कोरबा : B.Sc मैथ्स की पढ़ाई को लेकर लगातार कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन में कमी देखने को मिल रही है. हर साल मैथ्स पढ़ने वाले छात्रों की संख्या घटते जा रही है. इस साल भी जिले के 15 सरकारी कॉलेजों की कुल 61% सीटें खाली रह गईं. समय अवधि बढ़ने के बाद भी B.Sc फर्स्ट ईयर के लिए बच्चे आगे नहीं आए. ये आंकड़े केवल मैथ्स से B.Sc करने वाले छात्रों के हैं, जो चिंता का विषय है.
जिले के शासकीय कॉलेज जटगा में तो 90 की 90 सीटें खाली रह गईं हैं. इसी तरह केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें, मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें और बीडी महंत कॉलेज, पाली की पूरी 30 सीटें खाली रह गई हैं.
कॉलेजों में एडमिशन के आंकड़े
- शासकीय कॉलेज जटगा की 90 की 90 सीटें खाली रहीं.
- केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें खाली रहीं.
- मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें खाली रह गईं.
- पाली में मौजूद बीडी महंत कॉलेज की पूरी 30 सीटें खाली रह गईं.
- भैंसमा कॉलेज के 60 सीटों में मात्र 13 में छात्रों ने एडमिशन लिया. वहीं 47 सीटें खाली रह गईं.
- दीपका कॉलेज की 60 में से 5 सीटों में एडमिशन हुआ और 55 खाली रह गईं.
- करतला कॉलेज की 20 सीटों में से 7 पर छात्रों आए, वहीं 13 सीटें खाली रह गईं.
- कटघोरा के एमडीपी कॉलेज के 60 में 45 सीट पर बच्चे पहुंचे, मात्र 15 सीटें खाली रह गईं.
- कोरबा शहर के पीजी कॉलेज की 120 सीटों में से 105 पर छात्रों ने एडमिशन ले लिया, मात्र 15 सीटें खाली रह गईं.
- मिनीमाता कॉलेज की 60 में से 33 सीटें भरी, वहीं 27 खाली रह गईं.
- बरपाली कॉलेज की 60 में से मात्र 10 सीटें भरी लेकिन 50 खाली रह गईं.
- हरदीबाजार कॉलेज की 70 में से 50 सीटें में एडमिशन हुआ, 20 सीटें खाली रह गईं.
- जटगा शासकीय कॉलेज की 90 में से 90 सीटों पर नहीं हुआ एडमिशन.
- कटघोरा के जेबीडी कॉलेज की 10 में से 4 सीटों पर हुआ एडमिशन, 6 सीटें खाली रह गईं.
- अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज की 35 में से 27 सीटों पर एडमिशन हुआ, 8 सीटें खाली रह गईं.
- केएन कॉलेज के 120 सीटों में से मात्र 44 में स्टूडेंट पहुंचे, वहीं 76 सीटें खाली रह गईं.
- बीडी महंत कॉलेज की 30 में से 30 सीटें खाली रह गई.
इस तरह जिले की कुल 865 सीटों में से मात्र 343 सीटें ही भर पाई हैं और 522 सीटें खाली ही रह गईं.
'नौकरी नहीं मिलना बड़ी वजह'
मैथ्स के वरिष्ठ लेक्चरर सीएस शर्मा बताते हैं कि, 'मैथ्स में अरुचि एक छोटा पक्ष है. B.Sc करने वाले छात्रों को आजकल नौकरियां नहीं मिल रही हैं. जब सामान्य इंजीनियरिंग करने वाले बेरोजगार घूम रहे हैं तो B.Sc मैथ्स वालों का मनोबल गिरना लाजमी है'. उन्होंने ये भी कहा कि, 'पढ़ाई के स्तर में कोई कमी नहीं है. पढ़ाई के बाद उसमें भविष्य तलाशने वालों को खोखलापन नजर आने लगा है. आजकल बच्चे आसान विषय पढ़कर नौकरी पाने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, कठिन पढ़ाई कर खाली बैठना कोई नहीं चाहेगा'.