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कनकी में प्रवासी पक्षियों की दस्तक से मिला मानसून आगमन का संदेश

Migratory birds from Southeast Asia reached Korba: हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर प्रवासी पक्षी कोरबा के कनकी गांव पहुंच चुके हैं. अगले चार महीने तक ये एशियन ओपन बिल्ड स्टॉर्क पक्षी यहीं रहेंगे. प्रजनन काल पूरा होने के बाद अपने बच्चों को साथ लेकर वापस अपने बसेरे में चले जाएंगे.

Migratory birds started arriving in Kanki village
कनकी गांव में प्रवासी पक्षियों की दस्तक
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Published : May 24, 2022, 10:56 AM IST

Updated : May 24, 2022, 11:05 AM IST

कोरबा: मानसून के आगमन का संदेश लेकर खूबसूरत प्रवासी पक्षी दक्षिण पूर्व एशिया से जिले के गांव कनकी पहुंचने लगे हैं. वैसे तो कनकी कनकेश्वर धाम के नाम से भगवान शिव के लिए प्रख्यात है. लेकिन यहां दशकों से प्रवासी पक्षी भी प्रजनन के लिए आते हैं. हसदेव नदी का पानी और कनकी का पर्यावरण इन्हें खूब भाता है. तभी तो प्रवासी पक्षी मीलों का सफर तय कर कोरबा आते हैं. प्रवासी पक्षियों के पहुंचने के बाद से ही स्थानीय लोगों और किसानों के चेहरे भी खिल गए हैं. इनका आगमन एक तरह से मानसून के शुरू होने का संकेत होता है. (Migratory birds started arriving in Kanki village )

Migratory birds started arriving in Kanki village
प्रजनन के लिए पहुंचते हैं कनकी

प्राचीन शिव मंदिर के इर्द-गिर्द के पेड़ों पर निवास : कनकी की दूरी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर है. कनकी धाम प्राचीन शिव मंदिर के साथ ही प्रवासी पक्षियों के लिए भी मशहूर है. यहां ओपन बिल्ड् स्टॉर्क पक्षियों को मानसून के साथ ही खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है. गांव के लोगों का यह भी मानना है कि ये पक्षी सुख, समृद्धि और मानसून का संदेश लेकर आते हैं, इनकी तुलना ग्रामीण देवदूत से भी करते हैं.

Migratory birds started arriving in Kanki village
समृद्धि का प्रतीत है ये पक्षी

दक्षिण पूर्व एशिया से कनकी आते हैं पक्षी : जानकारों की मानें तो एशियन ओपन बिल्ड स्टॉर्क पक्षी (Asian open build stork bird) भारत उपमहाद्वीप के साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया के चीन, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया, म्यानमार, मलेशिया, फिलीपींस व सिंगापुर जैसे देशों में पाए जाते हैं. भारत में इन्हें घोंघिल कहा जाता है. यहां इनकी 20 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. कनकी में भी 4 से 5 प्रजातियों के पक्षी आते हैं. ये सभी दक्षिण पूर्व एशिया का लंबा सफर तय कर कोरबा पहुंचते हैं. यहां की आबोहवा व पर्यावरण उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

Migratory birds started arriving in Kanki village
दक्षिण पूर्व एशिया से पहुंचे कनकी

आंधी, बारिश ने भीषण गर्मी से पश्चिमोत्तर भारत को राहत दिलाई

पक्षियों को अपना दोस्त समझते हैं किसान: प्रवासी पक्षियों को किसान अपना दोस्त समझते हैं. देखने में तो यह खूबसूरत होते ही है. साथ ही साथ यह खेतों के लिए बेहद उपयोगी हैं. इन पक्षियों को इसलिए भी किसानों का मित्र कहा जाता है क्योंकि यह बड़ी तादात में गंदगी व आसपास के क्षेत्रों में फसलों में लगने वाले कीड़ों को अपना आहार बना लेते हैं. पक्षियों की तादाद इतनी ज्यादा है कि वह आसपास के खेतों से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को पूरी तरह से सफाचट कर जाते है. हालांकि बीते कुछ सालों में प्रवासी पक्षियों की तादाद कुछ कम जरूर हुई है.

Migratory birds started arriving in Kanki village
500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी पहुंचे कनकी

सितंबर तक रहता है प्रजनन काल : पक्षियों का प्रजनन काल जून-जुलाई से लेकर सितंबर और नवंबर तक माना जाता है. जिसके लिए वह कोरबा पहुंचते हैं. यह श्रीलंका और दक्षिण भारत में नवंबर से मार्च तक रहते हैं. कनकी में अपने प्रवास के दौरान प्रवासी पक्षी इमली, बरगद और पीपल के जिस पेड़ पर घोंसला बनाते हैं. अगले साल वापस लौटने पर वह उसी पेड़ पर आकर फिर से घोंसला बनाते हैं जहां पहले बनाया था.

Migratory birds started arriving in Kanki village
500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी पहुंचे कनकी

हजारों की तादात में कनकी पहुंचते हैं पक्षी : कनकी में हजारों की तादाद में पक्षी आते हैं. फिलहाल लगभग 500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी पहुंच चुके हैं. मानसून के शुरू होने तक इन पक्षियों के आने का सिलसिला जारी रहेगा. प्रवासी पक्षी मानसून के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक कनकी में अपने प्रजनन काल का पूरा समय बिताते हैं. जब इन पक्षियों के अंडों से बच्चे निकलकर उड़ने लायक हो जाते हैं. तब वह इन बच्चों को साथ लेकर वापस लौट जाते हैं.

