कोरबा: सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को सरकार नि:शुल्क गणवेश (School dress) वितरित करती है. कोरबा जिले में शिक्षा विभाग ने शत-प्रतिशत गणवेश का वितरण बताया गया है. लेकिन शहर के दादर स्थित विकास खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्या के मकान में सैकड़ों की तादाद में गरीब बच्चों के गणवेश कचरे की तरह डंप किए गए हैं.
ETV भारत के पास इसके एक्सक्लूसिव फुटेज हैं. मामला उजागर होते ही क्लर्क ने कहा कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने जांच की बात कही है.
सिर्फ गणवेश ही नहीं किताबें और टाटपट्टी भी मौजूद
विकासखंड शिक्षा अधिकारी, कोरबा के कार्यालय में धीरज आर्य बाबू के पद पर पदस्थ हैं. शहर से लगे हुए दादर में उनके मकान का निर्माण चल रहा है. इसी निर्माणाधीन मकान में सैकड़ों की तादात में गणवेश कचरे की तरह डंप किए गए हैं. सिर्फ गणवेश ही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग की किताबें, प्राइमरी और मिडिल स्कूल में बच्चों को बैठने के लिए प्रदान की जाने वाली टाटपट्टी, स्कूलों में चावल रखने के लिए कुछ समय पहले विभाग द्वारा खरीदे हए स्टील के डिब्बे भी मौजूद हैं.
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बाबू के मकान में कैसे पहुंचा विभागीय सामान ?
बड़ा सवाल यह है कि जिन गणवेश को सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत मिडिल और प्राइमरी स्कूल के बच्चों में वितरित कर दिया जाना था. वह शिक्षा विभाग में पदस्थ एक बाबू के मकान में कैसे पहुंचे ?
गणवेश के साथ ही किताबें और टाटपट्टी भी यहां मौजूद हैं, जो विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं. मामले में कोई भी खुलकर कुछ भी कहने से बच रहा है.
बाबू ने कहा- मुझे नहीं मालूम कहां से आए गणवेश
बीईओ कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्य से ETV भारत ने फोन पर चर्चा की और पूछा कि आपके निर्माणाधीन मकान में गणवेश और अन्य सामान कैसे पहुंचे? बाबू ने कहा कि 'मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम कि मेरे मकान में गणवेश व किताब कहां से पहुंचे. इनका मैं क्या करूंगा? मेरा मकान फिलहाल निर्माणाधीन है. जहां चौकीदार तैनात रहता है. मुझे चौकीदार से जानकारी लेनी होगी कि यह समान मेरे मकान में कहां से पहुंचे. इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है.'
सारे गणवेश बांटे गए, यदि ऐसा है तो जांच कराएंगे
बीईओ कार्यालय में पदस्थ बाबू के मकान में गणवेश मौजूद होने के प्रश्न पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी संजय अग्रवाल का कहना है कि पिछले सत्र में जितने भी गणवेश हमें प्राप्त हुए थे, सभी को स्कूलों में वितरित कर दिया गया है. बाबू के मकान में गणवेश और किताबों का मौजूद होना गंभीर विषय है. यह सरकारी सामग्री है. यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराएंगे और उचित कार्रवाई होगी.
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कागज पर इतने गणवेश स्कूलों में वितरित
कोरबा के पांचों विकासखंड को मिलाकर शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 में 1 लाख 48 हजार 683 गणवेश वितरित किए हैं. शत-प्रतिशत गणवेश को वितरित किए जाने की जानकारी जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति के बैठक में सांसद ज्योत्सना महंत के समक्ष यही आंकड़े पेश किए थे.
क्या होगी कार्रवाई ?
देखना यह होगा कि इस मामले में किस तरह की कार्रवाई होती है? जिले का शिक्षा विभाग पहले भी ऐसे ही कारनामों के लिए चर्चा में आ चुका है. चाहे वह एसएलए परीक्षा घोटाला हो, शिक्षकों का नियम विरुद्ध अटैचमेंट या निजी स्कूलों को उपकृत किया जाना. ऐसे कई मामले हैं, जिनके विरुद्ध पूर्व में शिकायतें हुई जांच में पुष्टि हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई.