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रीना ने बनाया ईको-फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन, जापान में बुलंद करेंगी छत्तीसगढ़ की आवाज

महिलाओं की सुरक्षा समाज में व्याप्त कुरीतियों से तो होनी ही चाहिए साथ ही उनकी सेहत के बारे में भी जागरूकता की जरूरत है.

रीना ने बनाया ईको-फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन
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Published : Mar 22, 2019, 10:24 AM IST

Updated : Mar 22, 2019, 1:06 PM IST

कोरबाः महिलाओं की सुरक्षा समाज में व्याप्त कुरीतियों से तो होनी ही चाहिए साथ ही उनका आंतरिकतौर से भी सुरक्षित होना जरूरी है, जिसके बारे में अक्सर हम बात करने से झिझकते हैं. हम बात कर रहे हैं सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल की.

वीडियो.


जहां एक ओर महिलाएं इन मुद्दों पर बात करने से झिझकती हैं. वहीं दूसरी ओर कोरबा के सरकारी हाईस्कूल में पढ़ने वाली छात्रा रीना ने बाजार में बिकने वाले सैनेटरी पैड के मुकाबले इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड तैयार किया है, जोकि इस्तेमाल में सुरक्षित होने के साथ ही बायोडीग्रेडेबल है.


जापान जाएंगी रीना
रीना के इस आविष्कारकी गूंज जापान तक पहुंच गई है. रीना के इस आविष्कार का चयन सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए हुआ है. रीना जापान में एक परिवार के साथ समय गुजारेंगी और अपने आविष्कार को साझा करेंगी. इस प्रदर्शनी में कई वैज्ञानिक, विद्यार्थी और शिक्षाविद भी मौजूद रहेंगे.


क्या कहती हैं रीना
रीना ने बताया कि ये पैड बाजार में बिकने वाले अन्य सेनेटरी पैड से काफी सस्ता और सुरक्षित है. इस इको-फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन को बनाने के लिए रीना ने केले के तने का इस्तेमाल किया है.


रीना ने बताया कि केले का तना फल कट जाने के बाद किसी काम का नहीं बचता है और वातावरण के लिए भी बोझ है, लेकिन इस केले के तने में भरपूर पानी मौजूद रहता है. इस केले के तने से केरल में कपड़े बनाए जाते हैं.


रीना का ये सफर तीन साल पहले शुरू हुआ और जिसमें उनकी सारथी बनी उनके स्कूल की प्रिंसिपल फरहाना अली. फरहाना अली ने बताया कि केंद्र सरकार की पहल इंस्पायर अवॉर्ड- मानक के तहत बच्चों के नाम का रेजिस्ट्रेशन हो रहा था. उन्होंने रीना से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को कहा. तब रीना ने इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड बनाने का आइडिया आया.


रीना को है विज्ञान में रूचि
विज्ञान में रूचि रखने वाली रीना के मन में फिर केले के तने से इस पैड को निर्मित करने का विचार आया. इस विचार को रीना ने फरहाना अली से साझा किया. रीना की जिज्ञासा और काबिलियत देखकर फरहाना अली ने रीना का मार्गदर्शन शुरू किया. रीना ने कक्षा 9वी में इस पैड को बनाने का सफर शुरू किया. आज वह कक्षा 11वीं की छात्रा हैं.


रीना जब नेशनल लेवल के लिए दिल्ली आईआईटी में अपना प्रदर्शन देने जा रही थीं, तभी रीना की प्रिंसिपल को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से फ़ोन आया कि रीना का चयन जापान जाने के लिए हो गया है.


19 अप्रैल को रीना जाएंगी जापान
रीना 19 अप्रैल को जापान जा रही हैं. रीना के इस अविष्कार को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान जाएगा, जो कि राज्य और देश दोनों के लिए गर्व की बात है.

कोरबाः महिलाओं की सुरक्षा समाज में व्याप्त कुरीतियों से तो होनी ही चाहिए साथ ही उनका आंतरिकतौर से भी सुरक्षित होना जरूरी है, जिसके बारे में अक्सर हम बात करने से झिझकते हैं. हम बात कर रहे हैं सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल की.

वीडियो.


जहां एक ओर महिलाएं इन मुद्दों पर बात करने से झिझकती हैं. वहीं दूसरी ओर कोरबा के सरकारी हाईस्कूल में पढ़ने वाली छात्रा रीना ने बाजार में बिकने वाले सैनेटरी पैड के मुकाबले इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड तैयार किया है, जोकि इस्तेमाल में सुरक्षित होने के साथ ही बायोडीग्रेडेबल है.


जापान जाएंगी रीना
रीना के इस आविष्कारकी गूंज जापान तक पहुंच गई है. रीना के इस आविष्कार का चयन सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए हुआ है. रीना जापान में एक परिवार के साथ समय गुजारेंगी और अपने आविष्कार को साझा करेंगी. इस प्रदर्शनी में कई वैज्ञानिक, विद्यार्थी और शिक्षाविद भी मौजूद रहेंगे.


क्या कहती हैं रीना
रीना ने बताया कि ये पैड बाजार में बिकने वाले अन्य सेनेटरी पैड से काफी सस्ता और सुरक्षित है. इस इको-फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन को बनाने के लिए रीना ने केले के तने का इस्तेमाल किया है.


