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आप भी हैं होली खेलने के शौकीन, जान लीजिए क्या कहते हैं स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर - होली खेलने के शौकिन

यूं तो सबको में रंग-गुलाल खेलने का शौक होता है. अगर आप भी होली खेलने के शौकीन हैं तो जान लीजिए क्या कहते हैं स्किन स्पेशलिस्ट डॉ आफताब सिद्दीकी...

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स्किन स्पेशलिस्ट
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Published : Mar 16, 2022, 6:59 PM IST

कोरबा: रंगों का पर्व होली आ गया है. लोग होली की तैयारियां करने लगे हैं. कोरोना के प्रकोप के बाद लगभग 2 वर्ष बाद इस बार होली के त्यौहार में भरपूर रौनक रहने की उम्मीद है. होली का त्यौहार खुशी और उमंग के साथ ही रंगो के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्तमान में सिंथेटिक रंगों का उपयोग ज्यादा हो रहा है.जो कि हमारी त्वचा के लिए नुकसानदेह हो सकती है. इसलिए रंगों से होली खेलते वक्त किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए.

इसके साथ ही हर्बल गुलाल या रंग का उपयोग अधिक लाभदायक होता है. घर पर किस तरह से आप हर्बल गुलाल तैयार कर सकते हैं.यह बता रहे हैं जिले के प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ आफताब सिद्दीकी.होली पर बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर ईटीवी भारत ने डॉ सिद्दीकी से खास बातचीत की. जिन्होंने बताया कि होली में किस तरह की सावधानियां बरतकर आप और भी बेहतर तरीके से इसका लुत्फ उठा सकते हैं.

स्किन स्पेशलिस्ट डॉ आफताब सिद्दीकी

सवाल: होली के त्यौहार में रंगों का इस्तेमाल करते वक्त किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?

जवाब: होली में अभी जो प्रचलन बढ़ा है...ज्यादातर सिंथेटिक रंगों का उपयोग हो रहा है. पहले अबीर और गुलाल का उपयोग होता था.जो कि हमारी पुरानी परंपरा रही है. ब्रिज और मथुरा से यह शुरू हुई थी. अब सिंथेटिक रंगों का उपयोग हो रहा है. जिसके बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हैं. इसलिए होली खेलने से पहले हमें कुछ सावधानियां बरतनी होगी. सबसे पहले तो जो फिजिकल प्रिकॉशंस हम ले सकते हैं. वह लें. कई सारे आर्टिफिशियल विग मार्केट में हैं, वह पहने, चश्मा पहनकर बाहर निकलें. कान को बचाकर रखना है. यह ध्यान रखना होगा कि कान के भीतर कोई सिंथेटिक रंग ना जाए. जिससे कि इरिटेशन उत्पन्न हो. आंखों को भी बचाकर रखना है. इसके बाद जो सबसे मुख्य भाग है वह हमारे शरीर की त्वचा को बचाना है. होली खेलने के पहले हमें किसी मॉइसच्युराईजर की एक मोटी परत अपनी त्वचा पर लगा लेनी चाहिए. या ऑलिव ऑयल या फिर साधारण नारियल का तेल जरूर लगाएं. इसकी एक मोटी परत अपने पूरे शरीर पर लगा लें.

इसके बाद एक अच्छा सा सनस्क्रीन क्रीम भी अपने चेहरे पर लगा लें.बालों में भी तेल लगा लें और इसके बाद ही रंग खेलने बाहर जाएं. इससे होगा क्या कि रंग आसानी से छूट जाएंगे और जो चिट का गहरा रंग है. उसका दुष्प्रभाव भी कम होगा. इसके अलावा प्रयास यह भी करें हैं कि ड्राई होली खेलें. यदि पानी वाली होली खेल रहे हैं तो गुलाल का उपयोग करें. चिट का इस्तेमाल ना करें, ये त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. यह चर्बी के साथ मिलकर स्थाई निशान भी बना सकता है.आजकल सिंथेटिक रंगों में हेवी मेटल व अमोनिया भी मिलाया जाता है. ताकि वह गहरा रंग छोड़े, इससे बचना है.

सवाल: यदि कोई एलर्जी वाला व्यक्ति है, जिसे पहले से कोई बीमारी है.उसे क्या सावधानी बरतनी चाहिए या ऐसी कौन सी बीमारी है, जिससे ग्रसित लोगों को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है?

