कोरिया: जिले में हल्दी की सूखी पत्तियों से हल्दी तेल निकाला जा रहा है. हल्दी तेल से गौठानों को भी फायदा हो रहा है. जिले के गौठान कुशाह, पौड़ी, छरछा, रोझी, जामपानी, कोडीमार व सोरगा में कुल 35 एकड़ क्षेत्रफल में हल्दी की उन्नत फसल लगाई जा रही है. हल्दी की उन्नत प्रजातियों को इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, ओडिशा, तमिलनाडू, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कोयम्बटूर से मंगाया जा रहा है ताकि जिले में हल्दी की नई प्रजातियों का प्रचार-प्रसार हो सके. इन सूखी पत्तियों से कृषि विज्ञान केंद्र में तेल निकाला जा रहा है.
हल्दी की सूखी पत्तियों से निकाला जा रहा तेल
फरवरी- मार्च माह में हल्दी की पत्तियां सूख जाती है तब सूखी पत्तियों की कटाई कराकर भाप आसवन संयंत्र से सगंध हल्दी तेल निकाला जा रहा है. एक एकड़ क्षेत्रफल से लगभग 300 से 400 किलोग्राम सूखी पत्तियां इकट्ठी हो जाती है. जिससे 1.5 से 2 किलोग्राम सगंध हल्दी तेल निकल जाता है. लगभग 35 एकड़ क्षेत्रफल से 50 से 55 लीटर सुगंधित हल्दी तेल निकालने का अनुमान है. विपणन क्षेत्र में खुले बाजार में हल्दी तेल की कीमत 3000 से 5000 रुपये प्रति किलोग्राम है.
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गुणों का खजाना है हल्दी तेल
हल्दी तेल को बेचने से मिलने वाली राशि को गौठान समितियों को बांटा जा रहा है. हल्दी तेल एंटीऑक्सिडेंट से समृद्ध है और इसमें शक्तिशाली सूजनरोधी गुण है. तेल में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और इसमें एंटी-एलर्जी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-फंगल गुण होते हैं. जो त्वचा और बालों पर चमत्कार की तरह काम करती है. हल्दी तेल में फरानोगर्मेनोन (7.8ः), कम्फोर (7.5ः), (जेड)-3-हेक्सेनॉल (5.8ः), और फुरानोडिएनोन (5.1ः) मुख्य वाष्पशील योगिक होते है. सामान्य रूप से हल्दी तेल, स्वास्थ्य रखरखाव और रोगों के उपचार के लिए कई लाभकारी प्रभाव दिखाते हैं.
हल्दी तेल का उपयोग साबुन और अलग-अलग तरह के क्रीम में होता है. 15 मिलीलीटर की बोतल पैकिंग कर बेचा भी जा रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन के सहयोग से आगे इस हल्दी तेल को बॉडी ऑयल के रूप में भी बेचने की तैयारी है.