कोरबा: चीनी राखियों का ठोस विकल्प और पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत की भावना से ओत-प्रोत, गांव के मिट्टी की सौंधी महक वाली ये राखियां कुछ खास हैं. जिसे कटघोरा की महिला समूह की महिलाओं ने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते वाले पर्व रक्षाबंधन के लिए तैयार किया है. खास बात ये है कि राखियों को बनाने के लिए चावल, गेहूं, धान की बाली, दाल, पैरा, बांस और रुद्राक्ष जैसी वस्तुओं को बेहद अनूठे और रचनात्मक तरीके से उपयोग किया गया है.
10 हजार राखियां बनाने का लक्ष्य
![rakhi on chhattisgarhi theme](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8003829_3.png)
कोरबा जिले के जनपद पंचायत कटघोरा के जननी महिला संकुल संगठन धंवईपुर की महिलाएं चाइनीज राखियों को कड़ी टक्कर देने के लिए छत्तीसगढ़ी थीम पर राखियां बना रही हैं. समूह की 20 से 25 महिलाएं मिलकर पैरा, दाल, चावल के दाने, कौड़ी, गेहूं के दानों और दाल से विभिन्न प्रकार की और नये-नये कलात्मक डिजाइन की राखियां बना रही हैं. इस रक्षा बंधन पर महिलाएं देसी और पूर्ण रूप से छत्तीसगढ़ी स्वरूप वाली करीब 10 हजार राखियां तैयार कर रही है, जिनमें से अब तक 5 हजार राखियां तैयार हो चुकी है.
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छत्तीसगढ़ी थीम पर बनी देसी राखियां
![Mollies and peacock feathers rakhi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8003829_2.png)
![rakhi made from wheat and lentils](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8003829_1.png)
20-25 महिलाओं को मिला रोजगार
जननी महिला संकुल संगठन धंवईपुर की महिलाओं ने यू-ट्यूब की सहायता से इस तरह की राखियों को बनाने की विधि सीखी. और अब इनोवेशन के नये तरीके सीखकर डिजाइनर राखियां बना रही है. समूह की महिलाओं को राखी बनाने के लिए धन की आपूर्ति क्लस्टर द्वारा दी जा रही है. इन राखियों की बिक्री जितनी होगी, महिलाओं की आमदनी भी उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी. जननी महिला संकुल संगठन की अध्यक्ष देवेश्वरी जायसवाल ने बताया कि समूह की 20-25 महिलाएं मिलकर राखी बनाने का काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं ने रेशम व मौली धागा से राखी बनाई है. इसके अतिरिक्त गेहूं, धान, चावल, मूंग, मोर पंख, कौड़ी, शंख और पैरा से भी देसी राखी बनाने का काम कर रही हैं.
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तकिया, बच्चों के खिलौने, पापड़ भी बना रही महिलाएं
जननी महिला संगठन की महिलाएं घरेलू सामान जैसे तकिया, बच्चों के खिलौने, पापड़, अगरबत्ती, साबुन और मिट्टी से बने सजावट के रंगीन सामान भी बना रही है. इसके अलावा इस कोरोना काल में सबसे महत्वपूर्ण मास्क और सैनिटाइजर भी बना रही है. महिलाओं ने लगभग 20 हजार कपड़े के मास्क तैयार किए है. और पूरे जिले में इन मास्क की सप्लाई कर रही है.
![women becoming self reliant](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-krb-01-rakhisvadeshe-mahilasamiti-avb-cgc10034_12072020223500_1207f_1594573500_466.jpg)
कुछ समय पहले कोरोना वायरस का हाॅट स्पाट बन चुके कटघोरा की महिलाएं अब कोरोना को मात देने के साथ आत्मनिर्भर बन रही है. ताकि कोरोना से जंग जीतने के साथ ही एक खुशहाल जीवन जी सके.