कोरबा पिछले कई सालों से प्रदूषण की मार झेल रहा है. बीच शहर में लगे संयंत्रों ने कोरबा को सबसे अधिक प्रदूषित किया है. एनजीटी के निर्देश के बाद प्रदेश के चार शहरों को पॉल्यूटेड इंडस्ट्रियल क्लस्टर में शामिल किया गया था, जिसमें उरला, सिलतरा, भिलाई और कोरबा शहर शामिल थे.
क्रिटिकली पॉल्यूटेड एरिया की सूची में ये है स्थान
पॉल्यूटेड इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाना प्रदूषण कम करने की एक कवायद थी. इसका असर अब देखने को मिल रहा है. साल 2009 में आईटी खड़गपुर द्वारा किए गए सीईपीआई (CEPI) गणना के आधार पर कोरबा को क्रिटिकली पॉल्यूटेड एरिया की सूची में पांचवे स्थान पर जगह मिली थी. इसके बाद प्रदूषण को कम करने की कवायद और तेज कर दी गई.
साल 2015 में फिर आईआईटी खड़गपुर द्वारा CEPI गणना के आधार पर अध्ययन और मॉनिटरिंग की गई, जिसमें कोरबा की रैंकिंग 27वीं आंकी गई. करीब 2 साल बाद 2017 में आईआईटी मुंबई द्वारा CEPI के आधार पर गणना की गई. आईआईटी मुंबई द्वारा की गई इस गणना की रिपोर्ट हाल ही में पर्यावरण कार्यालय के पास पहुंची, जिसमें कोरबा की रैंकिंग 44 दर्ज की गई. CEPI के आधार पर की गई गणना के तहत क्रिटिकली पॉल्यूटेड एरिया कहे जाने वाले कोरबा शहर की स्थिति में लगातार सुधार हुआ है.
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क्या कहते हैं क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी
क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी आरपी शिंदे ने बताया कि पिछले सालों में कोरबा शहर की स्थिति प्रदूषण के लिहाज से बेहद खराब थी, जिस वजह से नए उद्योग स्थापित करने पर पूर्ण पाबंदी थी. इस दौरान पर्यावरण विभाग ने मौजूद उद्योगों के साथ मिलकर कंजर्वेशन के कई काम किए हैं, जिसके तहत कोरबा की स्थिति में पहले से काफी सुधार है. मौजूदा स्थिति में अब नए उद्योग भी स्थापित किए जा सकते हैं.