कोरबा: कोरोना काल में पोल्ट्री फॉर्म व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. वहीं बर्ड फ्लू की आहट के बीच अब यह व्यवसाय दोहरी मार झेल रहा है. बर्ड फ्लू के खतरे के बीच मुर्गियों के दाम में 20 रुपए तक की गिरावट आई है. इस बात पर अब लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. कुछ लोगों ने चिकन खाना बंद कर दिया है, तो कुछ ये कह रहे हैं कि जब तक इस बीमारी की पुष्टि न हो तब तक वे चिकन खाना बंद नहीं करेंगे.
चिकन का व्यापार प्रभावित
पोल्ट्री फॉर्म व्यवसाय में काम कर रहे लोगों का कहना है कि कोरोना काल में भी इस तरह की अफवाह फैली थी. तब भी पक्षियों या चिकन से कोरोना के फैलने की कोई पुष्टि नहीं हुई थी, लेकिन लोगों ने चिकन खाना छोड़ दिया था. इसके कारण पोल्ट्री व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. कोरोना ने पहले ही पोल्ट्री व्यवसाय की कमर तोड़ रखी है. अब बर्ड फ्लू ने भी दस्तक दी है. हालांकि, प्रदेश में इसकी पुष्टि नहीं हुई है. बावजूद इसके लोगों में भय का माहौल है.
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'बीमारी बढ़ेगी तब देखेंगे'
नॉन वेज खाने के शौकीनों की भी कोई कमी नहीं है. ऐसे लोग साफ तौर पर कह रहे हैं कि फिलहाल बर्ड फ्लू की कोई पुष्टि नहीं हुई है, बीमारी जब बढ़ेगी तब देखा जाएगा. फिलहाल, वो नॉन वेज खाना नहीं छोड़ेंगे. सभी ने साफ तौर पर कहा कि जब इसके परिणाम घातक होंगे तब इस विषय के बारे में सोचा जाएगा.
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पक्षियों की मौत होने पर तत्काल विभाग को दें सूचना
जिले में एक दिन पहले ही SECL सुभाष ब्लॉक में 36 कबूतरों की मौत हो गई थी. विभाग के वेटरनरी चिकित्सक यहां पहुंचे थे. जिन्होंने बर्ड फ्लू के लक्षण से इनकार किया था. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एहतियात के तौर पर सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है. सीनियर वेटरनरी डॉक्टर सोहम गुर्जर ने अपील की है कि बर्ड फ्लू के लक्षण दिखने पर या पक्षियों की मौत होने पर तत्काल विभाग को इसकी सूचना दी जाए, ताकि इसे समय रहते कंट्रोल किया जा सके.