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SPECIAL: मन की आंखों से भविष्य तराश रहे इस स्कूल के नेत्रहीन छात्र, ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग बना पढ़ाई का माध्यम

मनेंद्रगढ़ के आमाखेरवा में स्थित नेत्रहीन व दिव्यांग शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय के दृष्टिबाधित छात्र घर बैठे ही ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों को ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑडियो मैसेज के जरिए क्लास दी जा रही है. एक तरफ जहां स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हैं, तो वहीं दूसरी ओर दृष्टिबाधित छात्र ऑनलाइन क्लास में हिस्सा ले रहे हैं.

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ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग बना पढ़ाई का माध्यम
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Published : Dec 23, 2020, 11:02 PM IST

कोरिया: कोरोना काल के शुरूआती दौर में ही लॉकडाउन के साथ शिक्षण संस्थानों को सरकार ने बंद कर दिया था. जो अबतक पूरी तरह से बंद हैं. इसके बाद सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प के साथ ही मोहल्ला क्लास और लाउड स्पीकर के जरिए पढ़ाई के विकल्प तलाशे. इसके जरिए बस्तर जैसे इलाकों के भी हजारों बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रख सके. ठीक इसी तरह नेत्रहीन व दिव्यांग शिक्षण-प्रशिक्षण विद्यालय के शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा है. फोन के जरिए लगातार नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. बच्चे भी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं.

ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग बना पढ़ाई का माध्यम

सरगुजा संभाग के एकमात्र मनेंद्रगढ़ के आमाखेरवा में स्थित नेत्रहीन व दिव्यांग शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय के दृष्टिबाधित छात्र घर बैठे ही ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों को ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑडियो मैसेज के जरिए क्लास दी जा रही है. एक तरफ जहां स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हैं, तो वहीं दूसरी ओर दृष्टिबाधित छात्र ऑनलाइन क्लास में हिस्सा ले रहे हैं.

कई बच्चों का संवरा भविष्य
स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि इस स्कूल से पढ़ें बच्चे आज अच्छे पद में कार्यरत हैं. जिसमें एक बच्चा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद में खरसिया में पदस्थ है. ऐसे कई बच्चे हैं जो इस स्कूल से पढ़कर अच्छे मुकाम पर पहुंचे हैं. कोरोना काल में भी प्राचार्य लगातार बच्चों की पढ़ाई में ध्यान दे रहे हैं. वो खुद भी कई क्लास ले रहे हैं. और बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

पढ़ें: दिव्यांगजन राज्य स्तरीय सम्मान समारोह, 7 श्रेणियों में दिए गए पुरस्कार

बच्चे खुद कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़ कर टीचर को करते हैं कॉल

संस्था के प्राचार्य संतोष कुमार ने बताया कि बाकी स्कूल की तरह नेत्रहीन विद्यालय में भी ऑनलाइन क्लास जारी है. छात्रों को ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वॉइस मैसेज के जरिए पढ़ाया जा रहा है. जिससे छात्र काफी लाभान्वित भी हो रहे हैं. प्राचार्य ने बताया कि पढ़ाई को लेकर बच्चों में इतनी ललक है कि, बच्चे खुद आपस में मोबाइल के जरिए कनेक्ट होते हैं. फिर टीचर को कॉल करते हैं. जिससे कोई छात्र पढ़ाई से वंचित नहीं रहता. ऑनलाइन क्लास से उनकी पढ़ाई भी नहीं रुक रही है.

पढ़ें: महासमुंद में गढ़ कलेवा का शुभारंभ, दिव्यांगजन करेंगे संचालन

नोट्स तैयार कर रहे छात्र

छात्रों ने बताया कि ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षक उनकी क्लास ले रहे हैं. वॉइस मैसेज उन्हें व्हाट्सएप के जरिए भेजे जाते हैं. छात्रों ने बताया कि पढ़ाई को पूरा करने के लिए वह यूट्यूब का भी सहारा ले रहे हैं. विद्यालय कोरोना काल में पिछले 9 महीने से बंद है. स्कूल बंद होने से समान्य छात्रों को पढ़ई तुहंर दुआर योजना के तहत ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. छात्रों को वॉइस कांफ्रेंसिंग के साथ वॉइस रिकॉर्डिंग के जरिए विषय वार विशेषज्ञ क्लास ले रहे हैं. शिक्षक छात्रों को नोट्स बनाने के लिए वॉइस मैसेज करते हैं. जिससे वह अपने नोट्स तैयार कर सकें.

