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कस्टडी में युवक की मौत पर घिरी कोरबा पुलिस, 24 घंटे बाद परिजन को जानकारी देने का आरोप - कोरबा करतला थाना

पुलिस कस्टडी में युवक की मौत के बाद कोरबा पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.परिजन ने पुलिस पर तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाया है. युवक की बूढ़ी मां का कहना है कि उसे 24 घंटे बाद उसके बेटे के मौत की जानकारी दी गई.

Korba police accused of hiding facts in the death of young man in custody says victim family
कस्टडी में युवक की मौत
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Published : Jul 31, 2021, 7:22 PM IST

Updated : Jul 31, 2021, 9:20 PM IST

कोरबा: पुलिस कस्टटी में युवक की मौत पर कोरबा पुलिस घिर गई है. पूरे महकमे पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. कोरबा पुलिस पर स्थाई वारंटियों की तामीली का इस कदर दबाव है कि, वह किसी बीमार आरोपी को भी उठाकर आधी रात को थाने में बंद कर देते हैं. गिरफ्तारी के वक्त वारंटी के परिजनों तक को इसकी सूचना भी नहीं दी जाती. 29 जुलाई की रात को आदिवासी युवक हंसराम को पुलिस ने रात के 11 बजे गिरफ्तार किया. हैरानी वाली बात यह है कि गिरफ्तारी के वक्त पुलिस ने परिजनों को भी इसकी सूचना नहीं दी.आरोपी की बूढ़ी मां को इसकी सूचना अगले दिन भी नहीं दी गई. मौत के लगभग 24 घंटे बाद जब पुलिस मृतक की बूढ़ी मां को पोस्टमार्टम स्थल पर लेकर आई तब उसे रास्ते में बताया गया कि उसके बेटे की मौत हो चुकी है. जिसकी गिरफ्तारी 1 दिन पहले आधी रात को की गई थी

कस्टडी में युवक की मौत

बस्ती वालों से परिवार को मिली जानकारी

श्यांग थाना अंतर्गत आने वाले गांव के निवासी हंसराम राठिया पर 2015 में मारपीट की शिकायत करताला थाने में दर्ज थी.जमानत अर्जी पेंडिंग रह जाने की वजह से कोर्ट से स्थाई वारंट जारी हो चुका था. इन 6 सालों में पुलिस हंसाराम की गिरफ्तारी नहीं कर पाई , धाराएं सामान्य मारपीट की और जमानतीय थी. बावजूद इसके 29 जुलाई की रात को अचानक पुलिस ने हंसाराम को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन कोर्ट में पेश करने के पहले ही उसकी मौत हो जाती है.पुलिस की माने तो हंसाराम की तबीयत बिगड़ गई थी. अस्पताल ले जाने पर पता चला की खून की कमी, लो बीपी और पीलिया की शिकायत उसे थी. पुलिस ने बीमारी को ही मौत का कारण बताया है.दूसरा पहलू यह है कि हंसाराम की बूढ़ी मां और स्वयं हंसाराम, एक घर में निवास करते थे. मृतक हंसाराम की बीवी और एक पुत्र उससे अलग रहते हैं, परिवार के नाम पर कुल मिलाकर मां और बेटे ही मौजूदा एक घर मे निवासरत थे. हंसाराम के पिता का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है. जबकि हंसाराम का छोटा भाई दूसरे शहर में काम करता है.

उगाही का वीडियो वायरल होने के बाद उरला आरक्षक लाइन अटैच

हंसराम जब सुबह घर नहीं लौटा तब बूढ़ी मां ने पूछताछ की. तब बस्ती वालों ने उसे बताया कि हंसाराम को पुलिस ले गई है. ग्रामीण परिवेश में रहने वाली मृतक की मां मानकुंवर असहाय महसूस कर रही थी और उसे ज्यादा कुछ पता नहीं चल सका. 30 तारीख को भी पूरे दिन उसे कहीं से भी यह नहीं पता चला कि उसके पुत्र की मौत हो चुकी है. मान कुंवर ने बताया कि 31 जुलाई की सुबह जब पुलिस वाले उसे लेने आए और शव सौंपने के लिए पोस्टमार्टम कक्ष के पास लेकर गए, तब उसे रास्ते में बताया कि पुत्र की मौत हो गई है.

धमतरी में बाइक नहीं देने पर छोटे भाई ने बड़े भाई को उतारा मौत के घाट

पुलिस पर तथ्यों को छिपाने का आरोप

मृतक की मां मान कुंवर जब मीडिया के सवालों का जवाब दे रही थी. तब सवालों के बीच से ही महिला पुलिसकर्मी उसे अपने साथ ले गई. यह भी कहा कि बूढ़ी महिला कांप रही है गिर जाएगी, बीमारी से मौत हुई है. यही तो कह रही है. मौत की वजह कुछ और है? यह बात किसी ने भी नहीं कहीं थी. ऐसे में पुलिस कर्मियों का ऐसा बर्ताव कई सवालों को जन्म दे रहा है. इस तरह पुलिसकर्मी तथ्यों को छुपाने का भी प्रयास कर रहे हैं.

