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कोरबा: देशव्यापी हड़ताल से पहले श्रम संगठन के पदाधिकारियों की बैठक

मजदूर नेताओं का मानना है कि सरकार कमर्शियल माइनिंग के जरिये कोल इंडिया के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर चुनिंदा उद्योग घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है. इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र जो देश की धरोहर है, उसे भी कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है. इन्हीं सभी मुद्दे को लेकर श्रम संगठन ने 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान किया गया है.

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श्रम संगठन के पदाधिकारियों की बैठक
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Published : Nov 18, 2020, 10:44 PM IST

कोरबा: 26 नवंबर को प्रस्तावित हड़ताल को लेकर बुधवार को एटक कार्यालय में संयुक्त श्रम संगठन के पदाधिकारियों की बैठक हुई. बैठक में सभी ट्रेड यूनियन की ज्यादा से ज्यादा सहभागिता को लेकर चर्चा हुई और रणनीति बनाई गई है. हड़ताल को सफल बनाने के लिए भी विस्तार से चर्चा की गई है.

भाजपा पर निशाना

बैठक की अध्यक्षता करते हुए दीपेश मिश्रा ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार सभी को साथ लेकर चलने का जो मुखौटा अपने पहले कार्यकाल 2014-19 में पहनी थी, अपने दूसरे कार्यकाल में उसे उतारकर फेंक दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब मांग की कमी के चलते अर्थव्यवस्था हर पैमाने पर काफी सुस्त है, सरकार व्यापार करने में आसानी के नाम पर गलत नीतियों को जारी रखा है. इसके कारण व्यापक दरिद्रता की स्थिति और आर्थिक संकट गहरा गया है.

NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध, बस्तर सांसद ने मजदूर संगठन को दिया समर्थन

बीजेपी सरकार को निशाने पर लेते हुए दीपेश मिश्रा ने कहा कि सरकार ने विपक्षी दलों की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम-विरोधी संसोधन को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित कर मजदूरों को गुलाम बनाने की श्रेणी में ला खड़ा किया है. इसी तरह बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 पर 12 मुख्यमंत्रियों के विरोध को अनदेखा कर इसे संसद में प्रस्तूत कर बिल को विधिवत लागू किए बिना सरकार बिजली वितरण नेटवर्क का निजीकरण शुरू कर दिया है.

कई मुद्दों पर है असहमति

मजदूर नेताओं का मानना है कि सरकार कमर्शियल माइनिंग के जरिये कोल इंडिया के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर चुनिंदा उद्योग घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है. इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र जो देश की धरोहर है, उसे भी कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है. इन्हीं सभी मुद्दे को लेकर श्रम संगठन ने 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान किया गया है. इस कड़ी में कोयला उद्योग में 100 फीसदी हड़ताल कामयाब करने के लिए प्रभावी रणनीति बनाई गई है.

कोरबा: 26 नवंबर को प्रस्तावित हड़ताल को लेकर बुधवार को एटक कार्यालय में संयुक्त श्रम संगठन के पदाधिकारियों की बैठक हुई. बैठक में सभी ट्रेड यूनियन की ज्यादा से ज्यादा सहभागिता को लेकर चर्चा हुई और रणनीति बनाई गई है. हड़ताल को सफल बनाने के लिए भी विस्तार से चर्चा की गई है.

भाजपा पर निशाना

बैठक की अध्यक्षता करते हुए दीपेश मिश्रा ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार सभी को साथ लेकर चलने का जो मुखौटा अपने पहले कार्यकाल 2014-19 में पहनी थी, अपने दूसरे कार्यकाल में उसे उतारकर फेंक दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब मांग की कमी के चलते अर्थव्यवस्था हर पैमाने पर काफी सुस्त है, सरकार व्यापार करने में आसानी के नाम पर गलत नीतियों को जारी रखा है. इसके कारण व्यापक दरिद्रता की स्थिति और आर्थिक संकट गहरा गया है.

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बीजेपी सरकार को निशाने पर लेते हुए दीपेश मिश्रा ने कहा कि सरकार ने विपक्षी दलों की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम-विरोधी संसोधन को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित कर मजदूरों को गुलाम बनाने की श्रेणी में ला खड़ा किया है. इसी तरह बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 पर 12 मुख्यमंत्रियों के विरोध को अनदेखा कर इसे संसद में प्रस्तूत कर बिल को विधिवत लागू किए बिना सरकार बिजली वितरण नेटवर्क का निजीकरण शुरू कर दिया है.

कई मुद्दों पर है असहमति

मजदूर नेताओं का मानना है कि सरकार कमर्शियल माइनिंग के जरिये कोल इंडिया के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर चुनिंदा उद्योग घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है. इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र जो देश की धरोहर है, उसे भी कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है. इन्हीं सभी मुद्दे को लेकर श्रम संगठन ने 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान किया गया है. इस कड़ी में कोयला उद्योग में 100 फीसदी हड़ताल कामयाब करने के लिए प्रभावी रणनीति बनाई गई है.

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