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SPECIAL: विश्व भूगर्भ जल दिवस आज, Lock down ने अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को दिया जीवनदान

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Published : Jun 10, 2020, 8:14 AM IST

Updated : Jun 10, 2020, 8:28 AM IST

आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है. इस साल लॉकडाउन इफेक्ट के कारण भीषण गर्मी में भी कहीं भी जलस्तर कम नहीं हुआ, जो इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही.

world ground water day today
विश्व भूगर्भ जल दिवस आज

कोरबा: ''जल ही जीवन है'' ये महज़ एक स्लोगन नहीं, बल्कि जीवन का सार और आधार दोनों है. इसे बचपन से हमने किताबों में भी पढ़ा और इसे जन-जन तक पहुंचाया भी गया, लेकिन लोग जल के प्रति लापरवाही बरतते रहे. शहरों में कंक्रीट के जंगल खड़े होते रहे और भूगर्भ जल को संचित रखने के प्रयास कम से कम होते गए.

विश्व भूगर्भ जल दिवस आज

भूगर्भीय जलस्तर में इजाफा

कोरबा की पहचान ऊर्जाधानी के तौर पर है. बड़े-बड़े पॉवर प्लांट हों या फिर छोटी औद्योगिक ईकाइयां, इन्हें चलाने के लिए पानी की जरूरत होती है. बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों को हसदेव नदी से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन ऐसी औद्योगिक ईकाइयों की जिले में कोई कमी नहीं है, जो भूगर्भ जल से अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं. लॉकडाउन के दौरान उद्योग और कारखाने पूरी तरह से बंद रहे. इसका फायदा ये हुआ कि इस साल अंडरग्राउंड वॉटर लेवल में इजाफा देखने को मिला है.

जिले के हैंडपंप में पानी का जलस्तर

विकासखंडजलस्तर (मीटर में)हैंडपंप की संख्या
कोरबा16 से 192527
करतला14 से 182225
कटघोरा15 से 191767
पाली15 से 193663
पोड़ी उपरोड़ा16 से 223790

हर साल गर्मी के दिनों में पानी की होती थी परेशानी

भीषण गर्मी में भी जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक भी हैंडपंप ऐसा नहीं है, जो जलस्तर कम होने से सूखा हो. इससे पहले हर साल गर्मी के दिनों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) ऐसे हैंडपंप की मरम्मत करने में हमेशा परेशान रहता था, जो गर्मी के शुरू होते ही सूख जाते थे. इसका एकमात्र कारण भूगर्भ जलस्तर का नीचे चला जाना होता था, लेकिन इस साल जिले में ऐसी परिस्थितियां बनी ही नहीं.

सही मायने में इस बार विश्व भूगर्भ जल दिवस पर "जल ही जीवन है" का स्लोगन यथार्थ रूप में सामने आया है. आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है और इस साल भले मजबूरी में ही सही हमने प्रकृति को वो तोहफा दिया है, जिसकी उम्मीद शायद नेचर ने इंसानों से कभी नहीं की होगी. लेकिन जरूरत है जल को संरक्षित रखने की इस मुहिम को मजबूरी नहीं बल्कि आदत बनाने की. इसके प्रति गंभीर होने की.

लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम

पिछले तीन महीने में लॉकडाउन की पाबंदियों से जहां एक ओर लोग परेशान रहे, तो वहीं पर्यावरण पर इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं. इसकी बानगी कोरबा जिले में भी देखने को मिली है. जहां आमतौर पर गर्मी के दिनों में सूख जाने वालों हैंडपंप में जलस्तर कम नहीं हुआ है.

लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में बदलाव

जानकार ये भी कहते हैं कि इस साल गर्मी के मौसम में भी नियमित अंतराल पर लगातार बारिश होती रही है, जिससे भूगर्भ जलस्तर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है, बल्कि इसमें वृद्धि ही दर्ज की गई है. गर्मी के दिनों में हैंडपंप में पानी का जलस्तर कम नहीं होने से PHE के अधिकारी जहां राहत महसूस कर रहे हैं, तो वहीं आम लोग भी पानी की समस्या से निजात मिलने से खुश हैं.

