कोरबा: छत्तीसगढ़ में अच्छी बारिश होती है. मानसून में प्रदेश के कई शहरों और ग्रामीण इलाकों से जलभराव की खबरें आती हैं. शहर के छोटे-बड़े नाले-नालियों में बरसात का पानी लोगों के घरों में घुसता है. निवासी हर साल जिम्मेदारों से शिकायत करते हैं लेकिन हाल जस का तस बना रहता है. कोरबा नगर निगम क्षेत्र में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 50 नाले हैं. निगम ने बरसात से पहले प्री मानसून की तैयारी शुरू कर दी है. छोटे-बड़े नालों की सफाई की जा रही है, जिससे बरसात के वक्त जलभराव की स्थिति से निपटा जा सके.
ETV भारत ने जब स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने अपनी परेशानियां गिनाईं. लोगों का कहना है कि अगर नगर निगम सालभर लगातार साफ-सफाई कराता, तो बारिश का मौसम आने के पहले सफाई अभियान चलाने की जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती. लगातार सफाई कराने से नालों में कचरा भी नहीं भरता.
कई जगहों में होती है जलभराव की स्थिति
बरसात आने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. क्षेत्र में स्थित छोटे-बड़े नालों की सफाई के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिससे बरसात के पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके. नगर निगम के इलाकों में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां बरसात के मौसम में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है.
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पानी निकासी के लिए नहीं है अलग ड्रेनेज सिस्टम
टीपी नगर की मुख्य सड़क हो या फिर बुधवारी होते हुए घंटाघर तक पहुंचाने वाला मेन रोड. घंटेभर की बारिश से ये सभी जगह जलमग्न हो जाते हैं. जिस ड्रेनेज सिस्टम से बारिश के पानी की निकासी होती है, उन्हीं नालों से शहर के घरों का गंदा पानी भी गुजरता है. कोरबा में बारिश के पानी की निकासी के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि बारिश के दिनों में परेशानी बढ़ जाती है.
शहर के 46 वार्डों में 9 करोड़ का सफाई ठेका
नगर निगम क्षेत्र में 67 में से 46 वार्डों के लिए 9 करोड़ रुपए की राशि सफाई ठेकेदारों को आवंटित की गई थी. इसके बाद भी टीपी नगर से लेकर रिहायशी क्षेत्रों में भी सफाई के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है. जिसके कारण मानसून से पहले सफाई को लेकर विशेष अभियान की जरूरत पड़ती है.
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जोन स्तर के अफसरों को सौंपी गई जिम्मेदारी
निगम के 8 वार्ड NTPC, BALCO और SECL जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की कॉलोनियां हैं, जहां पहले से ही सफाई औद्योगिक उपक्रमों की तरफ से की जाती है. वहीं बचे हुए 13 वार्ड में निगम के नियमित ठेका कर्मी सफाई व्यवस्था संभालते हैं. यहां सफाई की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जोन स्तर के अफसरों को सौंपी गई है.
ताजा रेटिंग में मिला जीरो स्टार
केंद्र सरकार के तरफ से जारी स्वच्छता रैंकिंग में पिछली बार कोरबा नगर निगम को 3 स्टार मिले थे, लेकिन हाल ही में जारी ताजा रैंकिंग में निगम को जीरो स्टार मिले. निगम क्षेत्र में केंद्र स्तर की टीम ने क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था का जायजा लिया था. लोगों से भी फीडबैक लिया गया था. स्टार रेटिंग का निर्धारण 18 बिंदुओं के आधार पर होता है, कोरबा नगर निगम इस बार इन बिंदुओं पर खरा नहीं उतर पाया.
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निगम के विभिन्न क्षेत्रों में शिकायत के बाद भी सफाई व्यवस्था को गंभीरता से नहीं लिया जाता. कई बार नालों से निकली गंदगी को वहीं छोड़ दिया जाता है, जो सूखने के बाद बरसात में बहकर फिर से नालों में चली जाती है. कई बार रिहायशी क्षेत्रों में भी शिकायत के बाद भी गाड़ी नहीं पहुंचती.
जरूरत थी नाले की, बनाया गार्डन
शहर के वार्ड क्रमांक-8 सीतामढ़ी और डुग्गू क्षेत्र के वार्डवासियों का आरोप है कि उनके मोहल्लों में हर बरसात में जलजमाव की स्थिति निर्मित होती है. नाले का गंदा पानी घरों में घुस जाता है. हालांकि यहां काफी हद तक अतिक्रमण भी इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन लोगों का आरोप है कि कई बार मौका मुआयना करने के बावजूद नगर निगम ने यहां नाले का निर्माण नहीं कराया. जबकि इसके ठीक सामने एक करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से गार्डन बना दिया गया. गार्डन से वार्डवासियों को कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि गार्डन से ज्यादा उन्हें जरूरत नाले के निर्माण की थी.