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कोरबा: बीमार हाथी ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम, 25 दिनों से चल रहा था इलाज - डीएफओ गुरुनाथन एन

कुदमुरा वन परिक्षेत्र के गुरमा पंचायत में पिछले 25 दिनों से बीमार पड़े हाथी ने अंत में दम तोड़ दिया. जानकारी के मुताबिक बुधवार को बीमार हाथी की तबीयत बिगड़ी और शाम 6:20 बजे उसकी मौत हो गई. कोरबा डीएफओ गुरुनाथन एन ने हाथी के मौत की पुष्टि की है.

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बीमार हाथी ने तोड़ा दम
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Published : Jul 8, 2020, 9:55 PM IST

कोरबा: कुदमुरा वन परीक्षेत्र के गुरमा पंचायत में पिछले 25 दिनों से बीमार पड़े हाथी ने अंत में दम तोड़ दिया. वन अफसरों की नजरों के सामने तिल-तिल कर बीमार हाथी मौत की नींद सो गया. हाथी के इलाज के लिए वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों की टीम भी पहुंची थी. इसके साथ ही दिल्ली से केंद्रीय टीम ने भी मौके पर पहुंचकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन सभी उपाय धरे के धरे रह गए. बुधवार को बीमार हाथी की तबीयत बिगड़ी और शाम 6:20 बजे उसकी मौत हो गई. कोरबा डीएफओ गुरुनाथन एन ने हाथी के मौत की पुष्टि की है.

DFO Gurunathan N gave information
बीमार हाथी की मौत
दरअसल, लगभग 25 दिन पहले हाथी घायल अवस्था में गुरमा के किसान के आंगन में घुस आया था. हाथी की तबीयत तब भी बेहद खराब थी. हाथी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था. वन विभाग ने लगातार 25 दिनों तक हाथी का इलाज किया, लेकिन वन विभाग सफल नहीं हो सका. वन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन हाथी की सेहत में सुधार की बात कहता रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि वन विभाग की विशेष निगरानी के बाद भी हाथी अपने पैरों पर खड़ा तक नहीं हो पाया.

संकट में गजराज : केरल में एक और हाथी की मिली लाश

तमोर पिंगला ले जाने के लिए शासन से मांगी थी अनुमति

हाथी के सेहत में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो पाने के कारण विशेषज्ञों ने एक नया सुझाव दिया था. उनकी थ्योरी है कि चिकित्सा गतिविधियों के बीच वह लगातार मानवों से घिरा था. जिसकी वजह से हाथी डर महसूस कर रहा है. इसलिए अब घायल हाथी को दूसरे कुमकी हाथियों की ओर से टच थैरेपी दी जाएगी. इसके लिए विभाग ने हाथी को सरगुजा संभाग के तमोर पिंगला स्थित रेस्क्यू सेंटर ले जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन इसके पहले कि घायल हाथी को तमोर पिंगला ले जाकर टच थेरेपी दी जाती उसने दम तोड़ दिया.

जशपुर : सांसद गोमती साय के घर में हाथी ने मचाया उत्पात, वन विभाग अनजान
विशेषज्ञों ने हाथी के इलाज के लिए जंगल में डाला था डेरा
हाथी को बीमार हुए 25 दिन गुजर चुके थे. बीमार होने से बेहोश होकर गिरने की तारीख से लेकर अब तक वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और जंगल सफारी के विशेषज्ञों ने उसके इलाज के लिए जंगल में डेरा डाल रखा था. इलाज के दौरान ग्लूकोज सलाईन चढ़ाने से लेकर विभिन्न प्रकार की दवाईयां और थेरेपी उसे दी जा चुकी थी, लेकिन सिवाए स्वयं से चारा खाने के उसके स्वास्थ्य में कोई विशेष सुधार दर्ज नहीं किया जा सका था.

आहार हो गया था कम
आमतौर पर 8 से 1 साल का हाथी दिन भर में लगभग 60 किलो भोजन ग्रहण करता है, लेकिन बीमार होने के कारण हाथी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था, जिसके कारण उसका आहार बेहद कम हो गया था. तरल खाद्य पदार्थ के रूप में वन विभाग के डॉक्टर हाथी को आहार दे रहे थे, लेकिन नियमित आहार की तुलना में 50 फीसदी पूर्ति भी नहीं हो पा रही थी, जिससे हाथी की सेहत में लगातार गिरावट दर्ज हुई थी. हालांकि डॉक्टरों ने इलाज के दौरान यह भी कहा था कि हाथी के खाने-पीने और पाचन की क्रिया बेहतर हुई है.

