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कोरबा: राखड़ डैम के रासायनिक पानी से बंजर हो रहे खेत, ग्रामीणों ने की शिकायत

ग्रामीणों ने राखड़ डैम की राख ग्रामीणों की जमीन में डंप करने के कारण, उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी शिकायत करते हुए उन्होंने बालको प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई के साथ ही समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.

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Published : Nov 20, 2019, 1:04 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 1:36 PM IST

ग्रामीणों ने की शिकायत

कोरबा: रोगरही गांव के ग्रामीणों ने बालको प्रबंधन के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत की है. यह शिकायत बालको प्रबंधन की ओर से आदिवासियों के निजी जमीन पर पावर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ डंप किए जाने पर की गई है.

राखड़ डैम की राख से परेशान ग्रामीणों ने की कलेक्टर से शिकायत

इस राखड़ से गांव का पर्यावरण दूषित हो रहा है, ग्रामीणों की फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है. वर्तमान में राख गांव की सड़कों तक पहुंच चुका है, जिससे पैदल चलने में भी परेशानी हो रही है. पीने का पानी भी प्रदूषण की चपेट में आ गया है. इसलिए ग्रामीण गांव की सरपंच चंदाबाई के साथ शिकायत करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बालको प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई की मांग करते हुए, समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.

पढ़ें- युवा कांग्रेस का SECL प्रबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, सड़क के गढ्ढों पर बैठकर लगाए नारे

शिकायती पत्र में जमीन अधिग्रहरण का उल्लेख

  • बालको ने ग्राम रोगबाहरी में सन 1990 में 44 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था. तब से अब तक चार बार इस गांव के आसपास की जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है.
  • बालको प्रबंधन ने नौकरी और मुआवजा का वादा भी किया था. लेकिन अब भी ग्रामीणों को नौकरी नहीं मिल सकी है.
  • पत्र में आगे बताया गया है कि राखड़ डेम का निर्माण नियम विरुद्ध किया जा रहा है. जिसकी दीवार से पानी रिस कर गांव में प्रवेश कर रहा है.
  • रासायनिक पानी के रिसाव से यहां के लगभग 33 परिवार की 30 एकड़ भूमि अब बंजर होने की स्थिति में है. इतना ही नहीं गांव की निजी भूमि पर भी राखड़ डंप किया जा रहा है.

कोरबा: रोगरही गांव के ग्रामीणों ने बालको प्रबंधन के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत की है. यह शिकायत बालको प्रबंधन की ओर से आदिवासियों के निजी जमीन पर पावर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ डंप किए जाने पर की गई है.

राखड़ डैम की राख से परेशान ग्रामीणों ने की कलेक्टर से शिकायत

इस राखड़ से गांव का पर्यावरण दूषित हो रहा है, ग्रामीणों की फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है. वर्तमान में राख गांव की सड़कों तक पहुंच चुका है, जिससे पैदल चलने में भी परेशानी हो रही है. पीने का पानी भी प्रदूषण की चपेट में आ गया है. इसलिए ग्रामीण गांव की सरपंच चंदाबाई के साथ शिकायत करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बालको प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई की मांग करते हुए, समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.

पढ़ें- युवा कांग्रेस का SECL प्रबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, सड़क के गढ्ढों पर बैठकर लगाए नारे

शिकायती पत्र में जमीन अधिग्रहरण का उल्लेख

  • बालको ने ग्राम रोगबाहरी में सन 1990 में 44 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था. तब से अब तक चार बार इस गांव के आसपास की जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है.
  • बालको प्रबंधन ने नौकरी और मुआवजा का वादा भी किया था. लेकिन अब भी ग्रामीणों को नौकरी नहीं मिल सकी है.
  • पत्र में आगे बताया गया है कि राखड़ डेम का निर्माण नियम विरुद्ध किया जा रहा है. जिसकी दीवार से पानी रिस कर गांव में प्रवेश कर रहा है.
  • रासायनिक पानी के रिसाव से यहां के लगभग 33 परिवार की 30 एकड़ भूमि अब बंजर होने की स्थिति में है. इतना ही नहीं गांव की निजी भूमि पर भी राखड़ डंप किया जा रहा है.
Intro:कोरबा बालको प्रबंधन के विरुद्ध ग्राम रोगहरी के ग्रामीणों ने शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में ग्रामीणों ने कहा है कि बालको प्रबंधन द्वारा आदिवासियों के निजी भूमि पर पवार प्लांट से उत्सर्जित राखड़ डंप की जा रही है।
जिससे गांव की आबोहवा तो दूषित हो ही रही है। उनके फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। गर्मी में राख के उड़ने से जहां प्रदूषण होता है, वहीं वर्तमान में राख गांव के सड़कों तक पहुच चुका है। जिससे पैदल चलने में भी अब मुश्किल पैदा हो रही है।Body:कलेक्टर को सौंपे शिकायती पत्र में उल्लेख किया गया है कि बालको ने ग्राम रोगबाहरी में सन 1990 में 44 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था। तब से अब तक चार बार इस गांव के आसपास की जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। बालको प्रबंधन ने नौकरी व मुआवजा का वादा किया था। लेकिन अब भी ग्रामीणों को नौकरी नहीं मिल सकती है।
पत्र में आगे उल्लेख किया गया है कि राखड़ डेम का निर्माण नियम विरुद्ध तरीके से किया जा रहा है।
जिसकी दीवार से पानी रिस कर गांव में प्रवेश कर रहा है। रासायनिक पानी के रिसाव से यहां के लगभग 33 परिवार की 30 एकड़ भूमि अब बंजर होने की स्थिति में है।
इतना ही नहीं गांव की निजी भूमि पर भी राखड़ डंप किया जा रहा है।
Conclusion:पीने का पानी भी प्रदूषण की चपेट में ग्रामीणों है। ग्रामीण गांव की सरपंच चंदाबाई के साथ शिकायत करने पहुंचे थे। बालको प्रबंधन पर ठोस करवाई की मांग करते हुए, समस्या से निजात दिलाने की मांग ग्रामीणों ने की है।

बाइट। ग्रामीण, फ़ोटो
Last Updated : Nov 20, 2019, 1:36 PM IST
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