कोरबा: गेवरा एरिया और दीपका एरिया कोल माइंस में केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग पर मंजूरी दे दी है. कोयला उद्योग में इसे लागू करने के निर्णय के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन ने 3 जुलाई से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है.
कमर्शियल माइनिंग का निर्णय कोयला कामगारों के लिए घातक साबित होगा. इसका पुरजोर विरोध करना अत्यंत आवश्यक है. कमर्शियल माइनिंग एक्ट लागू होने से कोयला खान राष्ट्रीयकरण अधिनियम 1972 और 1973 खत्म हो जाएगा. जिस से कोयला उद्योग से जुड़े हजारों कामगारों का भविष्य न केवल अंधकारमय हो जाएगा, बल्कि राष्ट्र की अमूल्य संपदा का भरपूर दोहन का अधिकार मात्र कुछ पूंजीपतियों के पास चला जाएगा. ऐसा श्रमिक संगठन के नेताओं का कहना है.
मजदूरों को गार्ड ने रोका था
फिलहाल निजी क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर को माइंस में जाने से रोकते हुए SECL के कुछ कर्मचारियों को देखा गया, जिसका निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी ने विरोध किया गया.
'कमर्शियल माइनिंग से देश और मजदूरों को नुकसान नहीं'
बता दें कि केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने श्रमिक संगठनों से हड़ताल वापस लेने की अपील की थी. उन्होंने हड़ताल के ठीक एक दिन पहले ही श्रमिकों को राष्ट्रहित का हवाला देते हुए हड़ताल नहीं करने की बात कही है. मंत्री ने बुधवार को कोल इंडिया के 4 संगठनों बीएमएस, एचएमएस, एटक और सीटू के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक ली. मंत्री ने श्रमिकों को आश्ववासन दिया कि कमर्शियल माइनिंग से देश और मजदूरों को कोई हानि नहीं होगी. जबकि विरोध और हड़ताल से देश को नुकसान पहुंच सकता है.
'देश को विशाल कोयला भंडार बनाना है'
उन्होंने बताया कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला रिजर्व रखकर भी चीन आज सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और उपभोक्ता देश है. विकास की दौड़ में चीन को टक्कर देते हुए उससे आगे निकलने के लिए भी यह बेहद जरूरी है कि हम अपने देश में मौजूद विशाल कोयला भंडार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें.