कोरबा : छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कोरबा औद्योगिक नगरी के साथ-साथ पर्यटन के लिहाज से भी खूबसूरत है. कोरबा जिले में सतरेंगा, देवपहरी, रानी झरिया, बुका, केंदई फॉल, चैतुरगढ़, नरसिंह गंगा, परसाखोला जैसे कई पिकनिक स्पॉट हैं. इन जगहों पर लोग छुट्टियां बिताने के लिए आते हैं.लेकिन इन पर्यटन स्थलों में कई बार सैलानियों के फंसने और जान से हाथ धोने के मामले भी सामने आ चुके हैं. इन सभी मामलों में से ज्यादातर सुरक्षा की अनदेखी के कारण हुए हैं.
जिला प्रशासन बारिश के समय पर्यटन स्थलों में ना जाने की अपील हर साल करता है.फिर भी सैलानी खतरा उठाते हुए जलप्रपात और नदियों के किनारे इकट्ठा हो जाते हैं. हाल ही में गोविंद झुंझ जलप्रपात में दो ऐसे हादसे हुए. जिसके बाद जिससे स्थानीय प्रशासन और पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन इसके बाद भी पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए गए हैं.
ईटीवी भारत ने लिया सुरक्षा का जायजा : ईटीवी भारत की टीम ने रजगामार के खूबसूरत जंगलों के समीप स्थित डूमरडीह में सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया. यह पर्यटन स्थल आसपास के क्षेत्र में काफी मशहूर है.डूमरडीह में पथरीले रास्तों से होते हुए पानी बहकर नदी में मिलता है.जिसे देखने के लिए आसपास के लोग बड़ी तादाद में यहां पहुंचते हैं. मानसून के मौसम में डूमरडीह का नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है.लेकिन शहर के पास होने के बाद भी यहां सुरक्षा के किसी तरह के कोई इंतजाम नहीं मिले. जबकि हर दिन इस जगह पर दो से तीन ग्रुप्स पिकनिक मनाने के लिए आते हैं.यहां पहुंचे पर्यटकों का भी मानना है कि सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए.
पिकनिक स्पॉट काफी खूबसूरत है. हरियाली और पानी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यहां अलग लग ग्रुप पिकनिक मनाने पहुंचते हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम मौजूद नहीं है. जबकि अन्य पर्यटन स्थलों पर काफी अच्छे इंतजाम किए जाते हैं. कम से कम एक गार्ड की तैनाती कर देते, जो लोगों से कहे की खतरनाक स्थान पर न जाएं. -मधु, सैलानी
पर्यटन स्थल में काफी गंदगी है. साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता. सुरक्षा के इंतजाम तो होने ही चाहिए. साथ ही साथ लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. उन्हें चाहिए कि वह अपनी जान को जोखिम में ना डालें. लापरवाही ना करें. -आलोक, सैलानी
सप्ताह भर पहले हुए दो हादसे : मशहूर पर्यटन स्थल देवपहरी में हाल ही में दो हादसे हुए थे. पहले हादसे में जांजगीर चांपा से आए 4 लोग नदी के बीच बने पैगोडा तक चले गए थे. अचानक नदी का जलस्तर बढ़ गया और सभी फंस गए. 8 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बड़ी मुश्किल से पर्यटकों का रेस्क्यू किया गया. तब जाकर उनकी जान बच पाई. इसके 2 दिन बाद देवपहरी में ही एक शिक्षक की डूबने से मौत हो गई थी, जिसका शव हादसे के 24 घंटे बाद बड़ी मुश्किल से बरामद किया गया था. दोनों ही मामलों में स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.