कोरबा: कुसमुंडा के चंद्र नगर में दिलहरण पटेल नाम के शख्स ने मुआवजा नहीं मिलने की वजह से 13 जून को खुदकुशी की कोशिश की थी. जिसकी इलाज के दौरान शनिवार को मौत हो गई. मरने से पहले दिलहरण पटेल ने एक वीडियो बनाया था. जिसमें उसने दावा किया था कि एसईसीएल, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने उसकी जमीन का अधिग्रहण किया था. उसके बाद न तो उसे मुआवजा मिला और न ही उसे नौकरी मिली. जिसकी वजह से वह मौत को गले लगा रहा है. वह बीते 6 महीने से नौकरी और मुआवजे के लिए चक्कर काट रहा था. लेकिन उसकी सारी कोशिश बेकार चली गई. यह सब बातें दिलहरण पटेल ने सुसाइड करने से पहले वीडियो में बताया. इस बात की जानकारी कोरबा पुलिस ने दी है.
दिलहरण पटेल की मौत पर पुलिस ने क्या कहा: दिलहरण पटेल के सुसाइड पर कोरबा पुलिस की तरफ से कुसमुंडा थाना प्रभारी कृष्ण कुमार वर्मा ने मीडिया को जानकारी दी है. चंद्र नगर जटराज गांव निवासी दिलहरण पटेल को जहर खाने के बाद 13 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और शनिवार सुबह उसकी मौत हो गई. शुरुआती जांच में पता चला है कि, एसईसीएल ने उनके बेटे को एक निजी फर्म में नौकरी दी थ.। आगे की जांच की जा रही है कि उसने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया. अभी के लिए, दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट दर्ज की गई है.
दिलहरण पटेल की मौत पर एसईसीएल का बयान: एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनिश चंद्रा ने कहा कि दिलहरण पटेल सरकारी जमीन पर कब्जा कर रह रहे थे.इसलिए वह केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और कोल इंडिया लिमिटेड की पुनर्वास और नौकरी की नीति के तहत पात्र नहीं थे. हालांकि, मृतक के बेटे मुकेश पटेल को SECL के लिए काम करने वाली एक सरफेस माइनर कंपनी में नौकरी दी गई थी. पटेल के घर का सर्वे किया गया था और 2.50 लाख रुपये का मुआवजा तय किया गया था. प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी और बहुत जल्द उन्हें पैसा मिल जाएगा".
कोरबा में एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ वर्षों से भूविस्थापित लोग नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं. एसईसीएल का दावा है कि वह पुनर्वास नीति के तहत लोगों को मुआवजा और नौकरी दे रही है. लेकिन अब दिलहरण पटेल की इस घटना ने एसईसीएल पर कई गंभीर और सवालिया निशान लगाए हैं.
सोर्स: पीटीआई