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कोरबा : B.Sc मैथ्स में स्टूडेंट्स नहीं ले रहे रुचि, इस साल खाली रह गईं 522 सीटें

ये आंकड़ा सिर्फ बीएससी कोर्स करने वाले छात्रों का है. जिले के सभी कॉलेजों से मिले आंकड़े के मुताबिक शहरी इलाकों में स्थिती उतनी गंभीर हीं है जितना ग्रामीण इलाकों में दिखाई पड़ रहा है.

छात्र.
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Published : Aug 7, 2019, 8:32 AM IST

कोरबा : B.Sc मैथ्स की पढ़ाई को लेकर लगातार कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन में कमी देखने को मिल रही है. हर साल मैथ्स पढ़ने वाले छात्रों की संख्या घटते जा रही है. इस साल भी जिले के 15 सरकारी कॉलेजों की कुल 61% सीटें खाली रह गईं. समय अवधि बढ़ने के बाद भी B.Sc फर्स्ट ईयर के लिए बच्चे आगे नहीं आए. ये आंकड़े केवल मैथ्स से B.Sc करने वाले छात्रों के हैं, जो चिंता का विषय है.

जिले के शासकीय कॉलेज जटगा में तो 90 की 90 सीटें खाली रह गईं हैं. इसी तरह केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें, मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें और बीडी महंत कॉलेज, पाली की पूरी 30 सीटें खाली रह गई हैं.

कॉलेजों में एडमिशन के आंकड़े

  • शासकीय कॉलेज जटगा की 90 की 90 सीटें खाली रहीं.
  • केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें खाली रहीं.
  • मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें खाली रह गईं.
  • पाली में मौजूद बीडी महंत कॉलेज की पूरी 30 सीटें खाली रह गईं.
  • भैंसमा कॉलेज के 60 सीटों में मात्र 13 में छात्रों ने एडमिशन लिया. वहीं 47 सीटें खाली रह गईं.
  • दीपका कॉलेज की 60 में से 5 सीटों में एडमिशन हुआ और 55 खाली रह गईं.
  • करतला कॉलेज की 20 सीटों में से 7 पर छात्रों आए, वहीं 13 सीटें खाली रह गईं.
  • कटघोरा के एमडीपी कॉलेज के 60 में 45 सीट पर बच्चे पहुंचे, मात्र 15 सीटें खाली रह गईं.
  • कोरबा शहर के पीजी कॉलेज की 120 सीटों में से 105 पर छात्रों ने एडमिशन ले लिया, मात्र 15 सीटें खाली रह गईं.
  • मिनीमाता कॉलेज की 60 में से 33 सीटें भरी, वहीं 27 खाली रह गईं.
  • बरपाली कॉलेज की 60 में से मात्र 10 सीटें भरी लेकिन 50 खाली रह गईं.
  • हरदीबाजार कॉलेज की 70 में से 50 सीटें में एडमिशन हुआ, 20 सीटें खाली रह गईं.
  • जटगा शासकीय कॉलेज की 90 में से 90 सीटों पर नहीं हुआ एडमिशन.
  • कटघोरा के जेबीडी कॉलेज की 10 में से 4 सीटों पर हुआ एडमिशन, 6 सीटें खाली रह गईं.
  • अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज की 35 में से 27 सीटों पर एडमिशन हुआ, 8 सीटें खाली रह गईं.
  • केएन कॉलेज के 120 सीटों में से मात्र 44 में स्टूडेंट पहुंचे, वहीं 76 सीटें खाली रह गईं.
  • बीडी महंत कॉलेज की 30 में से 30 सीटें खाली रह गई.

इस तरह जिले की कुल 865 सीटों में से मात्र 343 सीटें ही भर पाई हैं और 522 सीटें खाली ही रह गईं.

'नौकरी नहीं मिलना बड़ी वजह'

मैथ्स के वरिष्ठ लेक्चरर सीएस शर्मा बताते हैं कि, 'मैथ्स में अरुचि एक छोटा पक्ष है. B.Sc करने वाले छात्रों को आजकल नौकरियां नहीं मिल रही हैं. जब सामान्य इंजीनियरिंग करने वाले बेरोजगार घूम रहे हैं तो B.Sc मैथ्स वालों का मनोबल गिरना लाजमी है'. उन्होंने ये भी कहा कि, 'पढ़ाई के स्तर में कोई कमी नहीं है. पढ़ाई के बाद उसमें भविष्य तलाशने वालों को खोखलापन नजर आने लगा है. आजकल बच्चे आसान विषय पढ़कर नौकरी पाने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, कठिन पढ़ाई कर खाली बैठना कोई नहीं चाहेगा'.

कोरबा : B.Sc मैथ्स की पढ़ाई को लेकर लगातार कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन में कमी देखने को मिल रही है. हर साल मैथ्स पढ़ने वाले छात्रों की संख्या घटते जा रही है. इस साल भी जिले के 15 सरकारी कॉलेजों की कुल 61% सीटें खाली रह गईं. समय अवधि बढ़ने के बाद भी B.Sc फर्स्ट ईयर के लिए बच्चे आगे नहीं आए. ये आंकड़े केवल मैथ्स से B.Sc करने वाले छात्रों के हैं, जो चिंता का विषय है.

जिले के शासकीय कॉलेज जटगा में तो 90 की 90 सीटें खाली रह गईं हैं. इसी तरह केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें, मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें और बीडी महंत कॉलेज, पाली की पूरी 30 सीटें खाली रह गई हैं.

कॉलेजों में एडमिशन के आंकड़े

  • शासकीय कॉलेज जटगा की 90 की 90 सीटें खाली रहीं.
  • केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें खाली रहीं.
  • मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें खाली रह गईं.
  • पाली में मौजूद बीडी महंत कॉलेज की पूरी 30 सीटें खाली रह गईं.
  • भैंसमा कॉलेज के 60 सीटों में मात्र 13 में छात्रों ने एडमिशन लिया. वहीं 47 सीटें खाली रह गईं.
  • दीपका कॉलेज की 60 में से 5 सीटों में एडमिशन हुआ और 55 खाली रह गईं.
  • करतला कॉलेज की 20 सीटों में से 7 पर छात्रों आए, वहीं 13 सीटें खाली रह गईं.
  • कटघोरा के एमडीपी कॉलेज के 60 में 45 सीट पर बच्चे पहुंचे, मात्र 15 सीटें खाली रह गईं.
  • कोरबा शहर के पीजी कॉलेज की 120 सीटों में से 105 पर छात्रों ने एडमिशन ले लिया, मात्र 15 सीटें खाली रह गईं.
  • मिनीमाता कॉलेज की 60 में से 33 सीटें भरी, वहीं 27 खाली रह गईं.
  • बरपाली कॉलेज की 60 में से मात्र 10 सीटें भरी लेकिन 50 खाली रह गईं.
  • हरदीबाजार कॉलेज की 70 में से 50 सीटें में एडमिशन हुआ, 20 सीटें खाली रह गईं.
  • जटगा शासकीय कॉलेज की 90 में से 90 सीटों पर नहीं हुआ एडमिशन.
  • कटघोरा के जेबीडी कॉलेज की 10 में से 4 सीटों पर हुआ एडमिशन, 6 सीटें खाली रह गईं.
  • अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज की 35 में से 27 सीटों पर एडमिशन हुआ, 8 सीटें खाली रह गईं.
  • केएन कॉलेज के 120 सीटों में से मात्र 44 में स्टूडेंट पहुंचे, वहीं 76 सीटें खाली रह गईं.
  • बीडी महंत कॉलेज की 30 में से 30 सीटें खाली रह गई.

इस तरह जिले की कुल 865 सीटों में से मात्र 343 सीटें ही भर पाई हैं और 522 सीटें खाली ही रह गईं.

'नौकरी नहीं मिलना बड़ी वजह'

मैथ्स के वरिष्ठ लेक्चरर सीएस शर्मा बताते हैं कि, 'मैथ्स में अरुचि एक छोटा पक्ष है. B.Sc करने वाले छात्रों को आजकल नौकरियां नहीं मिल रही हैं. जब सामान्य इंजीनियरिंग करने वाले बेरोजगार घूम रहे हैं तो B.Sc मैथ्स वालों का मनोबल गिरना लाजमी है'. उन्होंने ये भी कहा कि, 'पढ़ाई के स्तर में कोई कमी नहीं है. पढ़ाई के बाद उसमें भविष्य तलाशने वालों को खोखलापन नजर आने लगा है. आजकल बच्चे आसान विषय पढ़कर नौकरी पाने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, कठिन पढ़ाई कर खाली बैठना कोई नहीं चाहेगा'.

Intro:B.Sc मैथ्स की पढ़ाई को लेकर लगातार कॉलेजों में भर्तियों में कमी देखने को मिल रही है। हर वर्ष मैथ्स पढ़ने वाले छात्रों की संख्या घटते जा रही है। इस वर्ष भी जिले के 15 सरकारी कॉलेजों की कुल 61% सीटें खाली रह गई। समय अवधि बढ़ने के बाद भी B.Sc फर्स्ट ईयर के लिए बच्चे आगे नहीं आए। ये आंकड़े केवल मैथ्स से B.Sc करने वाले छात्रों की है।


Body:जिस देश महान गणितज्ञ हुए और जिसने विश्व गणित में महत्वपूर्ण योगदान दिए, उसी देश में अब लगता है मैथ्स को लेकर अरुचि बढ़ते जा रही है। जिले के शासकीय कॉलेज जटगा में तो 90 की 90 सीटें खाली रह गई। इसी तरह केसी कॉलेज की पूरी 30 सीटें, मॉर्डन कॉलेज की पूरी 40 सीटें और बीडी महंत कॉलेज, पाली की पूरी 30 सीटें खाली रह गई।

भैंसमा कॉलेज 60(सीट) 13(भरी) 47(रिक्त)
दीपका कॉलेज 60 05 55
करतला कॉलेज 20 07 13
एमडीपी कटघोरा 60 45 15
पीजी कॉलेज कोरबा 120 105 15
मिनीमाता कॉलेज 60 33 27
बरपाली कॉलेज 60 10 50
हरदीबाजार 70 50 20
शा. कॉलेज जटगा 90 00 90
जेबीडी कटघोरा 10 04 06
अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज 35 27 08
केएन कॉलेज 120 44 76
केसीसी 30 00 30
मॉर्डन कॉलेज 40 00 40
बीडी महंत कॉलेज 30 00 30

कुल 865 343 522

ये आंकड़े ये बताते हैं कि शहर के बड़े कॉलेजों में हालात सामान्य हैं लेकिन फिर भी वहां भी कुछ सीटें खाली रह रही हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति बहुत बदतर है। कुछ कॉलेज बिल्कुल शून्य तो कुछ कॉलेजों में दर्जन भर बच्चे मुश्किल से भर पाए हैं। इसके अलावा इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी हालात ठीक नहीं है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी दाखिलों संख्या घटते जा रही है। इसे छात्रों की मैथ्स के प्रति अरुचि के तौर पर देखना गलत नहीं होगा।


Conclusion:मैथ्स के वरिष्ठ लेक्चरर सी एस शर्मा बताते हैं कि मैथ्स में अरुचि एक छोटा पक्ष है। उनका मानना है कि BSc करने वाले छात्रों को आजकल नौकरियां नहीं मिल रही है। जब सामान्य इंजीनियरिंग करने वाले बेरोजगार घूम रहे हैं तो BSc मैथ्स वालों का मनोबल गिरना लाज़मी है। उन्होंने यह भी कहा कि पढ़ाई के स्तर में कोई कमी नहीं है। पढ़ाई के बाद उसमें भविष्य तलाशने वालों को खोखलापन नजद आने लगा है। उनका यह भी कहना है कि आजकल बच्चे आसान विषय पढ़कर नौकरी पाने में ज़्यादा रुचि ले रहे हैं, कठिन पढ़ाई कर खाली बैठना कोई नहीं चाहेगा।

बाइट- चंद्र शेखर शर्मा, वरिष्ठ लेक्चरर, गणित
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