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भारी बारिश का कहर : दीपका कोल माइंस में भरा पानी, कोयला खनन ठप

जिले में बीते चार-पांच दिनों से झमाझम बारिश हो रही है, जिसके चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बारिश ने इलाके के लोगों का हाल बद से बद्तर कर दिया है. भारी बारिश की वजह से कोल माइंस में भी पानी पूरी तरह से भर गया है.

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Published : Sep 30, 2019, 8:05 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 10:54 AM IST

कोल माइंस में भरा पानी

कोरबा: देश के कई हिस्सों में बारिश ने एकबार फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया है. जिले में बीते चार-पांच दिनों से झमाझम बारिश हो रही है. यहां छोटी-बड़ी नदी नालों से लेकर सड़कों पर भी घुटनेभर पानी बह रहा है, जिससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. लगातार बारिश की वजह से एशिया की नामी खदानों में से एक दीपका कोल माइंस में भी जलभराव हो गया है.

भारी बारिश का कहर

प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से सड़कों और अन्य क्षेत्रों में जलभराव हो गया है. बारिश ने इलाके के लोगों का हाल बद से बद्तर कर दिया है. रविवार दोपहर के बाद लीलागर नदी के प्रवाह की धारा बदल गई. नदी का पानी चैनपुर के पास से दीपका खदान की में पानी भर गया. खदान में पानी भरने से अंदर काम कर रहे मजदूर वहां फंस गए थे, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया.

कोल माइंस में भरा पानी
कोल माइंस में भरा पानी

पढ़े- कोरबा में 5 दिनों से हो रही बारिश, लोगों का घर से निकलना हुआ मुश्किल

खदान में लगे तीन कन्वेयर बेल्ट और मोटर पानी में डूब गए हैं. पानी भरने की वजह से कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया गया है. इससे कोयला खनन ठप है. पानी तेजी से खदान में घुस रहा है. इसे रोकने के लिए अभी तक की गई सभी कोशिशें विफल हो रहे हैं. सूचना मिली है कि खदान में कर्मियों के घुसने पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही खदान के बाहर सुरक्षा बल को तैनात किया गया है.

दीपका कोल माइंस
दीपका कोल माइंस

कोयला उत्पादन घटकर हो गया आधा
बता दें कि खदान से सीपत संयंत्र और बड़े संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति की जाती है. खदान एसईसीएल का मेगा प्रोजेक्ट है. इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 35 मिलियन टन है और यहां से प्रतिदिन एनटीपीसी सीपत संयंत्र को रोजाना 40 हजार टन कोयले की आपूर्ति रेल मार्ग से होती है. बारिश के मौसम में पहले से ही खदान में कोयला उत्पादन घटकर आधा हो गया है. इस स्थिति में खदान में पानी भरने की घटना से प्रबंधन के लिए एनटीपीसी के सीपत संयंत्र को कोयले की आपूर्ति जारी रखना चुनौती बन गया है. सीपत संयंत्र में स्टॉक की कमी है. ऐसे में संयंत्र को कोयला की पूर्ति कराना एक चुनौती बन गई है.

दीपका कोल माइंस
भारी बारिश का कहर

कोरबा: देश के कई हिस्सों में बारिश ने एकबार फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया है. जिले में बीते चार-पांच दिनों से झमाझम बारिश हो रही है. यहां छोटी-बड़ी नदी नालों से लेकर सड़कों पर भी घुटनेभर पानी बह रहा है, जिससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. लगातार बारिश की वजह से एशिया की नामी खदानों में से एक दीपका कोल माइंस में भी जलभराव हो गया है.

भारी बारिश का कहर

प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से सड़कों और अन्य क्षेत्रों में जलभराव हो गया है. बारिश ने इलाके के लोगों का हाल बद से बद्तर कर दिया है. रविवार दोपहर के बाद लीलागर नदी के प्रवाह की धारा बदल गई. नदी का पानी चैनपुर के पास से दीपका खदान की में पानी भर गया. खदान में पानी भरने से अंदर काम कर रहे मजदूर वहां फंस गए थे, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया.

