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90 वर्ष की उम्र में भी वृद्धावस्था पेंशन के लिए दर-दर भटक रही बुजुर्ग महिला - koriya news

विकासखण्ड भरतपुर के मोहनटोला ग्राम निवासी 90 वर्षीय महिला रैमन्ती सिंह अपने बेटे के साथ दाने-दाने को मोहताज है. न तो उनके पास राशन कार्ड है न ही सरकार की ओर से मिलने वाली वृद्धा पेंशन ही उन्हें मिल पा रही है. इस कारण रैमन्ती दर-दर भटकने को मजबूर है.

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बुर्जुग महिला
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Published : Aug 11, 2021, 8:09 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 11:18 PM IST

कोरिया: विकासखण्ड भरतपुर के मोहनटोला ग्राम निवासी 90 वर्षीय वृद्ध महिला रैमन्ती सिंह पति स्व० बबन सिंह को सरकार की ओर से दिये जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. उनके पति की मौत सालों पहले हो चुकी है. जबकि वृद्ध महिला धुर ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. पेंशन न मिल पाने से हताश बयोवृद्ध महिला बताती हैं कि राजा के शासनकाल के अपने जीवनकाल में वे कई बार भीषण अकाल का सामना कर चुकी हैं. अकाल के बेहद विकट स्थिति में भोजन के रूप में पेड़ के पत्ते, प्राकृतिक रूप से उगने वाली भाजी, जंगल के वनोपज को खाकर वे जिंदा रहती थीं. आगे वह बताती हैं कि आज के जैसा अच्छा व पर्याप्त भोजन पहले उपलब्ध नहीं होता था. वहीं अपनी फटेहाल जिंदगी के बारे में बताते हुए उनकी आंखों से आंसु की धार बहने लग गई.

बुजुर्ग महिला की सुनो फरियाद

याददाश्त कमजोर, पर सुनाने लगीं कहानी

90 वर्ष की हो जाने के कारण रैमन्ती की याददाश्त अब काफी कमजोर हो चुकी है. रैमन्ती कई दशक पूर्व की सत्य घटना का उल्लेख करते हुए बताती हैं कि चांगभखार रियासत के राजा महावीर सिंह का दशरथगज नाम का एक हाथी था. वह भयानक नुकीले व बड़े-बड़े दांतों वाला था. दशरथगज हाथी के पागल हो जाने से उस समय पूरे क्षेत्र के लोग किस कदर दहशत में रहे, उसकी सहज कहानी भी वे सुनाने लगीं. कहानी सुनाते-सुनाते उनकी आंखें भर आईं.

जब होगी मौत, तभी कटेंगे केश

रैमन्ती अपनी उम्र 90 वर्ष के आसपास बताती हैं. इनके सिर के बाल इतने लंबे हैं कि वे जमीन को छू रहे हैं. ज्यादा उम्र होने की वजह से इतने लंबे बालों में रैमन्ती कंधी नहीं कर पाती हैं. इस कारण बालों में जटाएं पड़ गयी हैं. रैमन्ती सिंह बताती हैं कि बाल शंकर जी बांधे हैं जब मेरी मृत्यु होगी तब बाल कटेगा और मैं बाल काटती हूं तो मृत्यु हो जाएगी. इंद्रपाल सिंह के पुत्र बताते हैं कि मेरे हाथ नहीं हैं. मेरी मां के पास राशन कार्ड नहीं है. साथ ही उन्हें वृद्धा पेंशन भी नहीं मिल रही है. मैं मां की सेवा करता हूं. गांव में इधर-उधर मांग कर गुजारा कर रहा हूं. मुझे कोई काम भी नहीं मिल रहा है.


ग्रामीण राज बहोर सिंह बताते हैं कि रैमन्ती बाई को जानता हूं. ग्राम पंचायत का चक्कर लगा रही हैं. न उनको पेंशन उपलब्ध हो पाई और न ही राशन कार्ड ही उन्हें मिल पाया है. उनका लड़का असहाय है और बहुत गरीब है. ग्राम पंचायत भी उनपर ध्यान नहीं दे रही है.सरपंच राजकुमारी बताती हैं कि रैमन्ती सिंह का बैंक में खाता नहीं खुलने के कारण उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही है. राशन कार्ड के लिए जनपद में कागज भिजवा दिया गया है.

