिकार है. वहीं दूसरी ओर जय स्तंभ से लगा हुआ गांधी पार्क नाम का स्थल भी अतिक्रमण से नहीं बच पाया है. गांधी पार्क बच्चों के खेलने के लिए बनाया गया है. लेकिन एक तथाकथित ट्रस्ट द्वारा इसे भी अपने कब्जे में कर लिया गया है. पूरे परिसर में तालाबंदी कर दी गई है. गांधी पार्क में तालाबंदी शहीद स्मारक में अतिक्रमण ऐसे में हम आजादी का अमृत महोत्सव कैसे बना पाएंगे.


मेरे लिए ये कहते है जिम्मेदार: जयस्तम्भ का मामला न्यायालय में है. इसलिए चारदीवारी में है. शिकायत को लेकर प्रकरण दर्ज है. मामला न्यायलयीन और विचाराधीन है. इसलिए प्रकरण पर फैसला आने के बाद ही कुछ होगा.

कोरिया: शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा. इन पंक्तियों को गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिव के अवसर पर हर जगह उल्लेखित किया जाता है. लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि मनेंद्रगढ़ में बने जयस्तंभ को चारदीवारी में कैद करके रख दिया गया है. शहीद स्मारक की जगह पर दुकानें बनाकर किराए पर उठा दी गई है.

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कब होगी कार्रवाई: हैरत वाली बात तो यह है कि इस शहीद स्मारक को आजाद कराने के लिए जब लोगों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई तो सभी ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जयस्तंभ को अतिक्रमण करने वाले और शहीद स्मारक की जगह दुकान बनाने वालों पर आखिर कब कार्रवाई होगी, मैं जयस्तम्भ चौक हूं.

जिम्मेदार कौन ?: जयस्तंभ राष्ट्र की संपत्ति होते हैं. राष्ट्र की धरोहर होते हैं, लेकिन अगर उस पर अतिक्रमण कर लिया जाए और इसे आजाद कराने के लिए आम लोगों को न्यायालय की शरण लेना पड़े तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है ? भारत गणराज्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. बड़े बड़े आयोजन हो रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है. अमर शहीदों की शहादत को याद रखने के लिए बनाया गया. अभी तक आजाद नहीं हो पाया है.

मैं गांधी पार्क भी आजाद होना चाहता हूं: एक और जहां जयस्तंभ अतिक्रमण का शिकार है. वहीं दूसरी ओर जय स्तंभ से लगा हुआ गांधी पार्क नाम का स्थल भी अतिक्रमण से नहीं बच पाया है. गांधी पार्क बच्चों के खेलने के लिए बनाया गया है. लेकिन एक तथाकथित ट्रस्ट द्वारा इसे भी अपने कब्जे में कर लिया गया है. पूरे परिसर में तालाबंदी कर दी गई है. गांधी पार्क में तालाबंदी शहीद स्मारक में अतिक्रमण ऐसे में हम आजादी का अमृत महोत्सव कैसे बना पाएंगे.


मेरे लिए ये कहते है जिम्मेदार: जयस्तम्भ का मामला न्यायालय में है. इसलिए चारदीवारी में है. शिकायत को लेकर प्रकरण दर्ज है. मामला न्यायलयीन और विचाराधीन है. इसलिए प्रकरण पर फैसला आने के बाद ही कुछ होगा.

Last Updated : Jul 23, 2022, 4:35 PM IST
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