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Strawberry Cultivation in kartala of korba: कोरबा में स्ट्रॉबेरी की खेती, जानिए कब तैयार होगी फसल

स्ट्रॉबेरी की खेती पहाड़ी क्षेत्रों के मुकाबले मैदानी क्षेत्रों में अब बड़े पैमाने पर की जाने लगी है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्‍ट्र कई अन्य राज्यों के किसान इसकी खेती में दिलचस्पी लेने लगे हैं. परम्परागत खेती के मुकाबले स्ट्रॉबेरी की खेती अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की श्रेणी में गिना जाता है.यही कारण है कि अब छत्तीसगढ़ में भी इसकी खेती शुरु हुई है.

Strawberry Cultivation in kartala of korba
कोरबा में अब स्ट्रॉबेरी की मिठास
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Published : Jan 30, 2023, 8:43 PM IST

Updated : Jan 30, 2023, 11:51 PM IST

कोरबा में अब स्ट्रॉबेरी की मिठास

कोरबा : स्ट्रॉबेरी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो, जो इस आकर्षक फल के खट्टे मीठे स्वाद का मुरीद न हो. लेकिन, इसकी फसल ठंडे प्रदेशों में ही होती है.छत्तीसगढ़ जैसे गर्म इलाकों में फल पहुंचते-पहुंचते या तो फ्रेश नहीं रहते या फिर काफी सूख जाते हैं. अब छत्तीसगढ़ को भी फ्रेश स्ट्रॉबेरी का स्वाद चखने का मौका मिलने वाला है. कोरबा के करतला ब्लॉक में किसानों ने स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई है. पौधों में फूल लग गये हैं. सब ठीक रहा तो फरवरी माह में करतला से फ्रेश स्ट्रॉबेरी की पहली खेप मिलेगी.


कितने किसानों ने की है स्ट्रॉबेरी की खेती : करतला के गांव नवापारा में महामाया बहुउद्देशीय सहकारी समिति में कृषक उत्पादक संघ कार्य करता है. इसी समूह के 100 किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का निर्णय लिया है. इसकी फसल में कम लागत के साथ ही फायदा अधिक है. इस वजह से छोटे स्तर पर 5 से 10 डिसमिल में किसानों ने फसल लगाई है. करतला से ही ब्लैक राइस की शुरुआत हुई थी. अब फल पर फोकस कर रहे हैं. यहां के किसान नाबार्ड के बाड़ी योजना से जुड़कर पहले से ही काजू और आम की पैदावार भी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- क्रॉप डॉक्टर एप कैसे फसलों के बनेगा वरदान

एक स्थान पर पहले भी लगा चुके हैं स्ट्रॉबेरी : स्ट्रॉबेरी की फसल लेने की शुरुआत करतला में ही ढेंगुरडीह में की गई थी. अब नवापारा में भी स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई गई है. अभी प्रदेश में जशपुर के बगीचा के किसान स्ट्रॉबेरी की फसल ले रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती थोड़ी महंगी भी है. एक एकड़ में 24 हजार तक पौधे लगा सकते हैं. इसमें चार लाख तक की लागत आती है. इसमें उत्पादन 5 से 6 टन होता है. किसानों को 18 से 20 लाख रुपए तक फायदा हो सकता है. स्ट्रॉबेरी फसल के लिए सितंबर से मार्च तक के मौसम को सर्वाधिक अनुकूल माना जाता है.

फरवरी में मिलेंगे पहले फल : समूह से जुड़े किसान इतवार बंजारे ने बताया कि "नवापारा में हम सभी किसान मिलकर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. प्रयोग के तौर पर हमने फिलहाल 5 से 10 एकड़ में पौधे लगा दिए हैं. पौधों की सेहत काफी अच्छी है. उसमें फूल भी लग गए हैं. सब ठीक-ठाक रहा तो फरवरी माह में स्ट्रॉबेरी की पहली फसल मिल जाएगी. फिलहाल छत्तीसगढ़ के जशपुर में इसकी खेती हो रही है. जशपुर और हमारे गांव का मौसम लगभग एक जैसा रहता है. घने वनों के कारण नवापारा और इसके आसपास का तापमान काफी कम रहता है. जिसके कारण यहां स्ट्रॉबेरी की फसल हो सकती है. इसमें अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है, जिससे हम सभी किसान काफी उत्साहित हैं".