कोरिया: विकासखण्ड भरतपुर के मोहनटोला ग्राम निवासी 90 वर्षीय वृद्ध महिला रैमन्ती सिंह पति स्व० बबन सिंह को सरकार की ओर से दिये जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. उनके पति की मौत सालों पहले हो चुकी है. जबकि वृद्ध महिला धुर ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. पेंशन न मिल पाने से हताश बयोवृद्ध महिला बताती हैं कि राजा के शासनकाल के अपने जीवनकाल में वे कई बार भीषण अकाल का सामना कर चुकी हैं. अकाल के बेहद विकट स्थिति में भोजन के रूप में पेड़ के पत्ते, प्राकृतिक रूप से उगने वाली भाजी, जंगल के वनोपज को खाकर वे जिंदा रहती थीं. आगे वह बताती हैं कि आज के जैसा अच्छा व पर्याप्त भोजन पहले उपलब्ध नहीं होता था. वहीं अपनी फटेहाल जिंदगी के बारे में बताते हुए उनकी आंखों से आंसु की धार बहने लग गई.

बुजुर्ग महिला की सुनो फरियाद

याददाश्त कमजोर, पर सुनाने लगीं कहानी

90 वर्ष की हो जाने के कारण रैमन्ती की याददाश्त अब काफी कमजोर हो चुकी है. रैमन्ती कई दशक पूर्व की सत्य घटना का उल्लेख करते हुए बताती हैं कि चांगभखार रियासत के राजा महावीर सिंह का दशरथगज नाम का एक हाथी था. वह भयानक नुकीले व बड़े-बड़े दांतों वाला था. दशरथगज हाथी के पागल हो जाने से उस समय पूरे क्षेत्र के लोग किस कदर दहशत में रहे, उसकी सहज कहानी भी वे सुनाने लगीं. कहानी सुनाते-सुनाते उनकी आंखें भर आईं.

जब होगी मौत, तभी कटेंगे केश

रैमन्ती अपनी उम्र 90 वर्ष के आसपास बताती हैं. इनके सिर के बाल इतने लंबे हैं कि वे जमीन को छू रहे हैं. ज्यादा उम्र होने की वजह से इतने लंबे बालों में रैमन्ती कंधी नहीं कर पाती हैं. इस कारण बालों में जटाएं पड़ गयी हैं. रैमन्ती सिंह बताती हैं कि बाल शंकर जी बांधे हैं जब मेरी मृत्यु होगी तब बाल कटेगा और मैं बाल काटती हूं तो मृत्यु हो जाएगी. इंद्रपाल सिंह के पुत्र बताते हैं कि मेरे हाथ नहीं हैं. मेरी मां के पास राशन कार्ड नहीं है. साथ ही उन्हें वृद्धा पेंशन भी नहीं मिल रही है. मैं मां की सेवा करता हूं. गांव में इधर-उधर मांग कर गुजारा कर रहा हूं. मुझे कोई काम भी नहीं मिल रहा है.


ग्रामीण राज बहोर सिंह बताते हैं कि रैमन्ती बाई को जानता हूं. ग्राम पंचायत का चक्कर लगा रही हैं. न उनको पेंशन उपलब्ध हो पाई और न ही राशन कार्ड ही उन्हें मिल पाया है. उनका लड़का असहाय है और बहुत गरीब है. ग्राम पंचायत भी उनपर ध्यान नहीं दे रही है.सरपंच राजकुमारी बताती हैं कि रैमन्ती सिंह का बैंक में खाता नहीं खुलने के कारण उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही है. राशन कार्ड के लिए जनपद में कागज भिजवा दिया गया है.

Last Updated : Aug 11, 2021, 11:18 PM IST
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