काफी दिनों से चल रही अटकलों के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने आखिरकार तीजनबाई पर फिल्म बनाने की पुष्टि कर दी है. नवाज ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. नवाज ने लिखा कि हमारे देश के लोक कला ने मुझे हमेशा से आकर्षित किया है. मेरी पत्नी आलिया सिद्दीकी अब तीजन बाई के सेल्युलाइड को परदे पर दिखाने जा रही हैं. पूरी टीम को शुभकामनाएं.
नवाज करेंगे प्रोड्यूस
नवाज इस फिल्म का निर्माण अपने प्रोडक्शन हाउस "मैजिक इफ फिल्म्स" के बैनक तले करेंगे. एक निर्माता के तौर पर उनकी यह दूसरी 70 एमएम की फिल्म होगी. बता दें कि इसके पहले नवाज ने मंटो फिल्म को प्रोड्यूस किया था. हालांकि नवाज पहले कई शॉर्ट फिल्म्स को प्रोड्यूस कर चुके हैं.
कास्ट पर चल रही चर्चा
बताया जाता है कि नवाज अपने थिएटर के दिनों से ही फोक और खासकर तीजन बाई के बड़े समर्थक रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस फिल्म को बनाने का सुझाव सबसे पहले उनकी पत्नी आलिया ने दिया था. इसके बाद नवाज और उनके दोनों भाइयों ने भी इस पर सहमति जाहिर की. हालांकि अभी फिल्म के कास्ट पर चर्चा चल रही है. देखना दिलचस्प होगा कि कौन अभीनेत्री इस फिल्म में काम करती है.
कौन है तीजन बाई
तीजन बाई अंतरराष्ट्रीय पंडवानी गायिका है. इन्हें पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है. तीजन यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली छत्तीसगढ़ की पहली कलाकार हैं. तीजन अपनी गायकी के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी जानी जाती है. साल 1980 में उन्होंने सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, टर्की, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मॉरिशस की यात्रा की और वहां पर प्रस्तुतियां दीं.
ऐसा रहा है सफर
भिलाई के गांव गनियारी में 24 अप्रैल 1953 में जन्मी तीजनबाई के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था. नन्हीं तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियां गाते-सुनाते, देखतीं और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियां याद होने लगीं. उनकी लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया.
इस तरह बदली परंपरा
13 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया. उस समय में महिला पंडवानी गायिकाएं केवल बैठकर गा सकती थीं जिसे वेदमती शैली कहा जाता है. पुरुष खड़े होकर कापालिक शैली में गाते थे. तीजनबाई वे पहली महिला थीं जिन्होंने कापालिक शैली में पंडवानी का प्रदर्शन किया.
मिले ये सम्मान
साल 1988 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री और 2003 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया. उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
इंदिरा भी थीं कायल
एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तबसे तीजनबाई का जीवन बदल गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया.