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स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने लगाई मिट्टी की कलाकृति की प्रदर्शनी

कोरिया कलेक्ट्रेट में स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने मिट्टी की कलाकृति की प्रदर्शनी लगाई. जिला प्रशासन ने लोगों से पॉलीथिन उपयोग नहीं करने की भी अपील की.

मिट्टी की कलाकृति की प्रदर्शनी
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Published : Oct 23, 2019, 11:49 PM IST

Updated : Oct 23, 2019, 11:58 PM IST

कोरिया: दीपावली का आम लोगों के जीवन में जीतना महत्व होता है, उससे कहीं ज्यादा महत्व मिट्टी की मूर्तियां और दीये बनाने वालों के जीवन में होता है. कुम्भकार पूरे साल दीप पर्व का इंतजार करते हैं, ताकि उनका घर चल सके. कुछ ऐसा ही नजारा कोरिया कलेक्ट्रेट में देखने को मिला. जहां स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने मिट्टी के मूर्तियों के अलावा दीये बनाकर कलेक्टर परिसर में दुकान लगाई. साथ ही पॉलीथिन उपयोग नहीं करने का संदेश जिला प्रशासन ने दिया है.

स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने लगाई मिट्टी की कलाकृति की प्रदर्शनी

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) (स्व सहायता समूह चद्दन) ने मिट्टी की कलाकृति, दीये, लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति, सजावट के समान की प्रदर्शनी लगाकर लोगों को इस दीवाली प्लॉस्टिक के सामानों से बचने का संदेश दिया.

पढ़ें :सवाल से बचते नजर आए वन विभाग के SDO, दिया ये बयान

जिला प्रशासन ने की अपील

बीते कुछ साल से मिट्टी के दिए का उपयोग कम होता जा रहा है. एक दौर था जब घर का कोना-कोना रौशन करने के लिए 50 से 100 दीये लगाए जाते थे. जिला प्रशासन ने लोगों को मिट्टी के दीये के उपयोग करने का संदेश दिया. अधिकारियों और कर्मचारियों ने मूर्ति और दीये खरीदे और पॉलीथिन उपयोग नहीं करने की अपील की.

कोरिया: दीपावली का आम लोगों के जीवन में जीतना महत्व होता है, उससे कहीं ज्यादा महत्व मिट्टी की मूर्तियां और दीये बनाने वालों के जीवन में होता है. कुम्भकार पूरे साल दीप पर्व का इंतजार करते हैं, ताकि उनका घर चल सके. कुछ ऐसा ही नजारा कोरिया कलेक्ट्रेट में देखने को मिला. जहां स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने मिट्टी के मूर्तियों के अलावा दीये बनाकर कलेक्टर परिसर में दुकान लगाई. साथ ही पॉलीथिन उपयोग नहीं करने का संदेश जिला प्रशासन ने दिया है.

स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने लगाई मिट्टी की कलाकृति की प्रदर्शनी

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) (स्व सहायता समूह चद्दन) ने मिट्टी की कलाकृति, दीये, लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति, सजावट के समान की प्रदर्शनी लगाकर लोगों को इस दीवाली प्लॉस्टिक के सामानों से बचने का संदेश दिया.

पढ़ें :सवाल से बचते नजर आए वन विभाग के SDO, दिया ये बयान

जिला प्रशासन ने की अपील

बीते कुछ साल से मिट्टी के दिए का उपयोग कम होता जा रहा है. एक दौर था जब घर का कोना-कोना रौशन करने के लिए 50 से 100 दीये लगाए जाते थे. जिला प्रशासन ने लोगों को मिट्टी के दीये के उपयोग करने का संदेश दिया. अधिकारियों और कर्मचारियों ने मूर्ति और दीये खरीदे और पॉलीथिन उपयोग नहीं करने की अपील की.

Intro:एंकर - दीपावली का त्योहार मिट्टी के मूर्तियों और दियों का त्यौहार। मिट्टी के ये दीये आपके लिए कितने जरूरी हैं, ये आप ही समझें लेकिन ये दीए उन कुम्हारों के लिए कितने कीमते हैं। जिनके लिए वे इतनी मेहनत कर उन्हें तैयार करते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा कोरिया कलेक्ट्रेट में देखने को मिला जहाँ स्व सहायता समूह के सदस्यों ने मिट्टी के मूर्तियों के अलावा दिये बना कर कलेक्टर परिसर में दुकान लगाई । साथ ही पौलिथिक उपयोग नही करने का संदेश जिला प्रशासन ने दिया ।

Body:वीओ - हमारी दीवाली को रौशन करने के लिए हमारी सैलरी और बोनस काफी होते हैं, लेकिन इन लोगों की दीवाली रौशन हो वो सिर्फ इस बात पर निर्भर करती है कि उनके दीए कितने बिके. और पिछली बीती हर दीवाली के साथ-साथ घरों में दीयों की संख्या भी कम ही होती जा रही है. एक वो दौर था जब घर का कोना कोना रौशन करने के लिए 50 से 100 दीये लगाए जाते थे, लेकिन अब पूजा में रखने के लिए 10-12 दीये ही काफी लगते हैं । सोचकर देखिए, इनकी रोजी रोटी इन दीयों पर निर्भर है । जिला प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इन मुत्रियी और दिये को खरीदा भी और पालीथिन उपयोग नही करने की अपील भी की ।Conclusion:छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिसम (बिहान) (स्व सहायता समूह चद्दन) के द्वारा मिट्टी के कलाकृति, दिए,लक्ष्मी गणेश के मूर्ति सजावट के समान की प्रदर्शनी लगा कर लोगो को इस दीवाली प्लास्टिक के सामानों से बचने संदेश देने की कोशिश की।
बाइट - भगवनिया (कुम्हार)
बाइट - तूलिका प्रजापति (सी.ई.ओ., जिला जनपद पंचायत,कोरिया)
Last Updated : Oct 23, 2019, 11:58 PM IST
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