ETV Bharat / state

मां मड़वारानी के दरबार में पूरी होती है भक्तों की मनोकामना, नवरात्र में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़

कोरबा का मां मड़वारानी मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जो लोग आज भी मानते हैं. इस मंदिर में नवरात्र के समय लोगों की भीड़ रहती है.

navratra
नवरात्र
author img

By

Published : Oct 18, 2020, 7:30 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 7:50 PM IST

कोरबा: मां मड़वारानी मंदिर पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. यहां मां मड़वारानी के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. यह मंदिर श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है. मान्यता है कि मां मड़वारानी स्वयं प्रकट होकर आस-पास के गावों की रक्षा करती हैं. मां मड़वारानी मंदिर, मड़वारानी पहाड़ की चोटी पर कलमी पेड़ के नीचे स्थित है. मां मड़वारानी मंदिर घने पर्वत पर फूलों और फलदार वृक्षों से ढंका है. यहां जंगली जानवार घूमते देखे जा सकते हैं. यह मार्ग 5 किमी लंबा है, जहां अपनी गाड़ी से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

नवरात्र में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़

मंदिर के पुजारी बताते हैं, उनके दादा-परदादा के सपने में मां मड़वारानी आई थी. उन्होंने कलमी पेड़ पर होने की बात कही थी, तब से मां मड़वारानी की पूजा होने लगी. मान्यता यह भी है कि मां मड़वारानी अपनी शादी के मंडप (मड़वा) को छोड़कर आ गई थी. इस दौरान बरपाली-मड़वारानी रोड में उनके शरीर से हल्दी एक बड़े पत्थर पर गिरा. वह पत्थर पीला हो गया, मां मड़वारानी के मंडप से आने के कारण गांव और पर्वत को मड़वारानी के नाम से जाना जाने लगा.

पढ़ें : SPECIAL: आस्था पर कोरोना का ग्रहण, मां से दूर हुए भक्त

दूसरी प्रसिद्ध कहानी यह है कि मां मड़वारानी भगवान शिव से कनकी में मिलीं. मां मड़वारानी संस्कृत में "मांडवी देवी" के नाम से जानी जाती हैं. यह भी मान्यता है कि कुछ गांव के कलमी पेड़ की पत्तियों में हर नवरात्र जवा अपने आप उग जाता है. एक सांप उसके आस-पास घूमते रहता है. पुजारी ने यह भी बताया कि मड़वारानी मां आसपास के गांव बरपाली, सोहागपुर, भैसमा, मड़वारानी, बाजार में खरीदी करने के लिए आती थी. मगर एक दिन कुछ लोगों ने मड़वारानी मां का पीछा करने लगे तो मड़वारानी मां कलमी पेड़ में जाकर छिप गई.

मां दुर्गा की तीन अन्य मंदिर
मां मड़वारानी मुख्य मंदिर, मड़वारानी पहाड़ के सबसे ऊंची चोटी पर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि एक कलमी वृक्ष के कट जाने के बाद मां मड़वारानी अपने चार बहनों के साथ वहां आई और अपनी शक्ति को वहां रखे पांच पत्थरों में समाहित हो गईं. इसी कारण अब वे पिंड रूप में पूजी जाती हैं. मां मड़वारानी से कुछ ही दूर पर मां दुर्गा की तीन अन्य मंदिर है. मां मड़वारानी मंदिर पहाड़ के ऊपर जाने वाले मार्ग में हनुमान जी की उपस्थति का एहसास होता है. हनुमान मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं के लिए रुकने और खाने की व्यवस्था है.

कई प्राकृतिक स्थल मौजूद

मड़वारानी पहाड़ के नीचे भगवान विष्णु, भगवान शिव, नवदुर्गा एवं राधा-कृष्ण मंदिर भी स्थित है. मां मड़वारानी मंदिर के दर्शन के बाद परिवार और दोस्तों के साथ थीपा-पानी, चुहरी, कोठी-खोला जैसे कई प्राकृतिक स्थल का लुत्फ उठा सकते हैं. हसदेव तट, कुर्रिहा तट, झींका तट, खरहरी स्टॉप डैम पर्यटकों की सर्वाधिक पसंदीदा स्थल है.

