कोरबा : ऊर्जाधानी के स्किल्ड प्रवासी मजदूरों के लिए खुशखबरी है. अब इन मजदूरों को जिले और राज्य से बाहर जाकर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि जिला प्रशासन ने ऐसे कुशल मजदूरों का डाटा तैयार करना शुरू कर दिया है जिसके जरिए मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार गृह जिले में काम मिलेगा.
सामान्य मजदूरों को तो मनरेगा में काम मिल जाएगा जिन्हें ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा, लेकिन जो स्किल्ड लेबर हैं, उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार मेहनताना मिल पाना बेहद कठिन हो गया है. अब राज्य शासन से मिले निर्देश पर जिला प्रशासन ने एक ऐसी कवायद शुरू की है, जिसके बाद स्किल्ड लेबर्स को उनकी योग्यता के अनुसार जिले में ही मेहनताना मिल सकेगा.
हर मजदूर की होगी स्किल मैपिंग
इस योजना के तहत अन्य राज्यों से जिले में लौटे मजदूरों की सूची बनाई जाएगी. जिसमें हर मजदूर की शत-प्रतिशत स्किल मैपिंग की योजना है. यह पता लगाया जाएगा कि कौन सा मजबूर किस तरह के काम में एक्सपर्ट है. कारपेंटर, फीटर, प्लंबर जैसी योग्यता रखने वाले मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार चिन्हांकित किया जाएगा.
स्थानीय उद्योगों से भी किया जाएगा संपर्क
जिले में पावर प्लांट से लेकर कई तरह के छोटे-बड़े उद्योग संचालित हैं. मजदूरों की स्किल मैपिंग कर लेने के बाद, प्रशासन द्वारा जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से उद्योगों से संपर्क किया जाएगा और उनसे यह पूछा जाएगा कि उन्हें किस तरह के स्किल्ड लेबर की आवश्यकता है. यदि उनकी आवश्यकता के अनुरूप ही योग्यता रखने वाला मजदूर जिले में मौजूद है, तो ऐसे मजदूर को संबंधित कंपनी में तत्काल रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.
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अन्य राज्यों में कार्यरत ऐसे मजदूर जोकि कोरबा के निवासी हैं. उनकी सूची तैयार कर ली गई है. प्रशासन की मानें तो उनके पास वर्तमान में 2700 स्किल्ड लेबर की सूची तैयार है. जिनकी स्किल मैपिंग कर ली गई है या काम लगातार जारी है. मजदूरों के जिले में लौटने का सिलसिला भी जारी ही है.
जिले के 10 हजार मजदूर अन्य राज्य में करते हैं काम
प्रशासन के जारी एक आंकड़े के अनुसार कोरबा जिले के लगभग 10 हजार मजदूर अन्य राज्य में कोई ना कोई काम कर रहे हैं. मजदूर अब भी लगातार कोरबा लौट रहे हैं. जिन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में रखा जा रहा है. मजदूरों के लौटने के क्रम में ही इनकी स्किल मैपिंग का काम भी चल रहा है. उसके लिए पंचायत स्तर पर भी जिम्मेदारी दी गई है.
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क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी करने के बाद ही मिलेगा काम
ऐसे मजदूरों को सबसे पहले क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में रखकर 14 दिन तक उनकी निगरानी की जा रही है. यदि वह संक्रमित नहीं हैं और क्वॉरेंटाइन सेंटर में 14 दिन बिताने के बाद होम क्वॉरेंटाइन की अवधि को पूरा कर लेने के बाद ही मजदूरों की स्किल मैपिंग की जाएगी. जिसके बाद उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें स्थानीय उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कवायद शुरू होगी.