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विश्व एड्स दिवस: घबराने की नहीं अनुशासन में रहने और सकारात्मक सोच के साथ जीने की जरूरत है

HIV वायरस से संक्रमित होने के बाद भी व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. वह किसी भी व्यक्ति की तरह दीर्घायु हो सकता है. सबसे जरूरी बात ये है कि वह किसी तरह का नशा न ले और संयमित रहकर एक संतुलित दिनचर्या का पालन करें. किसी भी हाल में भूखा न रहे और पौष्टिक आहार का सेवन करें. कोरबा में वर्तमान में 554 मरीज काउंसलिंग सेंटर से दवा ले रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे मरीजों के घर दवा पहुंचाई गई है. ये दवाई न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि उन्हें सफलतापूर्वक जीवन जीने में मदद भी करती है.

Safe sex and self discipline will give freedom from AIDS in korba
जागरूकता से कम हुए एड्स के मरीज
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Published : Dec 1, 2020, 1:37 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 2:29 PM IST

कोरबा: आज विश्व एड्स दिवस है. हर साल 1 दिसंबर को इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों का हौसला बढ़ाने और इसका शिकार होकर जान गंवाने वालों की याद में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1998 में की गई. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कई जागरूकता कार्यक्रम चलाने के बाद भी एड्स के मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है. यहां बीते कुछ सालों में नए मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जन जागरूकता अभियान और जिले में संचालित काउंसलिंग सेंटर के माध्यम से लोग अब एड्स के बारे में खुलकर बात करने लगे हैं.

विश्व एड्स दिवस

अनुशासन सबसे जरूरी

एड्स जैसी लाइलाज और खतरनाक बीमारी का खतरा दवा न होने की वजह से बरकरार है. इससे निपटने के लिए सबसे जरूरी बात है सेल्फ डिसिप्लिन. कोरबा में संचालित काउंसलिंग सेंटर की प्रभारी वीणा मिस्त्री कहती हैं कि एड्स होने के चार कारण होते हैं. जिनमें से एक गर्भवती महिला को उसके होने वाले बच्चे से, एक ही सीरिंज से नशा लेना, संक्रमित खून के जरिए और असुरक्षित यौन संबंध. डॉक्टर का कहना है कि पहले तीन कारणों पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है. वे कहती हैं कि असुरक्षित यौन संबंध से होने वाला एड्स सिर्फ अपने अनुशासन की वजह से रुक सकता है क्योंकि यही एड्स फैलने का सबसे बड़ा कारण है. वीणा मिस्त्री कहती हैं कि एड्स को रोकने के लिए अपने पार्टनर के प्रति वफादार रहना सबसे जरूरी है. लोग सेफ सेक्स करें और अनुशासित रहें, तभी एड्स जैसी बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है.

वितरित की जा रही निशुल्क दवा
एड्स नियंत्रण कार्यक्रम कोरबा जिले में साल 2003 से शुरू हुआ, तब से लेकर अब तक मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही गई है. विभाग का मानना है कि अभी भी जिले की जनसंख्या के हिसाब से मरीजों की संख्या नियंत्रण में है. ऊर्जाधानी होने की वजह से कोरबा जिला एड्स का संक्रमण फैलने के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है. बड़ी तादाद में यहां लोग थोड़े समय के लिए निवास करते हैं और फिर लौटकर चले जाते हैं. इसमें ज्यादातर ट्रक ड्राइवर और बाहर से काम की तलाश में आने वाले लोग शामिल होते हैं. बाहर से आने वाले कई युवा जो नशे के आदी होते हैं, वो अक्सर एक ही सिरिंज से नशा करते हैं. इससे भी ये लाइलाज बीमारी फैलने की आशंका बढ़ जाती है. संचालित ओएसटी सेंटर के माध्यम से युवाओं को जागरूक कर नि:शुल्क दवाई भी बांटी जा रही है. वर्तमान में 554 मरीज काउंसलिंग सेंटर से दवा ले रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे मरीजों के घर दवा पहुंचाई गई है. ये दवाई न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि उन्हें सफलतापूर्वक जीवन जीने में मदद भी करती है.

साल दर साल मरीजों की संख्या

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जागरूकता से कम हुए एड्स के मरीज

जी सकते हैं सामान्य जीवन
जानकार यह भी कहते हैं कि HIV वायरस से संक्रमित होने के बाद भी व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. वह किसी भी व्यक्ति की तरह दीर्घायु हो सकता है. सबसे जरूरी बात ये है कि वह किसी तरह का नशा न ले और संयमित रहकर एक संतुलित दिनचर्या का पालन करें. किसी भी हाल में भूखा न रहे और पौष्टिक आहार का सेवन करें. छोटी-छोटी बातों का पालन करके एड्स के वायरस से संक्रमित व्यक्ति भी न सिर्फ सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है बल्कि वह किसी भी आम व्यक्ति की तरह दीर्घायु बन सकता है.

जिनका CD-4 count 350 से ज्यादा सिर्फ उन्हें दवा की जरूरत

HIV से ग्रसित होने के बाद कई स्तर पर मरीज की जांच की जाती है. काउंसलिंग के साथ ही उसका हर तरह से ध्यान रखा जाता है. जिस मरीज का CD-4 count मतलब वायरस की संख्या 350 से ज्यादा होती है सिर्फ उन्हें ही दवा लेने की जरूरत होती है. CD-4 count 350 से कम होने पर मरीज को दवा लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे मरीज संयमित और संतुलित दिनचर्चा के जरिए एक हेल्दी और हैप्पी लाइफ जी सकते हैं.

कोरबा: आज विश्व एड्स दिवस है. हर साल 1 दिसंबर को इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों का हौसला बढ़ाने और इसका शिकार होकर जान गंवाने वालों की याद में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1998 में की गई. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कई जागरूकता कार्यक्रम चलाने के बाद भी एड्स के मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है. यहां बीते कुछ सालों में नए मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जन जागरूकता अभियान और जिले में संचालित काउंसलिंग सेंटर के माध्यम से लोग अब एड्स के बारे में खुलकर बात करने लगे हैं.

विश्व एड्स दिवस

अनुशासन सबसे जरूरी

एड्स जैसी लाइलाज और खतरनाक बीमारी का खतरा दवा न होने की वजह से बरकरार है. इससे निपटने के लिए सबसे जरूरी बात है सेल्फ डिसिप्लिन. कोरबा में संचालित काउंसलिंग सेंटर की प्रभारी वीणा मिस्त्री कहती हैं कि एड्स होने के चार कारण होते हैं. जिनमें से एक गर्भवती महिला को उसके होने वाले बच्चे से, एक ही सीरिंज से नशा लेना, संक्रमित खून के जरिए और असुरक्षित यौन संबंध. डॉक्टर का कहना है कि पहले तीन कारणों पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है. वे कहती हैं कि असुरक्षित यौन संबंध से होने वाला एड्स सिर्फ अपने अनुशासन की वजह से रुक सकता है क्योंकि यही एड्स फैलने का सबसे बड़ा कारण है. वीणा मिस्त्री कहती हैं कि एड्स को रोकने के लिए अपने पार्टनर के प्रति वफादार रहना सबसे जरूरी है. लोग सेफ सेक्स करें और अनुशासित रहें, तभी एड्स जैसी बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है.

वितरित की जा रही निशुल्क दवा
एड्स नियंत्रण कार्यक्रम कोरबा जिले में साल 2003 से शुरू हुआ, तब से लेकर अब तक मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही गई है. विभाग का मानना है कि अभी भी जिले की जनसंख्या के हिसाब से मरीजों की संख्या नियंत्रण में है. ऊर्जाधानी होने की वजह से कोरबा जिला एड्स का संक्रमण फैलने के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है. बड़ी तादाद में यहां लोग थोड़े समय के लिए निवास करते हैं और फिर लौटकर चले जाते हैं. इसमें ज्यादातर ट्रक ड्राइवर और बाहर से काम की तलाश में आने वाले लोग शामिल होते हैं. बाहर से आने वाले कई युवा जो नशे के आदी होते हैं, वो अक्सर एक ही सिरिंज से नशा करते हैं. इससे भी ये लाइलाज बीमारी फैलने की आशंका बढ़ जाती है. संचालित ओएसटी सेंटर के माध्यम से युवाओं को जागरूक कर नि:शुल्क दवाई भी बांटी जा रही है. वर्तमान में 554 मरीज काउंसलिंग सेंटर से दवा ले रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे मरीजों के घर दवा पहुंचाई गई है. ये दवाई न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि उन्हें सफलतापूर्वक जीवन जीने में मदद भी करती है.

साल दर साल मरीजों की संख्या

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जागरूकता से कम हुए एड्स के मरीज

जी सकते हैं सामान्य जीवन
जानकार यह भी कहते हैं कि HIV वायरस से संक्रमित होने के बाद भी व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. वह किसी भी व्यक्ति की तरह दीर्घायु हो सकता है. सबसे जरूरी बात ये है कि वह किसी तरह का नशा न ले और संयमित रहकर एक संतुलित दिनचर्या का पालन करें. किसी भी हाल में भूखा न रहे और पौष्टिक आहार का सेवन करें. छोटी-छोटी बातों का पालन करके एड्स के वायरस से संक्रमित व्यक्ति भी न सिर्फ सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है बल्कि वह किसी भी आम व्यक्ति की तरह दीर्घायु बन सकता है.

जिनका CD-4 count 350 से ज्यादा सिर्फ उन्हें दवा की जरूरत

HIV से ग्रसित होने के बाद कई स्तर पर मरीज की जांच की जाती है. काउंसलिंग के साथ ही उसका हर तरह से ध्यान रखा जाता है. जिस मरीज का CD-4 count मतलब वायरस की संख्या 350 से ज्यादा होती है सिर्फ उन्हें ही दवा लेने की जरूरत होती है. CD-4 count 350 से कम होने पर मरीज को दवा लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे मरीज संयमित और संतुलित दिनचर्चा के जरिए एक हेल्दी और हैप्पी लाइफ जी सकते हैं.

Last Updated : Dec 1, 2020, 2:29 PM IST
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