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वट सावित्री: पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा व्रत, 108 बार की बरगद की परिक्रमा - social distancing in korba

शुक्रवार को महिलाओं ने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए वट सावित्री का व्रत किया. महिलाओं ने शासन के आदेश का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंस रखकर वट सावित्री की पूजा की.

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पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा व्रत
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Published : May 22, 2020, 6:21 PM IST

कोरबा: जिले के दीपका नगर पालिका क्षेत्र में उर्जा नगर कॉलोनी में निवासरत महिलाओं ने परशुराम भवन में वट सावित्री की पूजा की.इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. कहा जाता है वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों और पत्तियों में भगवान शिव का वास होता है.

बता दें कि शासन के आदेश का पालन करते हुए महिलाओं ने यह व्रत सोशल डिस्टेंस बनाकर किया. महिलाओं ने वटसावित्री का उपवास रख कर वट के वृक्ष में जाकर पूजा अर्चना की.

पढ़े:आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की, फिक्की महासचिव ने फैसले का स्वागत किया

महिला ने बताया धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. उसी समय से सुहागिनों की ओर से वट सावित्री की पूजा की जाती है. इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन कर वटवृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं.

पति की लंबी उम्र की कामना

इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं. पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर लगभग हर समुदाय के लोग वट सावित्री की पूजा अर्चना करते हैं. सुहागिन महिलाओं के लिए यह पूजा का एक विशेष महत्व है.

वट सावित्री व्रत का महत्‍व

वट का मतलब होता है बरगद का पेड. बरगद एक विशाल पेड़ होता है. इसमें कई जटाएं निकली होती हैं. इस व्रत में वट का बहुत महत्व है. कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे स‍ावित्री ने अपने पति को यमराज से वापस पाया था. सावित्री को देवी का रूप माना जाता है. हिंदू पुराण के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. मान्यता के अनुसार ब्रह्मा वृक्ष की जड़ में, विष्णु इसके तने में और शि‍व उपरी भाग में रहते हैं. यही वजह है कि यह माना जाता है कि इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

कोरबा: जिले के दीपका नगर पालिका क्षेत्र में उर्जा नगर कॉलोनी में निवासरत महिलाओं ने परशुराम भवन में वट सावित्री की पूजा की.इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. कहा जाता है वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों और पत्तियों में भगवान शिव का वास होता है.

बता दें कि शासन के आदेश का पालन करते हुए महिलाओं ने यह व्रत सोशल डिस्टेंस बनाकर किया. महिलाओं ने वटसावित्री का उपवास रख कर वट के वृक्ष में जाकर पूजा अर्चना की.

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महिला ने बताया धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. उसी समय से सुहागिनों की ओर से वट सावित्री की पूजा की जाती है. इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन कर वटवृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं.

पति की लंबी उम्र की कामना

इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं. पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर लगभग हर समुदाय के लोग वट सावित्री की पूजा अर्चना करते हैं. सुहागिन महिलाओं के लिए यह पूजा का एक विशेष महत्व है.

वट सावित्री व्रत का महत्‍व

वट का मतलब होता है बरगद का पेड. बरगद एक विशाल पेड़ होता है. इसमें कई जटाएं निकली होती हैं. इस व्रत में वट का बहुत महत्व है. कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे स‍ावित्री ने अपने पति को यमराज से वापस पाया था. सावित्री को देवी का रूप माना जाता है. हिंदू पुराण के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. मान्यता के अनुसार ब्रह्मा वृक्ष की जड़ में, विष्णु इसके तने में और शि‍व उपरी भाग में रहते हैं. यही वजह है कि यह माना जाता है कि इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

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