कोरबा: ''जल ही जीवन है'' ये महज़ एक स्लोगन नहीं, बल्कि जीवन का सार और आधार दोनों है. इसे बचपन से हमने किताबों में भी पढ़ा और इसे जन-जन तक पहुंचाया भी गया, लेकिन लोग जल के प्रति लापरवाही बरतते रहे. शहरों में कंक्रीट के जंगल खड़े होते रहे और भूगर्भ जल को संचित रखने के प्रयास कम से कम होते गए.

विश्व भूगर्भ जल दिवस आज

भूगर्भीय जलस्तर में इजाफा

कोरबा की पहचान ऊर्जाधानी के तौर पर है. बड़े-बड़े पॉवर प्लांट हों या फिर छोटी औद्योगिक ईकाइयां, इन्हें चलाने के लिए पानी की जरूरत होती है. बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थानों को हसदेव नदी से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन ऐसी औद्योगिक ईकाइयों की जिले में कोई कमी नहीं है, जो भूगर्भ जल से अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं. लॉकडाउन के दौरान उद्योग और कारखाने पूरी तरह से बंद रहे. इसका फायदा ये हुआ कि इस साल अंडरग्राउंड वॉटर लेवल में इजाफा देखने को मिला है.

जिले के हैंडपंप में पानी का जलस्तर

विकासखंडजलस्तर (मीटर में)हैंडपंप की संख्या
कोरबा16 से 192527
करतला14 से 182225
कटघोरा15 से 191767
पाली15 से 193663
पोड़ी उपरोड़ा16 से 223790

हर साल गर्मी के दिनों में पानी की होती थी परेशानी

भीषण गर्मी में भी जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक भी हैंडपंप ऐसा नहीं है, जो जलस्तर कम होने से सूखा हो. इससे पहले हर साल गर्मी के दिनों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) ऐसे हैंडपंप की मरम्मत करने में हमेशा परेशान रहता था, जो गर्मी के शुरू होते ही सूख जाते थे. इसका एकमात्र कारण भूगर्भ जलस्तर का नीचे चला जाना होता था, लेकिन इस साल जिले में ऐसी परिस्थितियां बनी ही नहीं.

सही मायने में इस बार विश्व भूगर्भ जल दिवस पर "जल ही जीवन है" का स्लोगन यथार्थ रूप में सामने आया है. आज विश्व भूगर्भ जल दिवस है और इस साल भले मजबूरी में ही सही हमने प्रकृति को वो तोहफा दिया है, जिसकी उम्मीद शायद नेचर ने इंसानों से कभी नहीं की होगी. लेकिन जरूरत है जल को संरक्षित रखने की इस मुहिम को मजबूरी नहीं बल्कि आदत बनाने की. इसके प्रति गंभीर होने की.

लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम

पिछले तीन महीने में लॉकडाउन की पाबंदियों से जहां एक ओर लोग परेशान रहे, तो वहीं पर्यावरण पर इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं. इसकी बानगी कोरबा जिले में भी देखने को मिली है. जहां आमतौर पर गर्मी के दिनों में सूख जाने वालों हैंडपंप में जलस्तर कम नहीं हुआ है.

लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में बदलाव

जानकार ये भी कहते हैं कि इस साल गर्मी के मौसम में भी नियमित अंतराल पर लगातार बारिश होती रही है, जिससे भूगर्भ जलस्तर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है, बल्कि इसमें वृद्धि ही दर्ज की गई है. गर्मी के दिनों में हैंडपंप में पानी का जलस्तर कम नहीं होने से PHE के अधिकारी जहां राहत महसूस कर रहे हैं, तो वहीं आम लोग भी पानी की समस्या से निजात मिलने से खुश हैं.

Last Updated : Jun 10, 2020, 8:28 AM IST
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