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कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ कोरबा मजदूर यूनियन ने किया विरोध प्रदर्शन

कोयला खदानों के निजीकरण के फैसले के विरोध में कोरबा के मजदूर संगठन ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा.

korba labour union protests
कोरबा मजदूर यूनियन ने किया विरोध प्रदर्शन
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Published : May 22, 2020, 10:41 PM IST

कोरबा: देशभर के विभिन्न कोल खदानों पर निजीकरण का रास्ता केंद्र सरकार ने खोल दिया है. साथ ही शत-प्रतिशत FDI के अलावा कमर्शियल माइनिंग को भी हरी झंडी दे दी है. केंद्र सरकार के इस फैसले से मजदूर संगठन नाखुश हैं और लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.

कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ कोरबा मजदूर यूनियन का विरोध प्रदर्शन

केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में मजदूर संगठन HMS,एटक, इंटक, सीटू के प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन किया है. मजदूरों ने शुक्रवार को SECL कोरबा के मुख्य महाप्रबंधक के कार्यालय पहुंचकर इसका जमकर विरोध किया है. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा. इसे लेकर बिलासपुर में भी मजदूर यूनियन ने प्रदर्शन किया है.

कई मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

मजदूर यूनियन ने कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिंग और FDI रद्द किए जाने, श्रम कानूनों को रद्द किए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा हैं. HMS कोरबा के महामंत्री और अध्यक्ष सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग,खदानों के लीज ट्रांसफर और निजी क्षेत्रों को कोल आबंटित करने का फैसला लिया है.

प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

इसके अलावा श्रम कानूनों को भी बदल दिया है, जिसके बाद इस फैसले को वापस करने की मांग को लेकर शुक्रवार को चारों यूनियनों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किया हैं. साथ ही इस संबंध में प्रधानमंत्री के नाम महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान एटक नेता दीपेश मिश्रा, सीटू नेता जनक दास कुलदीप सहित अन्य उपस्थित थे.

कमर्शियल माइनिंग के लिए खोले गए कोयला सेक्टर

बता दें कि कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने की मुहिम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है. पीएम की घोषणा के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कोयला और खनिज सेक्टर में साहसिक सुधारों की घोषणा की. वित्त मंत्री ने कोयला सेक्टर को कमर्शियल माइनिंग के लिए खोल दिया है.

पढ़ें: कोल खदानों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ मजदूर यूनियन का विरोध-प्रदर्शन

'खत्म होगा सरकार का एकाधिकार'

वित्तमंत्री की इस घोषणा से कोयला सेक्टर में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा. इसका मतलब यह है कि अब कोयले का उपयोग सिर्फ सरकार ही तय नहीं करेगी, बल्कि कोयला उत्पादन करने वाली कंपनियां भी अपने फायदे के लिए कोयले का उत्पादन कर सकेंगी. कोयला खनन क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग को मंजूरी देते ही कोयला खान क्षेत्रों में मजदूर संगठनों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. देशभर के विभिन्न कोल खदानों के मजदूर यूनियन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.

कोरबा: देशभर के विभिन्न कोल खदानों पर निजीकरण का रास्ता केंद्र सरकार ने खोल दिया है. साथ ही शत-प्रतिशत FDI के अलावा कमर्शियल माइनिंग को भी हरी झंडी दे दी है. केंद्र सरकार के इस फैसले से मजदूर संगठन नाखुश हैं और लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.

कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ कोरबा मजदूर यूनियन का विरोध प्रदर्शन

केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में मजदूर संगठन HMS,एटक, इंटक, सीटू के प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन किया है. मजदूरों ने शुक्रवार को SECL कोरबा के मुख्य महाप्रबंधक के कार्यालय पहुंचकर इसका जमकर विरोध किया है. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा. इसे लेकर बिलासपुर में भी मजदूर यूनियन ने प्रदर्शन किया है.

कई मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

मजदूर यूनियन ने कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिंग और FDI रद्द किए जाने, श्रम कानूनों को रद्द किए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा हैं. HMS कोरबा के महामंत्री और अध्यक्ष सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग,खदानों के लीज ट्रांसफर और निजी क्षेत्रों को कोल आबंटित करने का फैसला लिया है.

प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

इसके अलावा श्रम कानूनों को भी बदल दिया है, जिसके बाद इस फैसले को वापस करने की मांग को लेकर शुक्रवार को चारों यूनियनों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किया हैं. साथ ही इस संबंध में प्रधानमंत्री के नाम महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान एटक नेता दीपेश मिश्रा, सीटू नेता जनक दास कुलदीप सहित अन्य उपस्थित थे.

कमर्शियल माइनिंग के लिए खोले गए कोयला सेक्टर

बता दें कि कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने की मुहिम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है. पीएम की घोषणा के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कोयला और खनिज सेक्टर में साहसिक सुधारों की घोषणा की. वित्त मंत्री ने कोयला सेक्टर को कमर्शियल माइनिंग के लिए खोल दिया है.

पढ़ें: कोल खदानों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ मजदूर यूनियन का विरोध-प्रदर्शन

'खत्म होगा सरकार का एकाधिकार'

वित्तमंत्री की इस घोषणा से कोयला सेक्टर में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा. इसका मतलब यह है कि अब कोयले का उपयोग सिर्फ सरकार ही तय नहीं करेगी, बल्कि कोयला उत्पादन करने वाली कंपनियां भी अपने फायदे के लिए कोयले का उत्पादन कर सकेंगी. कोयला खनन क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग को मंजूरी देते ही कोयला खान क्षेत्रों में मजदूर संगठनों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. देशभर के विभिन्न कोल खदानों के मजदूर यूनियन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.

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