कोरबा में अब स्ट्रॉबेरी की मिठास

कोरबा : स्ट्रॉबेरी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो, जो इस आकर्षक फल के खट्टे मीठे स्वाद का मुरीद न हो. लेकिन, इसकी फसल ठंडे प्रदेशों में ही होती है.छत्तीसगढ़ जैसे गर्म इलाकों में फल पहुंचते-पहुंचते या तो फ्रेश नहीं रहते या फिर काफी सूख जाते हैं. अब छत्तीसगढ़ को भी फ्रेश स्ट्रॉबेरी का स्वाद चखने का मौका मिलने वाला है. कोरबा के करतला ब्लॉक में किसानों ने स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई है. पौधों में फूल लग गये हैं. सब ठीक रहा तो फरवरी माह में करतला से फ्रेश स्ट्रॉबेरी की पहली खेप मिलेगी.


कितने किसानों ने की है स्ट्रॉबेरी की खेती : करतला के गांव नवापारा में महामाया बहुउद्देशीय सहकारी समिति में कृषक उत्पादक संघ कार्य करता है. इसी समूह के 100 किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का निर्णय लिया है. इसकी फसल में कम लागत के साथ ही फायदा अधिक है. इस वजह से छोटे स्तर पर 5 से 10 डिसमिल में किसानों ने फसल लगाई है. करतला से ही ब्लैक राइस की शुरुआत हुई थी. अब फल पर फोकस कर रहे हैं. यहां के किसान नाबार्ड के बाड़ी योजना से जुड़कर पहले से ही काजू और आम की पैदावार भी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- क्रॉप डॉक्टर एप कैसे फसलों के बनेगा वरदान

एक स्थान पर पहले भी लगा चुके हैं स्ट्रॉबेरी : स्ट्रॉबेरी की फसल लेने की शुरुआत करतला में ही ढेंगुरडीह में की गई थी. अब नवापारा में भी स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई गई है. अभी प्रदेश में जशपुर के बगीचा के किसान स्ट्रॉबेरी की फसल ले रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती थोड़ी महंगी भी है. एक एकड़ में 24 हजार तक पौधे लगा सकते हैं. इसमें चार लाख तक की लागत आती है. इसमें उत्पादन 5 से 6 टन होता है. किसानों को 18 से 20 लाख रुपए तक फायदा हो सकता है. स्ट्रॉबेरी फसल के लिए सितंबर से मार्च तक के मौसम को सर्वाधिक अनुकूल माना जाता है.

फरवरी में मिलेंगे पहले फल : समूह से जुड़े किसान इतवार बंजारे ने बताया कि "नवापारा में हम सभी किसान मिलकर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. प्रयोग के तौर पर हमने फिलहाल 5 से 10 एकड़ में पौधे लगा दिए हैं. पौधों की सेहत काफी अच्छी है. उसमें फूल भी लग गए हैं. सब ठीक-ठाक रहा तो फरवरी माह में स्ट्रॉबेरी की पहली फसल मिल जाएगी. फिलहाल छत्तीसगढ़ के जशपुर में इसकी खेती हो रही है. जशपुर और हमारे गांव का मौसम लगभग एक जैसा रहता है. घने वनों के कारण नवापारा और इसके आसपास का तापमान काफी कम रहता है. जिसके कारण यहां स्ट्रॉबेरी की फसल हो सकती है. इसमें अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है, जिससे हम सभी किसान काफी उत्साहित हैं".

Last Updated : Jan 30, 2023, 11:51 PM IST
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