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कोरोना काल में कोरिया के लोहार ने कबाड़ के जुगाड़ से बनाई होम मेड हैमर मशीन

कोरिया के पटना में एक लोहार ने घर में ही कबाड़ के जुगाड़ से 6 महीनों में होम मेड हैमर मशीन बनाई है. लोहार शंकर विश्वकर्मा ने ये कमाल किया है. वह लगातार इस मशीन को अपग्रेड करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए इंटरनेट का सहारा भी वे ले रहे हैं.

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लोहार ने कबाड़ के जुगाड़ से बनाई होम मेड हैमर मशीन
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Published : Oct 2, 2020, 12:29 PM IST

कोरिया: जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पटना के एक लोहार ने देश में लगे लाॅकडाउन और कोरोना काल के इन 6 महीनों के भीतर होम मेड हैमर मशीन को बना डाली है. अब क्षेत्र भर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है. कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह मिल ही जाती है. ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला है. पटना गांव के एक लोहार ने पत्नी के दर्द और मजदूरों की समस्या देखते हुए एक होम मेड लोहा पीटने वाली मशीन बनाई है. खास बात यह भी है कि मशीन में सिर्फ मोटर को छोड़कर पूरा सेटअप कबाड़ से जुगाड़ पर अधारित है.

मजदूर नहीं मिलने की स्थिति में पत्नी को भी लोहारी के इस काम में हाथ बंटाना पड़ता था. जिससे पत्नी के हाथों में छाले पड़ जाते थे. पत्नी के हाथों में छाले देखकर पति शंकर विश्वकर्मा ने होम मेड हैमर मशीन बनाई. इस मशीन की लोहा पीटने की क्षमता इतनी अधिक है कि कम मेहनत में शंकर लोहा पीटकर एक अच्छा औजार बना देते हैं. उन्हें मेहनत भी कम लगती है.

कबाड़ के जुगाड़ से बनाई होम मेड हैमर मशीन

लोहा पीटना हुआ आसान

लोहार शंकर विश्वकर्मा ने बताया कि जब मैं इस मशीन को बना रहा था, तो कई बार काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. मुझे समझ नहीं आता था कि इस कमी को कैसे दूर किया जाए. मैं रातभर इस पर विचार करता था. इसके लिए उसने यूट्यूब का भी सहारा लिया. कई बार प्रयास कर लगभग 6 महीनों में एक ऐसा उपकरण तैयार कर लिया, जिससे अब आसानी से लोहा पीटा जा सकता है.

पढ़ें: SPECIAL : सरगुजा के इस गांव में भी शुरू हुआ सॉलिड लिक्विड एंड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर

पिछले महीनेभर से लोहार इससे लोहा पीटने का काम कर रहा है. शंकर विश्वकर्मा ने कहा कि जब भी मशीन में कुछ कमियां समझ आती है, तो इसे दूर करने की कोशिश करता हूं. इस मशीन को बनाने में लगभग 25 से 30 हजार रुपए की लागत आई है. इसे और माॅडीफाई करने के लिए लगभग 20 हजार की लागत आएगी. उन्होंने कहा कि अगर इस मशीन में 20 हजार रुपए और लए दिए जाएं, तो यह स्थायी रूप से बिजली या डीजल से चलने के लिए यह तैयार हो जाएगी.

ऐसे बनी मशीन

शंकर ने जुगाड़ से हैमर मशीन बनाने की कल्पना की. उसने कबाड़ से गाड़ी का पट्टा, घिसा हुआ टायर, निहाई, जुगाड़ का मुसरा और रेम लगा दिया है. इसमें पुरानी दो एचपी की मोटर भी लगा दी गई है. जिससे अब हथौड़ा चलाने का काम खत्म हो गया है. वे अब चाहते हैं कि उनके काम में बच्चों और पत्नी को भी शामिल न होना पड़े. बच्चे अपनी पढ़ाई को समय दें और पत्नी घर का काम करे. अकेले ही इस मशीन से काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण वे कर रहे हैं.

कोरिया: जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पटना के एक लोहार ने देश में लगे लाॅकडाउन और कोरोना काल के इन 6 महीनों के भीतर होम मेड हैमर मशीन को बना डाली है. अब क्षेत्र भर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है. कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह मिल ही जाती है. ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला है. पटना गांव के एक लोहार ने पत्नी के दर्द और मजदूरों की समस्या देखते हुए एक होम मेड लोहा पीटने वाली मशीन बनाई है. खास बात यह भी है कि मशीन में सिर्फ मोटर को छोड़कर पूरा सेटअप कबाड़ से जुगाड़ पर अधारित है.

मजदूर नहीं मिलने की स्थिति में पत्नी को भी लोहारी के इस काम में हाथ बंटाना पड़ता था. जिससे पत्नी के हाथों में छाले पड़ जाते थे. पत्नी के हाथों में छाले देखकर पति शंकर विश्वकर्मा ने होम मेड हैमर मशीन बनाई. इस मशीन की लोहा पीटने की क्षमता इतनी अधिक है कि कम मेहनत में शंकर लोहा पीटकर एक अच्छा औजार बना देते हैं. उन्हें मेहनत भी कम लगती है.

कबाड़ के जुगाड़ से बनाई होम मेड हैमर मशीन

लोहा पीटना हुआ आसान

लोहार शंकर विश्वकर्मा ने बताया कि जब मैं इस मशीन को बना रहा था, तो कई बार काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. मुझे समझ नहीं आता था कि इस कमी को कैसे दूर किया जाए. मैं रातभर इस पर विचार करता था. इसके लिए उसने यूट्यूब का भी सहारा लिया. कई बार प्रयास कर लगभग 6 महीनों में एक ऐसा उपकरण तैयार कर लिया, जिससे अब आसानी से लोहा पीटा जा सकता है.

पढ़ें: SPECIAL : सरगुजा के इस गांव में भी शुरू हुआ सॉलिड लिक्विड एंड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर

पिछले महीनेभर से लोहार इससे लोहा पीटने का काम कर रहा है. शंकर विश्वकर्मा ने कहा कि जब भी मशीन में कुछ कमियां समझ आती है, तो इसे दूर करने की कोशिश करता हूं. इस मशीन को बनाने में लगभग 25 से 30 हजार रुपए की लागत आई है. इसे और माॅडीफाई करने के लिए लगभग 20 हजार की लागत आएगी. उन्होंने कहा कि अगर इस मशीन में 20 हजार रुपए और लए दिए जाएं, तो यह स्थायी रूप से बिजली या डीजल से चलने के लिए यह तैयार हो जाएगी.

ऐसे बनी मशीन

शंकर ने जुगाड़ से हैमर मशीन बनाने की कल्पना की. उसने कबाड़ से गाड़ी का पट्टा, घिसा हुआ टायर, निहाई, जुगाड़ का मुसरा और रेम लगा दिया है. इसमें पुरानी दो एचपी की मोटर भी लगा दी गई है. जिससे अब हथौड़ा चलाने का काम खत्म हो गया है. वे अब चाहते हैं कि उनके काम में बच्चों और पत्नी को भी शामिल न होना पड़े. बच्चे अपनी पढ़ाई को समय दें और पत्नी घर का काम करे. अकेले ही इस मशीन से काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण वे कर रहे हैं.

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