कम पड़ रहा अनुदान

समाज कल्याण विभाग हर साल इस स्कूल को अनुदान देता है. उसी अनुदान से विद्यालय के सभी शिक्षकों को प्रतिमाह वेतन दिया जाता है. बच्चों के भोजन के लिए भी राशि प्राप्त होती है लेकिन वह राशि इतनी कम होती है कि उससे अच्छे खाने की व्यवस्था नहीं हो पाती है. ऐसे में बाहरी अनुदान के जरिए व्यवस्था बनाए जाने की बात सामने आई है.

कोरिया: कोरोना काल के शुरूआती दौर में ही लॉकडाउन के साथ शिक्षण संस्थानों को सरकार ने बंद कर दिया था. जो अबतक पूरी तरह से बंद हैं. इसके बाद सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प के साथ ही मोहल्ला क्लास और लाउड स्पीकर के जरिए पढ़ाई के विकल्प तलाशे. इसके जरिए बस्तर जैसे इलाकों के भी हजारों बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रख सके. ठीक इसी तरह नेत्रहीन व दिव्यांग शिक्षण-प्रशिक्षण विद्यालय के शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा है. फोन के जरिए लगातार नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. बच्चे भी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं.

ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग बना पढ़ाई का माध्यम

सरगुजा संभाग के एकमात्र मनेंद्रगढ़ के आमाखेरवा में स्थित नेत्रहीन व दिव्यांग शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय के दृष्टिबाधित छात्र घर बैठे ही ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों को ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑडियो मैसेज के जरिए क्लास दी जा रही है. एक तरफ जहां स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हैं, तो वहीं दूसरी ओर दृष्टिबाधित छात्र ऑनलाइन क्लास में हिस्सा ले रहे हैं.

कई बच्चों का संवरा भविष्य
स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि इस स्कूल से पढ़ें बच्चे आज अच्छे पद में कार्यरत हैं. जिसमें एक बच्चा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद में खरसिया में पदस्थ है. ऐसे कई बच्चे हैं जो इस स्कूल से पढ़कर अच्छे मुकाम पर पहुंचे हैं. कोरोना काल में भी प्राचार्य लगातार बच्चों की पढ़ाई में ध्यान दे रहे हैं. वो खुद भी कई क्लास ले रहे हैं. और बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

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बच्चे खुद कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़ कर टीचर को करते हैं कॉल

संस्था के प्राचार्य संतोष कुमार ने बताया कि बाकी स्कूल की तरह नेत्रहीन विद्यालय में भी ऑनलाइन क्लास जारी है. छात्रों को ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वॉइस मैसेज के जरिए पढ़ाया जा रहा है. जिससे छात्र काफी लाभान्वित भी हो रहे हैं. प्राचार्य ने बताया कि पढ़ाई को लेकर बच्चों में इतनी ललक है कि, बच्चे खुद आपस में मोबाइल के जरिए कनेक्ट होते हैं. फिर टीचर को कॉल करते हैं. जिससे कोई छात्र पढ़ाई से वंचित नहीं रहता. ऑनलाइन क्लास से उनकी पढ़ाई भी नहीं रुक रही है.

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नोट्स तैयार कर रहे छात्र

छात्रों ने बताया कि ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षक उनकी क्लास ले रहे हैं. वॉइस मैसेज उन्हें व्हाट्सएप के जरिए भेजे जाते हैं. छात्रों ने बताया कि पढ़ाई को पूरा करने के लिए वह यूट्यूब का भी सहारा ले रहे हैं. विद्यालय कोरोना काल में पिछले 9 महीने से बंद है. स्कूल बंद होने से समान्य छात्रों को पढ़ई तुहंर दुआर योजना के तहत ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. छात्रों को वॉइस कांफ्रेंसिंग के साथ वॉइस रिकॉर्डिंग के जरिए विषय वार विशेषज्ञ क्लास ले रहे हैं. शिक्षक छात्रों को नोट्स बनाने के लिए वॉइस मैसेज करते हैं. जिससे वह अपने नोट्स तैयार कर सकें.

कम पड़ रहा अनुदान

समाज कल्याण विभाग हर साल इस स्कूल को अनुदान देता है. उसी अनुदान से विद्यालय के सभी शिक्षकों को प्रतिमाह वेतन दिया जाता है. बच्चों के भोजन के लिए भी राशि प्राप्त होती है लेकिन वह राशि इतनी कम होती है कि उससे अच्छे खाने की व्यवस्था नहीं हो पाती है. ऐसे में बाहरी अनुदान के जरिए व्यवस्था बनाए जाने की बात सामने आई है.

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