कोरबा: कलेक्ट्रेट के सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय परिसर में उस समय हंगामा शुरू हो गया, जब वकीलों का पक्ष सुने बिना ही 4 लोगों को जेल भेजे जाने के आदेश की जानकारी फैल गयी. आक्रोशित वकीलों ने कार्यालय के क्लर्क पर लेनदेन का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. देर शाम तक चले शोरगुल के बाद चारों आरोपियों की जमानत मंजूर की गई, तब जाकर मामला शांत हुआ.
ये है पूरा मामला जिससे हुआ हंगामा : अलग-अलग थाना क्षेत्र से धारा 151 के पांच प्रकरण सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस में पेश किए गए. जिसमें एक प्रकरण पति पत्नी के बीच मामूली विवाद का भी था. मामले में पुलिस ने पति के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की थी. जिसके लिए आरोपी ने अपनी वकील वर्षा सारथी को नियुक्त किया था. वकील ने अपने क्लाइंट से केस से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स लिए और उन्हें कोर्ट में पेश किया. देर शाम वकील को जानकारी मिली कि प्रकरण बिना सुने ही क्लांइट को जेल भेजने का आदेश जारी किया गया है.
भड़के सीनियर वकील पहुंचे मजिस्ट्रेट ऑफिस: इस बात से नाराज वकील वर्षा ने सीनियर वकीलों को इसकी जानकारी दी. खबर मिलते ही संघ के जिलाध्यक्ष संजय जायसवाल सहित दूसरे वकील मजिस्ट्रेट ऑफिस पहुंच गए. उन्होंने बिना पक्ष सुने जेल वारंट जारी किए जाने को गलत ठहराया. संघ के जिलाध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि 151 के पांच प्रकरण पेश किए गए थे. जिसमें एक प्रकरण में ही जमानत दी गई. जबकि 151 में मुचलका भरकर जमानत का प्रावधान है. बाबू द्वारा रकम की मांग की जाती है. यह गलत है, डेस्क में बैठकर पक्ष सुनना जरूरी है. लेकिन पक्ष नहीं सुना जा रहा है.
बाबू के द्वारा सब दस्तावेज तैयार किया गया. हमसे कहा गया कि वे सीतामढ़ी में रहते हैं, उनसे सीतामढ़ी जाकर साइन कराया जाएगा. हम इंतजार कर रहे थे. हमें न तो जमानत के बारे में और न ही कोई अन्य जानकारी दी गई. वे सीधे चेंबर से जेल भेजने का आदेश जारी करा लाए, जबकि मजिस्ट्रेट कोर्ट आए ही नहीं. उन्होंने अभियुक्त को देखा भी नहीं है. हमने मुचालका जमानत के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किया था, पट्टा पेश करने भी तैयार थे. हमसे बाबू ने दो से ढाई हजार रुपये की मांग की थी. हमने अपनी बात रखी जिसे सुने ही नहीं, वे सीधे चले गए.-वर्षा सारथी, वकील
हंगामे के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में पदस्थ बाबू छुट्टी पर है. उसकी गैरहाजिरी में कम्प्यूटर ऑपरेटर चंदराम धारी ने प्रकरण पेश किया था. कम्प्यूटर ऑपरेटर का कहना है कि उसने पहली बार प्रकरण पेश किया.चंदराम का कहना है " मैने अपना काम पूरा कर लिया था, साहब को जल्दबाजी थी. उनका फोन भी आ गया था. उन्हें प्रकरण आने की जानकारी दी थी. मैंने अपना काम कर दिया था. किसी भी तरह के पैसों की मांग मेरे द्वारा नहीं की गई है. " प्रकरण बिना सुने आदेश जारी करने के मामले में काफी देर तक चले हंगामें के बाद पांचों प्रकरण में जमानत मंजूर कर ली गई, तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ.