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Korba : महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम का दौरा, बांगो के हसदेव नदी का निरीक्षण

महानदी के जल को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच बीते 40 सालों से विवाद चल रहा है. इसे लेकर ओडिशा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विवाद का निपटारा करने केंद्रीय जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम का प्रदेश में 18 अप्रैल से दौरा चल रहा है. आज दूसरे चरण में 30 अप्रैल से टीम बिलासपुर संभाग के दौरे पर है.

Union Ministry of Water Resources
केंद्रीय जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम का दौरा
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Published : May 2, 2023, 2:31 PM IST

कोरबा : हसदेव बांगों बैराज का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम पहुंची. इस दौरान कोरबा कलेक्टर संजीव झा, पुलिस निरीक्षक यू उदय किरण, कटघोरा अपर कलेक्टर वीरेंद्र पाटले, पोंडी उपरोडा एसडीएम, तहसीलदार और जल संसाधन विभाग के आला अधिकारी मौजूद रहे. यहां टीम बिलासपुर के अरपा नदी के निरीक्षण करेगी.इसी के साथ टीम कोरबा के हसदेव नदी तथा रायगढ़ और जांजगीर चांपा का दौरा करेगी.


कब से चल रहा है मामला : आपको बता दें कि 1983 में शुरू हुआ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट के निर्देश पर महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया था. न्यायाधिक सुनवाई हो चुकी है, लेकिन विवाद का हल नहीं निकल पाया है. महानदी के जलस्तर को देखते हुए न्यायाधिकरण अब दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे का स्वरूप तलाश रहा है. ओडिशा सरकार ने 19 नवंबर 2016 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को नदी में जलस्तर घटने और नदी के नीचे की ओर सूखने की शिकायत की थी. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने के बाद विवाद सुलझाने के लिए टीम बनाई. केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2018 को एक न्यायाधिकरण का गठन किया था. टीम के सवालों का जवाब देने के लिए प्रदेश के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को चुना गया है. इस पूरे कार्यक्रम के दौरान कई बिंदुओं पर जलसंपदा से जुड़े पक्षों का अध्ययन किया जाएगा. इस आधार पर आगामी दिनों में महानदी जल विवाद को हर हाल में सुलझाने का प्रयास होगा.

ये भी पढ़ें - विकास की राह देख रहे हैं डूबान क्षेत्र के गांव

क्या है राज्य सरकार का दावा : छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के मुताबिक 25 अप्रैल 2023 को सेटेलाईट से ली गई तस्वीर और पिछले तीन वर्ष में इसी दिन ली गई सेटेलाईट तस्वीरों में हीराकुंड जलाशय में महानदी के प्रवाह व्यवस्था और उसके जलाशय के ऊपरी स्तर में लगभग कोई अंतर दिखाई नहीं दिया है. ओडिशा अभियांत्रिकी विभाग की प्रेस विज्ञप्ति दुर्भाग्यपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रसित है. यह विज्ञप्ति मुख्य अभियंता जैसे उच्चतम अधिकारी के कार्यालय से जारी की गई थी. जबकि यह प्रकरण न्यायालय के अधीन है. यह छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य के बीच महानदी जल विवाद समझौते संबंधी प्रोटोकाल का उल्लंघन है.

कोरबा : हसदेव बांगों बैराज का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम पहुंची. इस दौरान कोरबा कलेक्टर संजीव झा, पुलिस निरीक्षक यू उदय किरण, कटघोरा अपर कलेक्टर वीरेंद्र पाटले, पोंडी उपरोडा एसडीएम, तहसीलदार और जल संसाधन विभाग के आला अधिकारी मौजूद रहे. यहां टीम बिलासपुर के अरपा नदी के निरीक्षण करेगी.इसी के साथ टीम कोरबा के हसदेव नदी तथा रायगढ़ और जांजगीर चांपा का दौरा करेगी.


कब से चल रहा है मामला : आपको बता दें कि 1983 में शुरू हुआ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट के निर्देश पर महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया था. न्यायाधिक सुनवाई हो चुकी है, लेकिन विवाद का हल नहीं निकल पाया है. महानदी के जलस्तर को देखते हुए न्यायाधिकरण अब दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे का स्वरूप तलाश रहा है. ओडिशा सरकार ने 19 नवंबर 2016 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को नदी में जलस्तर घटने और नदी के नीचे की ओर सूखने की शिकायत की थी. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने के बाद विवाद सुलझाने के लिए टीम बनाई. केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2018 को एक न्यायाधिकरण का गठन किया था. टीम के सवालों का जवाब देने के लिए प्रदेश के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को चुना गया है. इस पूरे कार्यक्रम के दौरान कई बिंदुओं पर जलसंपदा से जुड़े पक्षों का अध्ययन किया जाएगा. इस आधार पर आगामी दिनों में महानदी जल विवाद को हर हाल में सुलझाने का प्रयास होगा.

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क्या है राज्य सरकार का दावा : छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के मुताबिक 25 अप्रैल 2023 को सेटेलाईट से ली गई तस्वीर और पिछले तीन वर्ष में इसी दिन ली गई सेटेलाईट तस्वीरों में हीराकुंड जलाशय में महानदी के प्रवाह व्यवस्था और उसके जलाशय के ऊपरी स्तर में लगभग कोई अंतर दिखाई नहीं दिया है. ओडिशा अभियांत्रिकी विभाग की प्रेस विज्ञप्ति दुर्भाग्यपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रसित है. यह विज्ञप्ति मुख्य अभियंता जैसे उच्चतम अधिकारी के कार्यालय से जारी की गई थी. जबकि यह प्रकरण न्यायालय के अधीन है. यह छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य के बीच महानदी जल विवाद समझौते संबंधी प्रोटोकाल का उल्लंघन है.

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