कोल माइंस में भरा पानी
कोल माइंस में भरा पानी

पढ़े- कोरबा में 5 दिनों से हो रही बारिश, लोगों का घर से निकलना हुआ मुश्किल

खदान में लगे तीन कन्वेयर बेल्ट और मोटर पानी में डूब गए हैं. पानी भरने की वजह से कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया गया है. इससे कोयला खनन ठप है. पानी तेजी से खदान में घुस रहा है. इसे रोकने के लिए अभी तक की गई सभी कोशिशें विफल हो रहे हैं. सूचना मिली है कि खदान में कर्मियों के घुसने पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही खदान के बाहर सुरक्षा बल को तैनात किया गया है.

दीपका कोल माइंस
दीपका कोल माइंस

कोयला उत्पादन घटकर हो गया आधा
बता दें कि खदान से सीपत संयंत्र और बड़े संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति की जाती है. खदान एसईसीएल का मेगा प्रोजेक्ट है. इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 35 मिलियन टन है और यहां से प्रतिदिन एनटीपीसी सीपत संयंत्र को रोजाना 40 हजार टन कोयले की आपूर्ति रेल मार्ग से होती है. बारिश के मौसम में पहले से ही खदान में कोयला उत्पादन घटकर आधा हो गया है. इस स्थिति में खदान में पानी भरने की घटना से प्रबंधन के लिए एनटीपीसी के सीपत संयंत्र को कोयले की आपूर्ति जारी रखना चुनौती बन गया है. सीपत संयंत्र में स्टॉक की कमी है. ऐसे में संयंत्र को कोयला की पूर्ति कराना एक चुनौती बन गई है.

दीपका कोल माइंस
भारी बारिश का कहर
Intro: कोरबा :- एशिया की नामी खदानों में से एक दीपका कोल माइंस में लीलागर नदी का पानी घुसा, डूबने लगी मशीनें, जिससे कर्मियों में अफरा-तफरी मच गई है। घंटो मशक्कत के बाद मजदूरों को बाहर निकाला गया है..Body: जिले में हो रही भारी बारिश से नदी नाले उफान पर हैं। पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश होने से लीलागर नदी में जलस्तर बढ़ गया है। रविवार दोपहर बाद लीलागर नदी के प्रवाह की धारा बदल गई। नदी का पानी चैनपुर के पास से दीपका खदान की ओर जाना शुरू हो गया है। सूर्य ढलने से पहले लीलागर का पानी दीपका खदान में घुसने लगा। खदान में जल स्तर बढऩे लगा, भारी मशीनें पानी मे डूबने लगी। बड़ी मशक्कत के बाद खदान में फंसे मजदूरों को बाहर निकाले गया खदान में लगे तीन कन्वेयर बेल्ट और मोटर पानी में डूब गए हैं। इससे कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया गया है। दीपका खदान में कोयला खनन ठप हो गया है। कॉलोनी में भी पानी भरा हुआ है। पानी तेजी से खदान में घुस रहा है। इसे रोकने के लिए अभी तक किए सभी प्रयास असफल रहे हैं। सूचना है कि खदान में कर्मियों के घुसने पर रोक लगा दी गई है। खदान के बाहर सुरक्षा बल को तैनात किया गया है।

दीपका खदान से कोयला सीपत संयंत्र तथा देश के बड़े संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति की जाती है। दीपका खदान एसईसीएल का मेगा प्रोजेक्ट है। इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 35 मिलियन टन है। यहां से प्रतिदिन एनटीपीसी सीपत संयंत्र को रोजाना 40 हजार टन कोयले की आपूर्ति रेल मार्ग से होती है। बारिश के मौसम में पहले से ही खदान में कोयला उत्पादन घट कर आधा हो गया है। इस स्थिति में खदान में पानी भरने की घटना से प्रबंधन के लिए एनटीपीसी के सीपत संयंत्र को कोयले की आपूर्ति जारी रखना चुनौती बन गया है। सीपत संयंत्र में स्टॉक की कमी है। संयंत्र में कोयला क्रिटिकल स्थिति में है।Conclusion:..
Last Updated : Sep 30, 2019, 10:54 AM IST
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