कोरबा: लॉकडाउन में जरूरतमंद मरीजों को घर बैठे चिकित्सकीय परामर्श दिलाने के लिए बनाए गए टेलीमेडिसिन योजना को बेहतर रेस्पॉन्स नहीं मिल रहा है. फोन कॉल पर परामर्श देने वाली इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में पूरे दिन में सिर्फ 10 फोन कॉल ही आ रहे हैं, जबकि सामान्य दिनों जिले के प्रत्येक निजी चिकित्सक से औसतन 100 मरीज परामर्श लेने पहुंचते हैं.
लॉकडाउन लागू किए जाने के लगभग 1 महीने बाद जिले में टेलीमेडिसिन की योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत शहर के पुराना बस स्टैंड के पास स्थित रानी धनराज कुंवर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कंट्रोल रूम बनाया गया था. यहां 2 सरकारी चिकित्सक की ड्यूटी लगाई गई है, जो जरूरतमंद मरीजों के फोन कॉल अटेंड करेंगे और उन्हें परामर्श देंगे.
रोजाना आते हैं सिर्फ 10 कॉल
आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को व्हाट्सएप के माध्यम से भी प्रिसक्रिप्शन भेजे जाने की व्यवस्था है. इस योजना के लिए शहर के विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी ड्यूटी लगाई गई थी. वहीं कंट्रोल रूम में ETV भारत की टीम ने जानकारी ली, तो इस दौरान सिर्फ दो सरकारी चिकित्सक ही वहां मौजूद थे, जबकि उन्होंने यह बताया कि निजी चिकित्सकों को कॉन्फ्रेंस पर लेकर मरीजों से बात करा दी जाती है. यह भी जानकारी मिली कि योजना के पहले दिन 29 कॉल आए थे. इसके बाद रोजाना सिर्फ 10 कॉल आ रहे हैं.
जिला अस्पताल में औसतन 400 ओपीडी
कोरबा जिले की कुल आबादी 12.50 लाख है. जहां दूर-दूर से लोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श लेने शहर पहुंचते हैं. अकेले जिला अस्पताल में ही रोजाना औसतन 400 ओपीडी दर्ज होती है. जबकि आईएमएस से जुड़े 100 से ज्यादा चिकित्सक जिले में मौजूद हैं. प्रत्येक निजी चिकित्सकों के पास एक दिन में 100 से भी ज्यादा लोग परामर्श लेने पहुंचते हैं. ऐसे में टेलीमेडिसिन की योजना के तहत रोजाना सिर्फ 10 फोन कॉल आना. इस योजना पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ लोगों को लॉकडाउन में इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.