कोरबा: मानसून के आगमन का संदेश लेकर खूबसूरत प्रवासी पक्षी दक्षिण पूर्व एशिया से जिले के गांव कनकी पहुंचने लगे हैं. वैसे तो कनकी कनकेश्वर धाम के नाम से भगवान शिव के लिए प्रख्यात है. लेकिन यहां दशकों से प्रवासी पक्षी भी प्रजनन के लिए आते हैं. हसदेव नदी का पानी और कनकी का पर्यावरण इन्हें खूब भाता है. तभी तो प्रवासी पक्षी मीलों का सफर तय कर कोरबा आते हैं. प्रवासी पक्षियों के पहुंचने के बाद से ही स्थानीय लोगों और किसानों के चेहरे भी खिल गए हैं. इनका आगमन एक तरह से मानसून के शुरू होने का संकेत होता है. (Migratory birds started arriving in Kanki village )

Migratory birds started arriving in Kanki village
प्रजनन के लिए पहुंचते हैं कनकी

प्राचीन शिव मंदिर के इर्द-गिर्द के पेड़ों पर निवास : कनकी की दूरी जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर है. कनकी धाम प्राचीन शिव मंदिर के साथ ही प्रवासी पक्षियों के लिए भी मशहूर है. यहां ओपन बिल्ड् स्टॉर्क पक्षियों को मानसून के साथ ही खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है. गांव के लोगों का यह भी मानना है कि ये पक्षी सुख, समृद्धि और मानसून का संदेश लेकर आते हैं, इनकी तुलना ग्रामीण देवदूत से भी करते हैं.

Migratory birds started arriving in Kanki village
समृद्धि का प्रतीत है ये पक्षी

दक्षिण पूर्व एशिया से कनकी आते हैं पक्षी : जानकारों की मानें तो एशियन ओपन बिल्ड स्टॉर्क पक्षी (Asian open build stork bird) भारत उपमहाद्वीप के साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया के चीन, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया, म्यानमार, मलेशिया, फिलीपींस व सिंगापुर जैसे देशों में पाए जाते हैं. भारत में इन्हें घोंघिल कहा जाता है. यहां इनकी 20 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. कनकी में भी 4 से 5 प्रजातियों के पक्षी आते हैं. ये सभी दक्षिण पूर्व एशिया का लंबा सफर तय कर कोरबा पहुंचते हैं. यहां की आबोहवा व पर्यावरण उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

Migratory birds started arriving in Kanki village
दक्षिण पूर्व एशिया से पहुंचे कनकी

आंधी, बारिश ने भीषण गर्मी से पश्चिमोत्तर भारत को राहत दिलाई

पक्षियों को अपना दोस्त समझते हैं किसान: प्रवासी पक्षियों को किसान अपना दोस्त समझते हैं. देखने में तो यह खूबसूरत होते ही है. साथ ही साथ यह खेतों के लिए बेहद उपयोगी हैं. इन पक्षियों को इसलिए भी किसानों का मित्र कहा जाता है क्योंकि यह बड़ी तादात में गंदगी व आसपास के क्षेत्रों में फसलों में लगने वाले कीड़ों को अपना आहार बना लेते हैं. पक्षियों की तादाद इतनी ज्यादा है कि वह आसपास के खेतों से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को पूरी तरह से सफाचट कर जाते है. हालांकि बीते कुछ सालों में प्रवासी पक्षियों की तादाद कुछ कम जरूर हुई है.

Migratory birds started arriving in Kanki village
500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी पहुंचे कनकी

सितंबर तक रहता है प्रजनन काल : पक्षियों का प्रजनन काल जून-जुलाई से लेकर सितंबर और नवंबर तक माना जाता है. जिसके लिए वह कोरबा पहुंचते हैं. यह श्रीलंका और दक्षिण भारत में नवंबर से मार्च तक रहते हैं. कनकी में अपने प्रवास के दौरान प्रवासी पक्षी इमली, बरगद और पीपल के जिस पेड़ पर घोंसला बनाते हैं. अगले साल वापस लौटने पर वह उसी पेड़ पर आकर फिर से घोंसला बनाते हैं जहां पहले बनाया था.

Migratory birds started arriving in Kanki village
500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी पहुंचे कनकी

हजारों की तादात में कनकी पहुंचते हैं पक्षी : कनकी में हजारों की तादाद में पक्षी आते हैं. फिलहाल लगभग 500 से ज्यादा प्रवासी पक्षी पहुंच चुके हैं. मानसून के शुरू होने तक इन पक्षियों के आने का सिलसिला जारी रहेगा. प्रवासी पक्षी मानसून के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक कनकी में अपने प्रजनन काल का पूरा समय बिताते हैं. जब इन पक्षियों के अंडों से बच्चे निकलकर उड़ने लायक हो जाते हैं. तब वह इन बच्चों को साथ लेकर वापस लौट जाते हैं.

Last Updated : May 24, 2022, 11:05 AM IST
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