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इस गांव में विकास रहा फेल, आजादी के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए लोग हैं मोहताज

कोरियाः केंद्र और राज्य सरकारें विकास के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, पर इन योजनाओं का लाभ जहां पहुंचना चाहिए वहां पहुंच नहीं रहा है. कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड के जगतपुर ग्राम पंचायत का बारबांध बुनियादी सुविधाओं के लिए आजतक मोहताज है. मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे गांव बारबांध के ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे हैं.

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Published : Feb 8, 2019, 9:14 PM IST

जगतपुर गांव में विकास हुआ फेल

बारबांध एक ऐसा गांव है जहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. दो साल से यहां लगे बिजली के खम्भे किसी शो पीस से कम नहीं हैं, जिनमें लाइट ही नहीं है. पीने व निस्तार के लिए गांव में एक ढोड़ी है, जिस पर ही ग्रामीण पानी के लिए निर्भर हैं.

घने जंगलों को पारकर आने को मजबूर ग्रामीण
इस गांव के लोग बताते हैं कि घने जंगल और पहाड़ को पारकर दुर्गम रास्तों से किसी तरह यहां तक पहुंचा जा सकता है. शासन और प्रशासन की ओर से अभी तक यहां विकास के लिए एक भी काम नहीं कराए गए हैं. आजादी के 70 साल बाद भी पक्की सड़क और बिजली का सपना ग्रामीणों को देखना पड़ रहा है.

ग्रामीण बताते हैं प्रशासन के द्वारा यहां तीन बोर कराये गये पर किसी में पानी नहीं निकला. गांव के प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी के बच्चे भी इसी ढोड़ी का पानी पीते हैं. बुनियादी सुविधाओं के अलावा यहां स्थित प्राथमिक स्कूल में बारिश के दिनों में पानी भर जाता है, छत की हालत ऐसी है कि बच्चों को स्कूल के बाहर बैठाना पड़ता है.

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स्कूल के हालात बद से बदतर
स्कूल के कमरों की हालत वहां बिखरे सामान और खाली टंगे हुए ब्लैक बोर्ड को देखकर लगााया जा सकता है. 10 साल पहले स्कूल के लिए नया भवन स्वीकृत हुआ, नींव भी खोदी गई पर इसके बाद आगे कुछ नहीं हुआ. यहां की समस्याओं की जानकारी विधायक अम्बिका सिंहदेव को मिली तो उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा कर पूरी जानकारी ली. जहां एक ओर गांव में विकास को लेकर पंचायत सचिव गोलमोल जवाब दे रहे हैं, वहीं इलाके की विधायक सुविधाओं को पूरा करने की कोशिश करने की बात कह रही हैं.

बारबांध एक ऐसा गांव है जहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है. दो साल से यहां लगे बिजली के खम्भे किसी शो पीस से कम नहीं हैं, जिनमें लाइट ही नहीं है. पीने व निस्तार के लिए गांव में एक ढोड़ी है, जिस पर ही ग्रामीण पानी के लिए निर्भर हैं.

घने जंगलों को पारकर आने को मजबूर ग्रामीण
इस गांव के लोग बताते हैं कि घने जंगल और पहाड़ को पारकर दुर्गम रास्तों से किसी तरह यहां तक पहुंचा जा सकता है. शासन और प्रशासन की ओर से अभी तक यहां विकास के लिए एक भी काम नहीं कराए गए हैं. आजादी के 70 साल बाद भी पक्की सड़क और बिजली का सपना ग्रामीणों को देखना पड़ रहा है.

ग्रामीण बताते हैं प्रशासन के द्वारा यहां तीन बोर कराये गये पर किसी में पानी नहीं निकला. गांव के प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी के बच्चे भी इसी ढोड़ी का पानी पीते हैं. बुनियादी सुविधाओं के अलावा यहां स्थित प्राथमिक स्कूल में बारिश के दिनों में पानी भर जाता है, छत की हालत ऐसी है कि बच्चों को स्कूल के बाहर बैठाना पड़ता है.

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स्कूल के हालात बद से बदतर
स्कूल के कमरों की हालत वहां बिखरे सामान और खाली टंगे हुए ब्लैक बोर्ड को देखकर लगााया जा सकता है. 10 साल पहले स्कूल के लिए नया भवन स्वीकृत हुआ, नींव भी खोदी गई पर इसके बाद आगे कुछ नहीं हुआ. यहां की समस्याओं की जानकारी विधायक अम्बिका सिंहदेव को मिली तो उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा कर पूरी जानकारी ली. जहां एक ओर गांव में विकास को लेकर पंचायत सचिव गोलमोल जवाब दे रहे हैं, वहीं इलाके की विधायक सुविधाओं को पूरा करने की कोशिश करने की बात कह रही हैं.

Intro:डीएफओ के रवैये से नाराज वन कर्मियीं ने घेरा दफ्तर...

सुकमा. मैदानी अमला और कार्यालयीन कर्मचारियों के प्रति रवैया अलग-अलग होने और वन कर्मचारियों की मांगो को लगातार नजरन्दाज किये जाने से नाराज वन कर्मचारियीं ने बुधवार को वन मंडल अधिकारी कृष्ण कुमार बढ़ाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

डीएफओ को तानाशाह रवैया और मनमानी का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ के बैनर तले कमर्चारियों ने रैली निकाली। वन काष्ठागार से कर्मचारियों ने रैली का आयोजन किया। जो नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए डीएफओ दफ्तर पहुचा। यहां कार्यालय का घेराव करते हुए डीएफओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 8 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सुकमा एसडीओ को सौंपते हुए 18 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया।

मैदानी कर्मचारियों के प्रति डीएफओ का रवैया ठीक नही...
छग वन कर्मचारियों संघ के संभागीय अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि डीएफओ केआर बढ़ाई का मैदानी और कार्यालयीन कर्मचारियों के प्रति अलग-अलग व्यवहार रहता है। वहीं कर्मचारियों की जायज मांगो को वनमंडल अधिकारी लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

नियम विरूद्ध कर्मचारियों का स्थानान्तरण...
छग वन कर्मचारियों संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अमित झा ने कहा कि डीएफओ केआर बढ़ाई द्वारा नियम विरुद्ध और द्वेषभावना से प्रेरित होकर कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जा रहा है जबकि ट्रांसफर के लिए प्रधान वन संरक्षक रायपुर की अनुशंसा जरूरी है। सुकमा वनमंडल में भारी भर्रासायी है। अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए वन कर्मचारियों का स्थानंतरण किया जा रहा है।

ड्यूटी करने के बाद भी वेतन कटौती की जा रही...
छग वन कर्मचारियों संघ के सुकमा जिला अध्यक्ष एसएल एडला ने कहा कि विगत एक वर्ष से वनमंडल अधिकारी द्वारा तानाशाह रवैया अपनाया जा रहा है। ड्यूटी करने के बाद भी कर्मचारियों को अनुपस्थित बताते हुए वेतन की कटौति की जा रही है। अनिल कुमार तेता और माड़वी नंदा को नियम विरुद्ध निलंबित कर बहाल किया गया है। उक्त दोनों कर्मचारियों के निलंबन अवधि का वेतन पारित नही किया गया है।





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