कोरबा: मां मड़वारानी मंदिर पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. यहां मां मड़वारानी के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. यह मंदिर श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है. मान्यता है कि मां मड़वारानी स्वयं प्रकट होकर आस-पास के गावों की रक्षा करती हैं. मां मड़वारानी मंदिर, मड़वारानी पहाड़ की चोटी पर कलमी पेड़ के नीचे स्थित है. मां मड़वारानी मंदिर घने पर्वत पर फूलों और फलदार वृक्षों से ढंका है. यहां जंगली जानवार घूमते देखे जा सकते हैं. यह मार्ग 5 किमी लंबा है, जहां अपनी गाड़ी से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

नवरात्र में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़

मंदिर के पुजारी बताते हैं, उनके दादा-परदादा के सपने में मां मड़वारानी आई थी. उन्होंने कलमी पेड़ पर होने की बात कही थी, तब से मां मड़वारानी की पूजा होने लगी. मान्यता यह भी है कि मां मड़वारानी अपनी शादी के मंडप (मड़वा) को छोड़कर आ गई थी. इस दौरान बरपाली-मड़वारानी रोड में उनके शरीर से हल्दी एक बड़े पत्थर पर गिरा. वह पत्थर पीला हो गया, मां मड़वारानी के मंडप से आने के कारण गांव और पर्वत को मड़वारानी के नाम से जाना जाने लगा.

पढ़ें : SPECIAL: आस्था पर कोरोना का ग्रहण, मां से दूर हुए भक्त

दूसरी प्रसिद्ध कहानी यह है कि मां मड़वारानी भगवान शिव से कनकी में मिलीं. मां मड़वारानी संस्कृत में "मांडवी देवी" के नाम से जानी जाती हैं. यह भी मान्यता है कि कुछ गांव के कलमी पेड़ की पत्तियों में हर नवरात्र जवा अपने आप उग जाता है. एक सांप उसके आस-पास घूमते रहता है. पुजारी ने यह भी बताया कि मड़वारानी मां आसपास के गांव बरपाली, सोहागपुर, भैसमा, मड़वारानी, बाजार में खरीदी करने के लिए आती थी. मगर एक दिन कुछ लोगों ने मड़वारानी मां का पीछा करने लगे तो मड़वारानी मां कलमी पेड़ में जाकर छिप गई.

मां दुर्गा की तीन अन्य मंदिर
मां मड़वारानी मुख्य मंदिर, मड़वारानी पहाड़ के सबसे ऊंची चोटी पर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि एक कलमी वृक्ष के कट जाने के बाद मां मड़वारानी अपने चार बहनों के साथ वहां आई और अपनी शक्ति को वहां रखे पांच पत्थरों में समाहित हो गईं. इसी कारण अब वे पिंड रूप में पूजी जाती हैं. मां मड़वारानी से कुछ ही दूर पर मां दुर्गा की तीन अन्य मंदिर है. मां मड़वारानी मंदिर पहाड़ के ऊपर जाने वाले मार्ग में हनुमान जी की उपस्थति का एहसास होता है. हनुमान मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं के लिए रुकने और खाने की व्यवस्था है.

कई प्राकृतिक स्थल मौजूद

मड़वारानी पहाड़ के नीचे भगवान विष्णु, भगवान शिव, नवदुर्गा एवं राधा-कृष्ण मंदिर भी स्थित है. मां मड़वारानी मंदिर के दर्शन के बाद परिवार और दोस्तों के साथ थीपा-पानी, चुहरी, कोठी-खोला जैसे कई प्राकृतिक स्थल का लुत्फ उठा सकते हैं. हसदेव तट, कुर्रिहा तट, झींका तट, खरहरी स्टॉप डैम पर्यटकों की सर्वाधिक पसंदीदा स्थल है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 7:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.