मल्टीपल ऑर्गन फेल होने से हुई मौत
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मल्टीपल ऑर्गन फेलियर होने की वजह से हाथी की मौत हुई है. इसका मतलब यह हुआ कि हाथी के कई अंगों ने एक साथ काम करना बंद कर दिया था, जिसके कारण उसकी मौत हो गई.

कोरबा: कुदमुरा वन परीक्षेत्र के गुरमा पंचायत में पिछले 25 दिनों से बीमार पड़े हाथी ने अंत में दम तोड़ दिया. वन अफसरों की नजरों के सामने तिल-तिल कर बीमार हाथी मौत की नींद सो गया. हाथी के इलाज के लिए वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों की टीम भी पहुंची थी. इसके साथ ही दिल्ली से केंद्रीय टीम ने भी मौके पर पहुंचकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन सभी उपाय धरे के धरे रह गए. बुधवार को बीमार हाथी की तबीयत बिगड़ी और शाम 6:20 बजे उसकी मौत हो गई. कोरबा डीएफओ गुरुनाथन एन ने हाथी के मौत की पुष्टि की है.

DFO Gurunathan N gave information
बीमार हाथी की मौत
दरअसल, लगभग 25 दिन पहले हाथी घायल अवस्था में गुरमा के किसान के आंगन में घुस आया था. हाथी की तबीयत तब भी बेहद खराब थी. हाथी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था. वन विभाग ने लगातार 25 दिनों तक हाथी का इलाज किया, लेकिन वन विभाग सफल नहीं हो सका. वन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन हाथी की सेहत में सुधार की बात कहता रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि वन विभाग की विशेष निगरानी के बाद भी हाथी अपने पैरों पर खड़ा तक नहीं हो पाया.

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तमोर पिंगला ले जाने के लिए शासन से मांगी थी अनुमति

हाथी के सेहत में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो पाने के कारण विशेषज्ञों ने एक नया सुझाव दिया था. उनकी थ्योरी है कि चिकित्सा गतिविधियों के बीच वह लगातार मानवों से घिरा था. जिसकी वजह से हाथी डर महसूस कर रहा है. इसलिए अब घायल हाथी को दूसरे कुमकी हाथियों की ओर से टच थैरेपी दी जाएगी. इसके लिए विभाग ने हाथी को सरगुजा संभाग के तमोर पिंगला स्थित रेस्क्यू सेंटर ले जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन इसके पहले कि घायल हाथी को तमोर पिंगला ले जाकर टच थेरेपी दी जाती उसने दम तोड़ दिया.

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विशेषज्ञों ने हाथी के इलाज के लिए जंगल में डाला था डेरा
हाथी को बीमार हुए 25 दिन गुजर चुके थे. बीमार होने से बेहोश होकर गिरने की तारीख से लेकर अब तक वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और जंगल सफारी के विशेषज्ञों ने उसके इलाज के लिए जंगल में डेरा डाल रखा था. इलाज के दौरान ग्लूकोज सलाईन चढ़ाने से लेकर विभिन्न प्रकार की दवाईयां और थेरेपी उसे दी जा चुकी थी, लेकिन सिवाए स्वयं से चारा खाने के उसके स्वास्थ्य में कोई विशेष सुधार दर्ज नहीं किया जा सका था.

आहार हो गया था कम
आमतौर पर 8 से 1 साल का हाथी दिन भर में लगभग 60 किलो भोजन ग्रहण करता है, लेकिन बीमार होने के कारण हाथी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था, जिसके कारण उसका आहार बेहद कम हो गया था. तरल खाद्य पदार्थ के रूप में वन विभाग के डॉक्टर हाथी को आहार दे रहे थे, लेकिन नियमित आहार की तुलना में 50 फीसदी पूर्ति भी नहीं हो पा रही थी, जिससे हाथी की सेहत में लगातार गिरावट दर्ज हुई थी. हालांकि डॉक्टरों ने इलाज के दौरान यह भी कहा था कि हाथी के खाने-पीने और पाचन की क्रिया बेहतर हुई है.

मल्टीपल ऑर्गन फेल होने से हुई मौत
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मल्टीपल ऑर्गन फेलियर होने की वजह से हाथी की मौत हुई है. इसका मतलब यह हुआ कि हाथी के कई अंगों ने एक साथ काम करना बंद कर दिया था, जिसके कारण उसकी मौत हो गई.

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