कोरबा: छत्तीसगढ़ की पॉवर कैपिटल कोरबा वैसे तो आदिवासी बहुल्य जिला है, लेकिन कोरबा लोकसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. यहां आदिवासियों के संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा ज्यादा संख्या में रहते हैं. पहाड़ी कोरवा को भारत के राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है.
परिसीमन के बाद 2008 में कोरबा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आई. इसके बाद 2009 में यहां पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस के चरणदास महंत ने बीजेपी की करुणा शुक्ला को हराया. फिलहाल दोनों नेता करुणा और महंत कांग्रेस में हैं और महंत छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष हैं. हालांकि, 2014 में बीजेपी के बंशीलाल महतो ने चरणदास को हराकर यहां पहली बार कमल खिलाया था. इस बार बीजेपी ने इनका भी टिकट काट दिया है. बीजेपी ने बंशीलाल महतो का टिकट काट ज्योतिनंद दुबे को यहां से प्रत्याशी बनाया है वहीं कांग्रेस ने चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को मैदान में उतारा है.
हंसदेव और अहिरन नदी के संगम पर बसे कोरबा को छत्तीसगढ़ का औद्योगिक केंद्र भी कहा जाता है. कोयला और पानी से भरपूर जिले में चार थर्मल पावर प्लांट है. जिनसे 3650 मेगावाट बिजली पैदा होती है. इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटेड के SECL कंपनी की कोरबा में कई बड़ी खदानें हैं. साथ ही एल्युमीनियम उत्पादन करने वाली बाल्को (भारत एल्युमिनियम कंपनी) भी यहां है.
इन सबके बावजूद यहां की समस्याएं भी बहुत हैं. क्षेत्र में एल्युमिनियम पार्क का निर्माण, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नेशनल हाई-वे, शिक्षा, परिवहन के लिए रेल कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे भी हैं. क्षेत्र में चार थर्मल पावर प्लांट है, लेकिन किसी भी बिजली कंपनी का मुख्यालय नहीं होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में 14 लाख 95 हजार 633 मतदाता रजिस्टर्ड हैं. इनमें 7 लाख 52 हजार 525 पुरुष मतदाता, 7 लाख 43 हजार 52 महिला मतदाता और 56 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बंशीलाल महतो को 41.7 फीसदी के साथ 4 लाख 39 हजार 2 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के चरणदास महंत को 41.3 फीसदी के साथ 4 लाख 34 हजार 737 वोट मिले थे.
लोकसभा चुनाव से पहले कोरबा संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक रंग बदला हुआ है. बीजेपी के पास सिर्फ एक रामपुर विधानसभा सीट है. वहीं 8 में 6 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास है. एक सीट जोगी कांग्रेस के खाते में है. हालांकि, जोगी कांग्रेस के मैदान में नहीं होने से मामला और रोचक हो गया है. देनों पार्टियां जोगीं कांग्रेस के वोट बैंक को साधने में लगी हैं.