कोरबा: पूर्व गृहमंत्री और प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी लीडर ननकी राम कंवर ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने गुजारिश की है कि संविदा नियुक्ति की अवधि पूरी कर चुके उन आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए. जो आज भी कांग्रेस विचारधारा से ओतप्रोत हैं. उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर इन अधिकारियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस पर अधिकारियों के दुरुपयोग का आरोप: पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने सीएम को लेकर पत्र में उल्लेख किया है कि चुनाव कार्य में दुरुपयोग के लिए कांग्रेस सरकार ने अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद संविदा नियुक्ति दी थी, जो अब समाप्त हो चुकी है. पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने लिखा है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव 2023 में सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारियों को संविदा में लेकर उनका दुरुपयोग कर फिर से सत्ता में आना चाहते थी. ननकी ने जोर देकर कहा है कि इन अधिकारियों को तत्काल कार्यमुक्त किया जाना चाहिए. जो कि अब भी कांग्रेसी विचारधारा के अनुसार ही काम कर रहे हैं. ये भाजपा सरकार के लिए ठीक नहीं है.
पत्र में सौंपी है अधिकारियों की पूरी लिस्ट: ननकीराम ने सीएम विष्णुदेव साय को लिखे पत्र में अधिकारियों के नाम का उल्लेख भी किया है. जिसमें डीडी सिंह (सचिव, सामान्य प्रशासन), अशोक जुनेजा (डीजीपी, पुलिस), संजय पिल्ले (डीजीपी, जेल), अमृत खलखो (आईएएस, राजभवन) समेत अन्य शामिल हैं. जिनकी संविदा समाप्त करने का अनुरोध उन्होंने सीएम से किया है.
कंवर ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि तात्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव 2023 में अपने चहेते अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नियम विरुद्ध संविदा नियुक्ति दे दी. जिसमें एके अनंत (आदिम जाति कल्याण विभाग), राकेश चतुर्वेदी (लघु वनोपज संघ), जेएस राव (वन औषधि पादप बोर्ड), विवेक ढांड (अध्यक्ष, नवाचार आयोग), धनंजय देवांगन, एसएस बजाज, राय सिंह ठाकुर, एसपीएस श्रीवास्तव, डीएम अवस्थी, संजय शुक्ला इसके अतिरिक्त और भी अधिकारी कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति की गई है.
नियम विरुद्ध संविदा नियुक्ति देने के आरोप: कंवर ने लिखा है कि उपरोक्त सभी अधिकारी एवं कर्मचारी कांग्रेसी मानसिकता के हैं. कई पदों पर नियम न होने के बाद भी संविदा नियुक्ति दी गई है. कंवर ने इस संबंध में पूर्व में राज्यपाल, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रायपुर एवं मुख्य चुनाव आयोग नई दिल्ली को भी जानकारी दी थी. लेकिन उस समय इन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.