जवाब: खासतौर पर जब एलर्जी की बात आती है तो जिन्हें सामान्य है. दोदरा या पिजगुल है. उन्हें रंगों से थोड़ा सा परहेज करना चाहिए.साथ ही साथ जिन्हें अस्थमा है. उन्हें रंगो से बिल्कुल बचना चाहिए. एक और जरूरी बात यह है कि जिन लोगों को हेयर डाई या मेहंदी लगाने से परेशानी होती है, रिएक्शन होता है. वह इस बात का खास ख्याल रखे हैं कि रंगों से भी उन्हें उतना ही नुकसान पहुंचेगा. इसके अलावा जिन्हें सांस की बीमारी है और ऐसे लोग जिन्हें धूप से परेशानी होती है. चमड़ी का रंग लाल हो जाता है, इस तरह के लोगों को भी रंगों से थोड़ा परहेज करना चाहिए. सिंथेटिक रंग उन पर लंबे समय तक अपना असर छोड़ सकते हैं.

सवाल: होली में कई बार हम देखते हैं कि सिर पर अधिक मात्रा में गुलाल लगा दिया जाता है. क्या इस से भी बचना चाहिए या कोई नुकसान हो सकता है?

जवाब: जी हां, बिल्कुल सिर की चमड़ी जरूर बालों से ढकी होती है. लेकिन होती तो यह भी चमड़ी ही है, तो जब सिर पर बहुत सारा गुलाल डाल दिया जाता है. तब इसके भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं. सर की चमड़ी आसानी से धुल नहीं पाती और जब यह अच्छे से धुलेगी नहीं तब इसमें डैंड्रफ, इरिटेशन, खुजली और हेयर फॉल तक की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए मैंने पहले ही कहा है कि जब भी आप होली खेलने जाएं तो बालों में कम से कम नारियल तेल की एक मोटी परत लगा लें. इससे सर की त्वचा बची रहेगी.
इससे भी अच्छा होगा कि बाजार में उपलब्ध आर्टिफिशियल विग पहन लें, टोपी लगा लें. जिससे कि सर की त्वचा बची रहे. सर की त्वचा की अच्छे से धुलाई नहीं हो पाती जिससे दुष्परिणाम हो सकते हैं. एक और जरूरी बात यह है कि होली के रंगों को निकालने के लिए लोग कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट, सोप का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा बिल्कुल ना करें यह और भी परेशानी खड़ी कर सकता है.रंग छुड़ाने के लिए आप सामान्य बेबी सोप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा उपटन, बेसन दही का भी इस्तेमाल करके रंगों को छुड़ाया जा सकता है. लेकिन किसी भी हाल में कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट, साबुन का इस्तेमाल ना करें.

सवाल: जैसा कि आपने बताया कई बार होली के बाद हम देखते हैं कि रंग आसानी से छूट नहीं पाते तो क्या इसका कोई तरीका है. किस प्रक्रिया के तहत रंग आसानी से छुड़ाया जाए?

जवाब: तेल और क्रीम लगाकर होली खेलने से रंग आसानी से निकल जाएंगे. होली खेलने के बाद नहाते समय माइल्ड सोप का इस्तेमाल करें बेबी सोप लगा लें. लेकिन रगड़कर रंग छुड़ाने का प्रयास बिल्कुल भी ना करें. 14 से 28 दिनों में त्वचा की ऊपरी परत अपने आप ही निकल जाती है.तो यदि रंग नहीं भी छूट रहे हैं तो यह धीरे-धीरे छूट जाएंगे. लेकिन इसे उतारने के लिए रगड़ने और खुरचन का प्रयास ना करें. इससे आपकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है.

सवाल: सिंथेटिक रंगों के अलावा हर्बल रंग भी क्या तैयार किया जा सकता है, इसे घर में तैयार कैसे किया जाए?

जवाब: जी बिल्कुल, इस बात पर मैं हमेशा जोर देता हूं अपने मरीजों से भी कहता हूं. हर्बल रंग का ही इस्तेमाल करने की बात मैं कहता हूं. हम अपने घर में बड़े ही आसानी से लाल भाजी या चुकंदर से रंग तैयार कर सकते हैं. हर किसी को पलाश के फूल उपलब्ध नहीं होते. लेकिन लाल भाजी आसानी से मिल जाएगा. इसे सूजी, आटे के साथ मिलाकर आसानी से रंग तैयार कर सकते हैं. इससे आप होली खेलें, यूट्यूब में भी काफी सारे वीडियो उपलब्ध हैं.

सवाल: रंगों को तैयार करने का सबसे आसान तरीका क्या है?

जवाब- घर में रंग तैयार करने का सबसे सस्ता और आसान तरीका है लाल भाजी. लाल भाजी से लाल और गुलाबी दोनों तरह के रंग तैयार किए जा सकते हैं. इसे आप आटे और सूजी या सस्ते चावल के आटे में मिला लें बहुत बढ़िया रंग आता है. इसके अलावा और चुकंदर का उपयोग कर सकते हैं. नीम के सूखे पत्ते आदि उपलब्ध हो तो इससे गहरा हरा रंग बनाया जा सकता है. तो इस तरह के बहुत सिंपल तरीके से आप घर में ही रंग तैयार कर सकते हैं. नेचुरल तरीके से होली खेलें आपकी होली ज्यादा अच्छी रहेगी.

कोरबा: रंगों का पर्व होली आ गया है. लोग होली की तैयारियां करने लगे हैं. कोरोना के प्रकोप के बाद लगभग 2 वर्ष बाद इस बार होली के त्यौहार में भरपूर रौनक रहने की उम्मीद है. होली का त्यौहार खुशी और उमंग के साथ ही रंगो के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्तमान में सिंथेटिक रंगों का उपयोग ज्यादा हो रहा है.जो कि हमारी त्वचा के लिए नुकसानदेह हो सकती है. इसलिए रंगों से होली खेलते वक्त किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए.

इसके साथ ही हर्बल गुलाल या रंग का उपयोग अधिक लाभदायक होता है. घर पर किस तरह से आप हर्बल गुलाल तैयार कर सकते हैं.यह बता रहे हैं जिले के प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ आफताब सिद्दीकी.होली पर बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर ईटीवी भारत ने डॉ सिद्दीकी से खास बातचीत की. जिन्होंने बताया कि होली में किस तरह की सावधानियां बरतकर आप और भी बेहतर तरीके से इसका लुत्फ उठा सकते हैं.

स्किन स्पेशलिस्ट डॉ आफताब सिद्दीकी

सवाल: होली के त्यौहार में रंगों का इस्तेमाल करते वक्त किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?

जवाब: होली में अभी जो प्रचलन बढ़ा है...ज्यादातर सिंथेटिक रंगों का उपयोग हो रहा है. पहले अबीर और गुलाल का उपयोग होता था.जो कि हमारी पुरानी परंपरा रही है. ब्रिज और मथुरा से यह शुरू हुई थी. अब सिंथेटिक रंगों का उपयोग हो रहा है. जिसके बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हैं. इसलिए होली खेलने से पहले हमें कुछ सावधानियां बरतनी होगी. सबसे पहले तो जो फिजिकल प्रिकॉशंस हम ले सकते हैं. वह लें. कई सारे आर्टिफिशियल विग मार्केट में हैं, वह पहने, चश्मा पहनकर बाहर निकलें. कान को बचाकर रखना है. यह ध्यान रखना होगा कि कान के भीतर कोई सिंथेटिक रंग ना जाए. जिससे कि इरिटेशन उत्पन्न हो. आंखों को भी बचाकर रखना है. इसके बाद जो सबसे मुख्य भाग है वह हमारे शरीर की त्वचा को बचाना है. होली खेलने के पहले हमें किसी मॉइसच्युराईजर की एक मोटी परत अपनी त्वचा पर लगा लेनी चाहिए. या ऑलिव ऑयल या फिर साधारण नारियल का तेल जरूर लगाएं. इसकी एक मोटी परत अपने पूरे शरीर पर लगा लें.

इसके बाद एक अच्छा सा सनस्क्रीन क्रीम भी अपने चेहरे पर लगा लें.बालों में भी तेल लगा लें और इसके बाद ही रंग खेलने बाहर जाएं. इससे होगा क्या कि रंग आसानी से छूट जाएंगे और जो चिट का गहरा रंग है. उसका दुष्प्रभाव भी कम होगा. इसके अलावा प्रयास यह भी करें हैं कि ड्राई होली खेलें. यदि पानी वाली होली खेल रहे हैं तो गुलाल का उपयोग करें. चिट का इस्तेमाल ना करें, ये त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. यह चर्बी के साथ मिलकर स्थाई निशान भी बना सकता है.आजकल सिंथेटिक रंगों में हेवी मेटल व अमोनिया भी मिलाया जाता है. ताकि वह गहरा रंग छोड़े, इससे बचना है.

सवाल: यदि कोई एलर्जी वाला व्यक्ति है, जिसे पहले से कोई बीमारी है.उसे क्या सावधानी बरतनी चाहिए या ऐसी कौन सी बीमारी है, जिससे ग्रसित लोगों को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है?

जवाब: खासतौर पर जब एलर्जी की बात आती है तो जिन्हें सामान्य है. दोदरा या पिजगुल है. उन्हें रंगों से थोड़ा सा परहेज करना चाहिए.साथ ही साथ जिन्हें अस्थमा है. उन्हें रंगो से बिल्कुल बचना चाहिए. एक और जरूरी बात यह है कि जिन लोगों को हेयर डाई या मेहंदी लगाने से परेशानी होती है, रिएक्शन होता है. वह इस बात का खास ख्याल रखे हैं कि रंगों से भी उन्हें उतना ही नुकसान पहुंचेगा. इसके अलावा जिन्हें सांस की बीमारी है और ऐसे लोग जिन्हें धूप से परेशानी होती है. चमड़ी का रंग लाल हो जाता है, इस तरह के लोगों को भी रंगों से थोड़ा परहेज करना चाहिए. सिंथेटिक रंग उन पर लंबे समय तक अपना असर छोड़ सकते हैं.

