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पदभार ग्रहण करने के 6 महीने बाद जीएम आएंगे कोरबा, कोरोना का बहाना बनाकर बंद की गई ट्रेनें अबतक नहीं हुई शुरू

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Published : Feb 2, 2022, 3:29 PM IST

Updated : Feb 2, 2022, 8:23 PM IST

कोरबा में यात्री रेल सुविधा पर जनता में आक्रोश है. यह कोई नई बात नहीं है. जब यात्री सुविधाओं के मामले में कोरबा को अंधेरे में रखा जाता है. हालात यह हैं कि 2 साल पहले कोरोना काल में बंद की गई ट्रेनों को अबतक शुरू नहीं किया गया है.

protest against SECR GM in Korba
कोरबा रेल संघर्ष समिति

कोरबा: जो ट्रेन चल रही थी, उन्हें तो बंद कर ही दिया गया है. इसके साथ ही जो ट्रेन नियमित थी, उन्हें भी साप्ताहिक स्तर पर चलाया जा रहा है. ऐसे में अपना पदभार ग्रहण करने के 6 महीने बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक आलोक कुमार 4 फरवरी को महज एक घंटे के लिए कोरबा का दौरा करेंगे. रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारी जीएम के दौरे का विरोध करने की रणनीति बना रहे हैं.

गुस्से में कोरबा रेल संघर्ष समिति

कोरबा में माल लदान ही प्राथमिकता

अकेले कोरबा जिले से प्रतिदिन औसतन 40 रैक कोयला डिस्पैच किया जाता है. माल ढुलाई से रेल मंत्रालय को अकेले कोरबा से 6000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है. यही वजह है कि कोरबा में माल लदान प्राथमिकता रहती है. यात्री सुविधाओं को हमेशा दरकिनार किया जाता रहा है. यात्री ट्रेनों को बंद कर कोयला ढुलाई को प्राथमिकता दी जाती है. जिसके कारण लोगों को पर्याप्त ट्रेन नहीं मिली है. इससे जनता में आक्रोश है.

5 पैसेंजर ट्रेनें बंद

अब से 2 साल पहले जब कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी, तब ट्रेनों को बंद किया गया था. देश के अन्य राज्यों और महत्वपूर्ण स्थानों पर अब ट्रेन शुरू हो चुकी हैं. लेकिन कोरबा की पांच पैसेंजर ट्रेनों को बंद कर दिया गया था. यह ट्रेनें अबतक शुरू नहीं हो सकी हैं. यही हाल हरदेव एक्सप्रेस का है. तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल जब कोरबा आए थे, तब उन्होंने कहा था कि हसदेव एक्स्प्रेस को कभी बंद नहीं किया जाएगा. कोरबा से रायपुर के लिए यह ट्रेन रोजाना चलेगी. लेकिन वर्तमान में हसदेव एक्सप्रेस केवल 3 दिनों के लिए ही चल रही है. नियमित ट्रेन को भी रेलवे ने साप्ताहिक कर दिया है.

पिट लाइन के काम में लेटलतीफी

पिछले एक दशक से कोरबा में पिट लाइन का काम चल रहा है. लेट लतीफी के कारण इस परियोजना में करोड़ों की बढ़ोतरी हो गई. रेलवे के कागजों में पिट लाइन को संचालित भी बताया जाता है. लेकिन फिटलाइन आज तक शुरू नहीं हो सकी है. स्थानीय स्तर पर रेल के रखरखाव और मरम्मत का काम पिट लाइन में होता है. इसे शुरू ना कर बोगी की मरम्मत बिलासपुर में की जाती है. यह भी ट्रेनों के नहीं चलने का एक बड़ा कारण है.

जीएम के विरोध की तैयारी

यात्री सुविधाओं के मामले में कोरबा पिछड़ा हुआ है. माल ढुलाई ही यहां सर्वोच्च प्राथमिकता है. ऐसे में 4 फरवरी को जीएम कोरबा का दौरा करेंगे. इस दौरान रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बैठक कर इस दौरे का विरोध करने की तैयारी की है.

कोरबा: जो ट्रेन चल रही थी, उन्हें तो बंद कर ही दिया गया है. इसके साथ ही जो ट्रेन नियमित थी, उन्हें भी साप्ताहिक स्तर पर चलाया जा रहा है. ऐसे में अपना पदभार ग्रहण करने के 6 महीने बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक आलोक कुमार 4 फरवरी को महज एक घंटे के लिए कोरबा का दौरा करेंगे. रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारी जीएम के दौरे का विरोध करने की रणनीति बना रहे हैं.

गुस्से में कोरबा रेल संघर्ष समिति

कोरबा में माल लदान ही प्राथमिकता

अकेले कोरबा जिले से प्रतिदिन औसतन 40 रैक कोयला डिस्पैच किया जाता है. माल ढुलाई से रेल मंत्रालय को अकेले कोरबा से 6000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है. यही वजह है कि कोरबा में माल लदान प्राथमिकता रहती है. यात्री सुविधाओं को हमेशा दरकिनार किया जाता रहा है. यात्री ट्रेनों को बंद कर कोयला ढुलाई को प्राथमिकता दी जाती है. जिसके कारण लोगों को पर्याप्त ट्रेन नहीं मिली है. इससे जनता में आक्रोश है.

5 पैसेंजर ट्रेनें बंद

अब से 2 साल पहले जब कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी, तब ट्रेनों को बंद किया गया था. देश के अन्य राज्यों और महत्वपूर्ण स्थानों पर अब ट्रेन शुरू हो चुकी हैं. लेकिन कोरबा की पांच पैसेंजर ट्रेनों को बंद कर दिया गया था. यह ट्रेनें अबतक शुरू नहीं हो सकी हैं. यही हाल हरदेव एक्सप्रेस का है. तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल जब कोरबा आए थे, तब उन्होंने कहा था कि हसदेव एक्स्प्रेस को कभी बंद नहीं किया जाएगा. कोरबा से रायपुर के लिए यह ट्रेन रोजाना चलेगी. लेकिन वर्तमान में हसदेव एक्सप्रेस केवल 3 दिनों के लिए ही चल रही है. नियमित ट्रेन को भी रेलवे ने साप्ताहिक कर दिया है.

पिट लाइन के काम में लेटलतीफी

पिछले एक दशक से कोरबा में पिट लाइन का काम चल रहा है. लेट लतीफी के कारण इस परियोजना में करोड़ों की बढ़ोतरी हो गई. रेलवे के कागजों में पिट लाइन को संचालित भी बताया जाता है. लेकिन फिटलाइन आज तक शुरू नहीं हो सकी है. स्थानीय स्तर पर रेल के रखरखाव और मरम्मत का काम पिट लाइन में होता है. इसे शुरू ना कर बोगी की मरम्मत बिलासपुर में की जाती है. यह भी ट्रेनों के नहीं चलने का एक बड़ा कारण है.

जीएम के विरोध की तैयारी

यात्री सुविधाओं के मामले में कोरबा पिछड़ा हुआ है. माल ढुलाई ही यहां सर्वोच्च प्राथमिकता है. ऐसे में 4 फरवरी को जीएम कोरबा का दौरा करेंगे. इस दौरान रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बैठक कर इस दौरे का विरोध करने की तैयारी की है.

Last Updated : Feb 2, 2022, 8:23 PM IST
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