कोरबा: शहर में संचालित निजी अस्पताल जेके हॉस्पिटल में जांजगीर से इलाज कराने आए मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई. मृतक संतोष डनसेना एक शिक्षक था. वो पेट में हुई पथरी का इलाज कराने कोरबा आया था. सोमवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में बिना डिग्री वाले फर्जी डॉक्टर इलाज कर रहे हैं. हालांकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से इन आरोपों को खारिज करते हुए एमडी मेडिसिन के देखरेख में इलाज होना बताया गया है. अस्पताल में हंगामे के बाद परिजनों ने थाने में भी शिकायत दर्ज करायी है. विशेषज्ञों की निगरानी में पोस्टमार्टम पूरा किया गया.
पथरी का इलाज कराने आए थे शिक्षक
परिजन ने बताया कि संतोष हट्टे-कट्टे नौजवान व्यक्ति थे, जो कि खुद ही बाइक चलाकर अपनी पथरी का इलाज कराने आए थे. पथरी का आकार भी ज्यादा नहीं था. डॉक्टरों ने बताया था कि पथरी का आकार महज 4 से 5 MM है. अस्पताल में एमडी मेडिसिन डॉक्टर भास्कर के स्थान पर यहां पदस्थ बिना डिग्री के डॉक्टर लहरे ने उनका इलाज किया. जिसके कारण मरीज की मौत हो गई.
परिजनों में आक्रोश
परिजनों में अपने परिवार के एक व्यक्ति को खो देने के बाद आक्रोश है. शांताराम ने यह भी कहा कि हाल ही में जिले के गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में इसी तरह का मामला प्रकाश में आया था.अब फिर से जेके अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही ने संतोष की जान ले ली है. हम चाहते हैं कि अस्पताल प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई हो. अस्पताल को तत्काल सील किया जाए.
विशेषज्ञों की निगरानी में हुआ पोस्टमार्टम
संतोष डनसेना की उम्र लगभग 40 वर्ष थी, जिनकी मौत के बाद अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा हुआ. रामपुर चौकी में भी इसकी शिकायत की गई. पुलिस व परिवार की मौजूदगी में फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची. विशेषज्ञों की निगरानी में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शव गृह में पोस्टमार्टम किया गया. जिसके बाद शव परिजनों के सुपुर्द किया गया.
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अस्पताल ने आरोप को सिरे से किया खारिज
जेके अस्पताल में पदस्थ हॉस्पिटल इंचार्ज जयकुमार लहरे का कहना है कि परिजनों का आरोप सरासर गलत है. मरीज का इलाज एमडी मेडिसिन डॉक्टर भास्कर की देखरेख में हो रहा था. मरीज जिस समय आए थे, उन्हें पेट में दर्द और बैक पेन था. वह बेचैनी भी महसूस कर रहे थे. उन्हें हायर अस्पताल में रेफर किया गया था. लेकिन अन्य अस्पताल ने उन्हें एडमिट नहीं लिया. जिसके बाद वह वापस यहां आए और उनकी मौत हो गई. मरीज की किडनी में पथरी थी. अस्पताल में किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई है.