कोरबा: महिला स्वसहायता समूह अपनी आय बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण करते हुए पेड़ों की सुरक्षा का नैतिक दायित्व भी निभा रही हैं. 10 से ज्यादा स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से पौधों की सुरक्षा के लिए बांस के आकर्षक और मजबूत ट्री-गार्ड बनाए हैं. इन ट्री-गार्डों को 450 रूपए प्रतिनग के हिसाब से वन विभाग को बेचा जा रहा है. चालू मानसून मौसम में किए जा रहे वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत लगाए जा रहे पौधों को जानवरों की चराई से बचाने के लिए वन विभाग इन ट्री-गार्डो का उपयोग कर रहा है.
जिले की स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने अबतक 6 हजार 230 ट्री-गार्ड बना लिए है. लगभग एक हजार ट्री-गार्ड वन विभाग को उपलब्ध करा दिए गए हैं. अभी तक लगभग एक हजार ट्री-गार्डों को वन विभाग को बेचकर स्वसहायता समूहों की महिलाओ ने तीन-चार महीने में ही साढ़े चार लाख रूपए से ज्यादा का व्यवसाय कर लिया है.
अभी तक लगाए जा चुके हैं इतने ट्री-गार्ड
- कटघोरा विकासखंड में 450 ट्री-गार्ड
- करतला विकासखंड में करीब 5 हजार ट्री-गार्ड
- पाली विकासखंड में 480 ट्री-गार्ड
- कोरबा विकासखंड में 200 ट्री-गार्ड
- पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में 100 ट्री-गार्ड
कोरबा जिले में रोशनी महिला स्वसहायता समूह जेंजरा, जयगुरूदेव स्वसहायता समूह बतारी, लक्ष्मी स्वसहायता समूह उड़ता, मड़वारानी स्वसहायता समूह बक्साही, जयसत्य कबीर समूह बिरदा और काव्य स्वसहायता समूह देवलापाट जैसे 10 से ज्यादा समूहों की महिलाएं बांस से ट्री-गार्ड बनाने का काम कर रही हैं.
महिला समूहों को हो रहा डेढ़-दो लाख का फायदा
करतला विकासखंड के देवलापाट के काव्या स्वसहायता समूह की अध्यक्षा रूकमणी बाई बताती हैं कि महिला समूहो को ट्री-गार्ड बनाने के इस काम में अच्छा फायदा हो रहा है. बांस के एक ट्री-गार्ड को बनाने में औसतन 250 रुपए की लागत आती है. 450 रूपए में बेचने से लगभग 200 रूपए का फायदा हो जाता है. ऐसे में तीन-चार महीने बरसात के मौसम में ट्री-गार्ड बनाने के काम से डेढ़-दो लाख रूपए का फायदा समूहों को हो रहा है.
ट्री-गार्ड बनाने के काम में लाई जा रही है तेजी
वन प्रबंधन समितियों द्वारा वन विभाग से बांस खरीदकर ट्री-गार्ड बनाए जा रहे हैं. वन प्रबंधन समितियों ने अभी तक 4200 से ज्यादा ट्री-गार्ड कटघोरा वनमंडल में उपलब्ध करा दिए हैं. इसके साथ ही रोपे गए पौधों को बचाए रखने में भी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो रही है.
काव्या स्वसहायता समूह की सचिव गीता साहू पूरे काम का हिसाब किताब रखती हैं. वे बताती हैं कि एक साथ 500 ट्री-गार्ड कटघोरा वन विभाग को बेचकर अभी तक लगभग एक लाख रूपए का फायदा समूह को हो गया है. आगे भी कोरबा के वन विभाग को भी देने के लिए ट्री-गार्ड बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है.
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राष्ट्रीय आजीविका मिशन बिहान से जुड़े सहायक परियोजना अधिकारी अनुराग जैन ने बताया कि सरकार ने वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत इस साल लगाए गए पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड लगाने के निर्देश वन विभाग को दिए हैं. सड़क किनारे, शासकीय परिसरों में होने वाले वृक्षारोपण के पौधों को जानवरों के नुकसान पहुंचाने या चर लेने से बचाने के लिए ट्री-गार्ड लगाना अनिवार्य किया गया है.
वन विभाग ने बांस से बने चैकोर आकार के ट्री-गार्ड की कीमत 450 रूपए प्रतिनग तय की है. ट्री-गार्ड बनाने के काम में वन प्रबंधन समितियों और स्वसहायता समूह की महिलाओं को लगाया गया है. रियायती दरों पर वन विभाग के निस्तार डिपो से बांस पर्याप्त मात्रा में समूह और समितियों को उपलब्ध कराया जा रहा है.