सवाल: होली में कई बार हम देखते हैं कि सिर पर अधिक मात्रा में गुलाल लगा दिया जाता है. क्या इस से भी बचना चाहिए या कोई नुकसान हो सकता है?

जवाब: जी हां, बिल्कुल सिर की चमड़ी जरूर बालों से ढकी होती है. लेकिन होती तो यह भी चमड़ी ही है, तो जब सिर पर बहुत सारा गुलाल डाल दिया जाता है. तब इसके भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं. सर की चमड़ी आसानी से धुल नहीं पाती और जब यह अच्छे से धुलेगी नहीं तब इसमें डैंड्रफ, इरिटेशन, खुजली और हेयर फॉल तक की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए मैंने पहले ही कहा है कि जब भी आप होली खेलने जाएं तो बालों में कम से कम नारियल तेल की एक मोटी परत लगा लें. इससे सर की त्वचा बची रहेगी.
इससे भी अच्छा होगा कि बाजार में उपलब्ध आर्टिफिशियल विग पहन लें, टोपी लगा लें. जिससे कि सर की त्वचा बची रहे. सर की त्वचा की अच्छे से धुलाई नहीं हो पाती जिससे दुष्परिणाम हो सकते हैं. एक और जरूरी बात यह है कि होली के रंगों को निकालने के लिए लोग कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट, सोप का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा बिल्कुल ना करें यह और भी परेशानी खड़ी कर सकता है.रंग छुड़ाने के लिए आप सामान्य बेबी सोप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा उपटन, बेसन दही का भी इस्तेमाल करके रंगों को छुड़ाया जा सकता है. लेकिन किसी भी हाल में कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट, साबुन का इस्तेमाल ना करें.

सवाल: जैसा कि आपने बताया कई बार होली के बाद हम देखते हैं कि रंग आसानी से छूट नहीं पाते तो क्या इसका कोई तरीका है. किस प्रक्रिया के तहत रंग आसानी से छुड़ाया जाए?

जवाब: तेल और क्रीम लगाकर होली खेलने से रंग आसानी से निकल जाएंगे. होली खेलने के बाद नहाते समय माइल्ड सोप का इस्तेमाल करें बेबी सोप लगा लें. लेकिन रगड़कर रंग छुड़ाने का प्रयास बिल्कुल भी ना करें. 14 से 28 दिनों में त्वचा की ऊपरी परत अपने आप ही निकल जाती है.तो यदि रंग नहीं भी छूट रहे हैं तो यह धीरे-धीरे छूट जाएंगे. लेकिन इसे उतारने के लिए रगड़ने और खुरचन का प्रयास ना करें. इससे आपकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है.

सवाल: सिंथेटिक रंगों के अलावा हर्बल रंग भी क्या तैयार किया जा सकता है, इसे घर में तैयार कैसे किया जाए?

जवाब: जी बिल्कुल, इस बात पर मैं हमेशा जोर देता हूं अपने मरीजों से भी कहता हूं. हर्बल रंग का ही इस्तेमाल करने की बात मैं कहता हूं. हम अपने घर में बड़े ही आसानी से लाल भाजी या चुकंदर से रंग तैयार कर सकते हैं. हर किसी को पलाश के फूल उपलब्ध नहीं होते. लेकिन लाल भाजी आसानी से मिल जाएगा. इसे सूजी, आटे के साथ मिलाकर आसानी से रंग तैयार कर सकते हैं. इससे आप होली खेलें, यूट्यूब में भी काफी सारे वीडियो उपलब्ध हैं.

सवाल: रंगों को तैयार करने का सबसे आसान तरीका क्या है?

जवाब- घर में रंग तैयार करने का सबसे सस्ता और आसान तरीका है लाल भाजी. लाल भाजी से लाल और गुलाबी दोनों तरह के रंग तैयार किए जा सकते हैं. इसे आप आटे और सूजी या सस्ते चावल के आटे में मिला लें बहुत बढ़िया रंग आता है. इसके अलावा और चुकंदर का उपयोग कर सकते हैं. नीम के सूखे पत्ते आदि उपलब्ध हो तो इससे गहरा हरा रंग बनाया जा सकता है. तो इस तरह के बहुत सिंपल तरीके से आप घर में ही रंग तैयार कर सकते हैं. नेचुरल तरीके से होली खेलें आपकी होली ज्यादा अच्छी रहेगी.

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