रीना ने बताया कि केले का तना फल कट जाने के बाद किसी काम का नहीं बचता है और वातावरण के लिए भी बोझ है, लेकिन इस केले के तने में भरपूर पानी मौजूद रहता है. इस केले के तने से केरल में कपड़े बनाए जाते हैं.


रीना का ये सफर तीन साल पहले शुरू हुआ और जिसमें उनकी सारथी बनी उनके स्कूल की प्रिंसिपल फरहाना अली. फरहाना अली ने बताया कि केंद्र सरकार की पहल इंस्पायर अवॉर्ड- मानक के तहत बच्चों के नाम का रेजिस्ट्रेशन हो रहा था. उन्होंने रीना से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को कहा. तब रीना ने इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड बनाने का आइडिया आया.


रीना को है विज्ञान में रूचि
विज्ञान में रूचि रखने वाली रीना के मन में फिर केले के तने से इस पैड को निर्मित करने का विचार आया. इस विचार को रीना ने फरहाना अली से साझा किया. रीना की जिज्ञासा और काबिलियत देखकर फरहाना अली ने रीना का मार्गदर्शन शुरू किया. रीना ने कक्षा 9वी में इस पैड को बनाने का सफर शुरू किया. आज वह कक्षा 11वीं की छात्रा हैं.


रीना जब नेशनल लेवल के लिए दिल्ली आईआईटी में अपना प्रदर्शन देने जा रही थीं, तभी रीना की प्रिंसिपल को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से फ़ोन आया कि रीना का चयन जापान जाने के लिए हो गया है.


19 अप्रैल को रीना जाएंगी जापान
रीना 19 अप्रैल को जापान जा रही हैं. रीना के इस अविष्कार को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान जाएगा, जो कि राज्य और देश दोनों के लिए गर्व की बात है.

Intro:जिले के सरकारी हाई स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा रीना ने बाजार में बिकने वाले सैनेटरी पैड के मुकाबले इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड तैयार किया है। रीना के इस कारनामे की गूंज जापान पहुँचने वाली है। जी हाँ, रीना के इस आविष्कार का चयन सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए हुआ है। जापान में रीना एक जापानी परिवार के साथ समय गुजरेंगी और अपने आविष्कार को साझा करेंगी। इस प्रदर्शनी में कई वैज्ञानिक, विद्यार्थी और शिक्षाविद भी मौजूद रहेंगे।


Body:रीना ने बताया कि ये पैड बाजार में बिकने वाले अन्य सेनेटरी पैड से काफी सस्ता और सुरक्षित है। इस इको-फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन को बनाने के लिए रीना ने केले के तने का इस्तेमाल किया। आइये रीना से सुनते हैं इस इको-फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन को बनाने का तरीका।
बाइट...रीना राजपूत
रीना ने बताया कि क्यों उन्होंने केले के तने का उपयोग किया। रीना ने बताया कि केले का तना केले के फल जाने के बाद किसी काम का नहीं बचता है और वातावरण के लिए भी बोझ है। लेकिन इस केले के तने में भरपूर पानी मौजूद रहता है। इस केले के तने से केरल में कपड़े बनाए जाते हैं।
बाइट...रीना राजपूत
रीना का ये सफर तीन साल पहले शुरू हुआ और रीना के सफर में उनकी सारथी बनी रीना के स्कूल के प्रिंसिपल डॉ फरहाना अली। डॉ फरहाना अली ने बताया कि केंद्र सरकार की पहल इंस्पायर अवार्ड- मानक के तहत बच्चों के नाम का रेजिस्ट्रेशन हो रहा था। डॉ फरहाना अली ने रीना से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को कहा। रीना ने इको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड बनाने के बारे में सोचा। विज्ञान में रूचि रखने वाली रीना के मन मे फिर केले के तने से इस पैड को निर्मित करने का विचार आया। इस विचार को रीना ने डॉ फरहाना अली से साझा किया। रीना की जिज्ञासा और काबिलियत देखकर डॉ फरहाना अली ने रीना का मार्गदर्शन शुरू किया। रीना ने कक्षा 9वी में इस पैड को बनाने का सफर शुरू किया। आज रीना कक्षा 11वी की छात्रा है। डॉ फरहाना अली में बताया है कि इस तीन सफर को किस तरह रीना और उन्होंने मिलकर तय किया है।
बाइट...डॉ फरहाना अली, प्रिंसिपल, माध्यमिक शाला, स्याहीमूड़ी
रीना जब नैशनल लेवल के लिए दिल्ली आईआईटी में अपना प्रदर्शन देने जा रही थी तभी रीना की प्रिंसिपल को नैशनल इन्नोवेशन फाउंडेशन का फ़ोन आया कि रीना का चयन जापान जाने के लिए हो गया है।
बाइट...
रीना 19 अप्रैल को जापान जा रही हैं। रीना के इस अविष्कार को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान जाएगा। ये छत्तीसगढ़ राज्य और देश दोनों के लिए गर्व की बात है।


Conclusion:
Last Updated : Mar 22, 2019, 1:06 PM IST
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