कोरिया: बाल विवाह को रोकने और बाल विवाह न करने की समझाईश देने की कार्रवाई करते हुए प्रशासन की टीम ने जिले में 4 बाल विवाह को रोकने में कामयाबी पाई है. टीम ने सोनहत में 3 और बैकुंठपुर 1 बाल विवाह रुकवाई. प्रशासन की टीम में महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड लाइन के लोग शामिल थे. महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि "कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देश टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया है."
सामाजिक बुराई है बाल विवाह: जिला कार्यक्रम अधिकारी के मुताबिक बाल विवाह अपराध ही नहीं एक सामाजिक बुराई भी है, जिसे रोका जाना बहुत ही जरूरी है. अधिनियम के अनुसार बाल विवाह करने या कराने वालों को 2 करावास और 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. बाल विवाह रोकने में स्थानीय सरपंच, पार्षद अन्य जनप्रतिनिधि, परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत और नगरी निकाय स्तरीय बाल संरक्षण समिति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
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ज्यादातर गांवों से आती है बाल विवाह की शिकायतें: बाल विवाह ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों मे प्रचलित है, जिसे ग्राम पंचायत से जुड़े जनप्रतिनिधि, कोटवार, सामाजिक कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता, सचिव और संरपच की ओर से रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए. इसके लिए यह जरूरी है कि ग्राम पंचायत स्तर पर एक विवाह पंजीयन रजिस्टर हो और विवाह संपन्न होने के पहले यह पंचायत (सचिव) द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए की वर और वधु की उम्र विवाह योग्य हो चुकी है. बाल विवाह के प्रकरण देखने, सुनने या जानकारी होने पर तत्काल इसकी सूचना, स्थानीय थाना, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (परियोजना अधिकारी) या जिला बाल संरक्षण अधिकारी को दी जा सकती है.