कोरिया: दीपावली का आम लोगों के जीवन में जीतना महत्व होता है, उससे कहीं ज्यादा महत्व मिट्टी की मूर्तियां और दीये बनाने वालों के जीवन में होता है. कुम्भकार पूरे साल दीप पर्व का इंतजार करते हैं, ताकि उनका घर चल सके. कुछ ऐसा ही नजारा कोरिया कलेक्ट्रेट में देखने को मिला. जहां स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने मिट्टी के मूर्तियों के अलावा दीये बनाकर कलेक्टर परिसर में दुकान लगाई. साथ ही पॉलीथिन उपयोग नहीं करने का संदेश जिला प्रशासन ने दिया है.
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) (स्व सहायता समूह चद्दन) ने मिट्टी की कलाकृति, दीये, लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति, सजावट के समान की प्रदर्शनी लगाकर लोगों को इस दीवाली प्लॉस्टिक के सामानों से बचने का संदेश दिया.
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जिला प्रशासन ने की अपील
बीते कुछ साल से मिट्टी के दिए का उपयोग कम होता जा रहा है. एक दौर था जब घर का कोना-कोना रौशन करने के लिए 50 से 100 दीये लगाए जाते थे. जिला प्रशासन ने लोगों को मिट्टी के दीये के उपयोग करने का संदेश दिया. अधिकारियों और कर्मचारियों ने मूर्ति और दीये खरीदे और पॉलीथिन उपयोग नहीं करने की अपील की.