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CHC कटघोरा में कोरोना संक्रमित प्रसूताओं की हो रही सुरक्षित डिलीवरी

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Published : May 15, 2021, 9:10 PM IST

कटघोरा में कोरोना काल के दौरान सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी अधिक हुई है. कई कोरोना संक्रमित प्रसूताओं की यहां सुरक्षित डिलीवरी कराई गई है. महिला रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता सिंह ने कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी में अहम भूमिका निभाई है.

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कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं की कराई जा रही सुरक्षित डिलीवरी

कोरबा: कटघोरा में कोरोना काल के दौरान सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी अधिक हुई है. इस दौरान सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में काफी कमी आई है. साल 2020 में कोरोना काल के दौरान कटघोरा अस्पताल में 7 कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाएं भर्ती हुई थी. जिनमें 4 की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई थी. इस बार कोरोना काल में जनवरी से अब तक 8 गर्भवती महिलाओं में 4 की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई है. बाकी 4 को कोरबा रेफर किया गया था.

डिलीवरी के लिए दो प्रकार की प्रक्रिया है. या तो बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के जरिए होता है या फिर सिजेरियन प्रक्रिया से गुजरना होता है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी के जरिए बच्चों के जन्म हुए हैं. महिला रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता सिंह ने कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी में अहम भूमिका निभाई है.

कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं की कराई जा रही सुरक्षित डिलीवरी

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गर्भवती महिलाओं का रखा जा रहा विषेश ध्यान

कटघोरा अस्पताल में कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के लिए अलग रूम बनाए गए हैं. जिसमें सभी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां 8 स्टाफ हैं. जो पूरी मेहनत और लगन से काम कर रहें हैं. कोरोना संक्रमण की इस भयावह स्थिति में सुरक्षा की दृष्टिकोण का पूरा ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं का ध्यान रख रहा है.

डिलीवरी के दौरान खतरा होने पर करना होता है सिजेरियन

डॉक्टर नमिता सिंह ने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी में जच्चा और बच्चा दोनों के लिए काफी खतरा होता है, वही इंफेक्शन फैलने का डर भी रहता है. बाद में माता को तकलीफ भी होती है. दूसरे बच्चे के जन्म के समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी बेहतर है. हालांकि जांच के दौरान यदि डॉक्टर को लगता है कि नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे या मां की जान को खतरा हो सकता है, या बच्चे की ग्रोथ पेट में ही रुक गई है, तो फिर पेट को काटकर डिलीवरी की जाती है. इसके लिए जिला अस्पताल रेफर किया जाता है.

कोरोना संक्रमण के डर की वजह से नहीं हो रही सिजेरियन डिलीवरी

डॉक्टर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों में कोरोना संक्रमित माताओं की डिलीवरी भी करनी पड़ रही है. जिसके चलते डॉक्टर के मन में कहीं न कहीं यह डर रहता है कि अगर सिजेरियन डिलीवरी की जाएगी, तो संक्रमण ज्यादा फैल सकता है. इसीलिए नॉर्मल डिलीवरी को ज्यादा तवज्जो दिया गया. यही कारण रहा कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा अस्पतालों में नॉर्मल डिलीवरी की गई.

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कटघोरा स्वास्थ्य विभाग का सराहनीय कार्य

कटघोरा नगर के युवा समाज सेवी आलोक पांडेय ने मीडिया से चर्चा के दौरान इस पर विस्तृत जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी कर्मचारी इस कोरोना महामारी जैसे गंभीर समय में बेहतर कार्य कर अपनी सेवा का परिचय दे रहे हैं. यहां महिला प्रसूति विभाग में ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश होती है. डॉक्टर से लेकर महिला स्टाफ का कार्य व्यवहार मरीज के साथ अच्छा रहता है. कटघोरा नगर से लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ मिलता है.

कोरबा: कटघोरा में कोरोना काल के दौरान सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी अधिक हुई है. इस दौरान सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में काफी कमी आई है. साल 2020 में कोरोना काल के दौरान कटघोरा अस्पताल में 7 कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाएं भर्ती हुई थी. जिनमें 4 की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई थी. इस बार कोरोना काल में जनवरी से अब तक 8 गर्भवती महिलाओं में 4 की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई है. बाकी 4 को कोरबा रेफर किया गया था.

डिलीवरी के लिए दो प्रकार की प्रक्रिया है. या तो बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के जरिए होता है या फिर सिजेरियन प्रक्रिया से गुजरना होता है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी के जरिए बच्चों के जन्म हुए हैं. महिला रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता सिंह ने कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी में अहम भूमिका निभाई है.

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गर्भवती महिलाओं का रखा जा रहा विषेश ध्यान

कटघोरा अस्पताल में कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के लिए अलग रूम बनाए गए हैं. जिसमें सभी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां 8 स्टाफ हैं. जो पूरी मेहनत और लगन से काम कर रहें हैं. कोरोना संक्रमण की इस भयावह स्थिति में सुरक्षा की दृष्टिकोण का पूरा ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं का ध्यान रख रहा है.

डिलीवरी के दौरान खतरा होने पर करना होता है सिजेरियन

डॉक्टर नमिता सिंह ने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी में जच्चा और बच्चा दोनों के लिए काफी खतरा होता है, वही इंफेक्शन फैलने का डर भी रहता है. बाद में माता को तकलीफ भी होती है. दूसरे बच्चे के जन्म के समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी बेहतर है. हालांकि जांच के दौरान यदि डॉक्टर को लगता है कि नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे या मां की जान को खतरा हो सकता है, या बच्चे की ग्रोथ पेट में ही रुक गई है, तो फिर पेट को काटकर डिलीवरी की जाती है. इसके लिए जिला अस्पताल रेफर किया जाता है.

कोरोना संक्रमण के डर की वजह से नहीं हो रही सिजेरियन डिलीवरी

डॉक्टर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों में कोरोना संक्रमित माताओं की डिलीवरी भी करनी पड़ रही है. जिसके चलते डॉक्टर के मन में कहीं न कहीं यह डर रहता है कि अगर सिजेरियन डिलीवरी की जाएगी, तो संक्रमण ज्यादा फैल सकता है. इसीलिए नॉर्मल डिलीवरी को ज्यादा तवज्जो दिया गया. यही कारण रहा कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा अस्पतालों में नॉर्मल डिलीवरी की गई.

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कटघोरा स्वास्थ्य विभाग का सराहनीय कार्य

कटघोरा नगर के युवा समाज सेवी आलोक पांडेय ने मीडिया से चर्चा के दौरान इस पर विस्तृत जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी कर्मचारी इस कोरोना महामारी जैसे गंभीर समय में बेहतर कार्य कर अपनी सेवा का परिचय दे रहे हैं. यहां महिला प्रसूति विभाग में ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश होती है. डॉक्टर से लेकर महिला स्टाफ का कार्य व्यवहार मरीज के साथ अच्छा रहता है. कटघोरा नगर से लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ मिलता है.

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