10 दिन से था बीमार हंसराम, पुलिस के ले जाने के बाद हुई मौत-परिजन

हंसराम की मां मान कुंवर ने कहा कि हंसाराम 10 दिन से बीमार था. गुरमा के किसी डॉक्टर से इलाज करा रहा था.उसे तेज खांसी आ रही थी. मान कुंवर से जब पूछा गया कि पुलिस कस्टडी में पुत्र की मौत हुई है, आपको क्या लगता है?तब वह निशब्द थी सिसकते हुए उसने यह कहा कि अब मैं क्या कहूं कि पुत्र की मौत कैसे हुई? लेकिन पुलिस बेटे को ले गई है तभी तो उसकी मौत हुई.

जिले में 3600 स्थाई वारंटियों के लिए बनाई गई है विशेष टीम

जिले में स्थाई वारंटियों के 3 हजार 600 प्रकरण लंबित हैं. जिनकी धरपकड़ और गिरफ्तारी के बाद न्यायालय में तामिली के लिए पुलिस अधीक्षक ने सब डिवीजन स्तर पर विशेष टीमों का गठन किया है. जोकि स्थाई वारंटियों को पकड़कर थानों को सुपुर्द कर रहे हैं. स्थाई वारंट के लंबित प्रकरणों को समाप्त करने का पुलिस पर बेहद दबाव है. युद्ध स्तर पर वारंट तामिली का काम पुलिस कर रही है.

पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंपा गया शव

पुलिस कस्टडी में मौत होने के बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के तहत निर्धारित प्रोटोकॉल में पोस्टमार्टम कराया जाता है. शनिवार को पूरे दिन पुलिस विभाग में गहमागहमी रही. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मजिस्ट्रेट की निगरानी के अंदर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को पूरा किया गया. जिसके बाद शव परिवार को सौंप दिया गया. हालांकि इस प्रकरण के कई सवाल अब भी सुलग रहे हैं. जिनका जवाब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मिलेगा.

ये है पूरा मामला

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर ने पुलिस की ओर से आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया है. जिसके अनुसार 29 जुलाई को हंसाराम राठिया पिता सुखसिंघ राठिया 30 साल निवासी ग्राम अलोग थाना सियांग को रात के 11 बजे करताला थाने में लाया गया. आरोपी पर मारपीट और गाली गलौज का आरोप था. जो जमानती धारा के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था. वारंट की तामीली के लिए सुबह जब आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाना था.इससे पहले उसने अपनी तबीयत खराब होने की बात पुलिस को बताई. जिसके बाद करतला के पुलिस स्टाफ वारंटी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करतला में इलाज के लिए ले गए. जहां वारंटी को खून की कमी, लो ब्लड प्रेशर और पीलिया होने की जानकारी चिकित्सक के द्वारा दी गई. इलाज के दौरान हंसाराम राठिया की मृत्यु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करतला में हो गई.

कोरबा: पुलिस कस्टटी में युवक की मौत पर कोरबा पुलिस घिर गई है. पूरे महकमे पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. कोरबा पुलिस पर स्थाई वारंटियों की तामीली का इस कदर दबाव है कि, वह किसी बीमार आरोपी को भी उठाकर आधी रात को थाने में बंद कर देते हैं. गिरफ्तारी के वक्त वारंटी के परिजनों तक को इसकी सूचना भी नहीं दी जाती. 29 जुलाई की रात को आदिवासी युवक हंसराम को पुलिस ने रात के 11 बजे गिरफ्तार किया. हैरानी वाली बात यह है कि गिरफ्तारी के वक्त पुलिस ने परिजनों को भी इसकी सूचना नहीं दी.आरोपी की बूढ़ी मां को इसकी सूचना अगले दिन भी नहीं दी गई. मौत के लगभग 24 घंटे बाद जब पुलिस मृतक की बूढ़ी मां को पोस्टमार्टम स्थल पर लेकर आई तब उसे रास्ते में बताया गया कि उसके बेटे की मौत हो चुकी है. जिसकी गिरफ्तारी 1 दिन पहले आधी रात को की गई थी

कस्टडी में युवक की मौत

बस्ती वालों से परिवार को मिली जानकारी

श्यांग थाना अंतर्गत आने वाले गांव के निवासी हंसराम राठिया पर 2015 में मारपीट की शिकायत करताला थाने में दर्ज थी.जमानत अर्जी पेंडिंग रह जाने की वजह से कोर्ट से स्थाई वारंट जारी हो चुका था. इन 6 सालों में पुलिस हंसाराम की गिरफ्तारी नहीं कर पाई , धाराएं सामान्य मारपीट की और जमानतीय थी. बावजूद इसके 29 जुलाई की रात को अचानक पुलिस ने हंसाराम को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन कोर्ट में पेश करने के पहले ही उसकी मौत हो जाती है.पुलिस की माने तो हंसाराम की तबीयत बिगड़ गई थी. अस्पताल ले जाने पर पता चला की खून की कमी, लो बीपी और पीलिया की शिकायत उसे थी. पुलिस ने बीमारी को ही मौत का कारण बताया है.दूसरा पहलू यह है कि हंसाराम की बूढ़ी मां और स्वयं हंसाराम, एक घर में निवास करते थे. मृतक हंसाराम की बीवी और एक पुत्र उससे अलग रहते हैं, परिवार के नाम पर कुल मिलाकर मां और बेटे ही मौजूदा एक घर मे निवासरत थे. हंसाराम के पिता का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है. जबकि हंसाराम का छोटा भाई दूसरे शहर में काम करता है.

उगाही का वीडियो वायरल होने के बाद उरला आरक्षक लाइन अटैच

हंसराम जब सुबह घर नहीं लौटा तब बूढ़ी मां ने पूछताछ की. तब बस्ती वालों ने उसे बताया कि हंसाराम को पुलिस ले गई है. ग्रामीण परिवेश में रहने वाली मृतक की मां मानकुंवर असहाय महसूस कर रही थी और उसे ज्यादा कुछ पता नहीं चल सका. 30 तारीख को भी पूरे दिन उसे कहीं से भी यह नहीं पता चला कि उसके पुत्र की मौत हो चुकी है. मान कुंवर ने बताया कि 31 जुलाई की सुबह जब पुलिस वाले उसे लेने आए और शव सौंपने के लिए पोस्टमार्टम कक्ष के पास लेकर गए, तब उसे रास्ते में बताया कि पुत्र की मौत हो गई है.

धमतरी में बाइक नहीं देने पर छोटे भाई ने बड़े भाई को उतारा मौत के घाट

पुलिस पर तथ्यों को छिपाने का आरोप

मृतक की मां मान कुंवर जब मीडिया के सवालों का जवाब दे रही थी. तब सवालों के बीच से ही महिला पुलिसकर्मी उसे अपने साथ ले गई. यह भी कहा कि बूढ़ी महिला कांप रही है गिर जाएगी, बीमारी से मौत हुई है. यही तो कह रही है. मौत की वजह कुछ और है? यह बात किसी ने भी नहीं कहीं थी. ऐसे में पुलिस कर्मियों का ऐसा बर्ताव कई सवालों को जन्म दे रहा है. इस तरह पुलिसकर्मी तथ्यों को छुपाने का भी प्रयास कर रहे हैं.

10 दिन से था बीमार हंसराम, पुलिस के ले जाने के बाद हुई मौत-परिजन

हंसराम की मां मान कुंवर ने कहा कि हंसाराम 10 दिन से बीमार था. गुरमा के किसी डॉक्टर से इलाज करा रहा था.उसे तेज खांसी आ रही थी. मान कुंवर से जब पूछा गया कि पुलिस कस्टडी में पुत्र की मौत हुई है, आपको क्या लगता है?तब वह निशब्द थी सिसकते हुए उसने यह कहा कि अब मैं क्या कहूं कि पुत्र की मौत कैसे हुई? लेकिन पुलिस बेटे को ले गई है तभी तो उसकी मौत हुई.

जिले में 3600 स्थाई वारंटियों के लिए बनाई गई है विशेष टीम

जिले में स्थाई वारंटियों के 3 हजार 600 प्रकरण लंबित हैं. जिनकी धरपकड़ और गिरफ्तारी के बाद न्यायालय में तामिली के लिए पुलिस अधीक्षक ने सब डिवीजन स्तर पर विशेष टीमों का गठन किया है. जोकि स्थाई वारंटियों को पकड़कर थानों को सुपुर्द कर रहे हैं. स्थाई वारंट के लंबित प्रकरणों को समाप्त करने का पुलिस पर बेहद दबाव है. युद्ध स्तर पर वारंट तामिली का काम पुलिस कर रही है.

पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंपा गया शव

पुलिस कस्टडी में मौत होने के बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के तहत निर्धारित प्रोटोकॉल में पोस्टमार्टम कराया जाता है. शनिवार को पूरे दिन पुलिस विभाग में गहमागहमी रही. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मजिस्ट्रेट की निगरानी के अंदर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को पूरा किया गया. जिसके बाद शव परिवार को सौंप दिया गया. हालांकि इस प्रकरण के कई सवाल अब भी सुलग रहे हैं. जिनका जवाब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मिलेगा.

ये है पूरा मामला

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर ने पुलिस की ओर से आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया है. जिसके अनुसार 29 जुलाई को हंसाराम राठिया पिता सुखसिंघ राठिया 30 साल निवासी ग्राम अलोग थाना सियांग को रात के 11 बजे करताला थाने में लाया गया. आरोपी पर मारपीट और गाली गलौज का आरोप था. जो जमानती धारा के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था. वारंट की तामीली के लिए सुबह जब आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाना था.इससे पहले उसने अपनी तबीयत खराब होने की बात पुलिस को बताई. जिसके बाद करतला के पुलिस स्टाफ वारंटी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करतला में इलाज के लिए ले गए. जहां वारंटी को खून की कमी, लो ब्लड प्रेशर और पीलिया होने की जानकारी चिकित्सक के द्वारा दी गई. इलाज के दौरान हंसाराम राठिया की मृत्यु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करतला में हो गई.

Last Updated : Jul 31, 2021, 9:20 PM IST
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