कोरबा : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ (Russia Ukraine War) चुका है. यूक्रेन के नागरिक खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. वहीं यूक्रेन में भारत समेत अन्य देशों के लोग फंसे हुए हैं. अपनों के यूक्रेन में फंसे होने से यहां के लोग भी चिंता में हैं. जब दो देशों के बीच युद्ध होता है तो किस तरह के हालात पैदा हो जाते हैं, आम लोगों को किन विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ता है. इसका सहज अंदाजा आप ऊर्जाधानी कोरबा के यातायात विभाग में पदस्थ टीआई हरीश टांडेकर की हालत देखकर लगा सकते हैं. टांडेकर ने अपना पूरा जीवन लोगों की सुरक्षा में लगा दिया. लेकिन आज वह यूक्रेन में फंसी अपनी बेटी गीतिका टांडेकर की सुरक्षा के लिए खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं.
साल 2017 में एमबीबीएस करने यूक्रेन गई थी गीतिका
सीनियर टीआई हरीश टांडेकर की बेटी गीतिका (25 वर्ष) साल 2017 में एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गई थी. लेकिन तब किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि पढ़ाई के अंतिम वर्ष में युद्ध जैसे हालात बन जाएंगे और उन्हें कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल पाएगी. युद्ध के हालात और बेटी की सुरक्षा को लेकर चिंतित एक टीआई पिता अब भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि किसी तरह उनकी बेटी को सही-सलामत घर वापस लाया जाए. टांडेकर ने ईटीवी भारत से अपनी भावनाएं साझा कीं. इस दौरान वे काफी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक आये.
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बुरी तरह फंसे, 600 किलोमीटर की यात्रा के बाद भी नहीं मिली फ्लाइट
टांडेकर ने रुंधे गले से बताया कि आधे घंटे पहले ही बेटी से बात हुई थी. उनकी बेटी और उसके साथ वहां फंसे सभी लोग बेहद दहशत में हैं. बेटी से ठीक से बात भी नहीं हो पा रही. वे सभी ट्रेन से 600 किलोमीटर का सफर तय कर किसी तरह यूक्रेन के ओडेसा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे. लेकिन फ्लाइट ही कैंसिल हो गई. जहां वह इस वक्त मौजूद है, वहां सेना के बंकर राउंड लगा रहे हैं. रूस के सैनिक लगातार हमले कर रहे हैं. बच्चों के पास खाने-पीने की सामग्री भी बेहद सीमित है. चारों तरफ बमबारी हो रही है, पीने का पानी भी खत्म हो गया है. कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल पा रही है. जितने हेल्पलाइन नंबर यूक्रेन सरकार की ओर से जारी किये गए थे, वह काम नहीं कर रहे हैं. बेटी के साथ और भी जितने बच्चे वहां मौजूद हैं, वह सभी बेहद तनाव में हैं. पहले रोमानिया के रास्ते वापस आने की बात हुई थी लेकिन रोमानिया में भी दूतावास से कोई मदद नहीं मिल पा रही है.
यूनिवर्सिटी ने आने नहीं दिया, राष्ट्रपति ने दिलाया था शांति वार्ता की सफलता का भरोसा
युद्ध शुरू होने के पहले वहां से अपनी बेटी के निकल आने के सवाल पर टांडेकर ने कहा कि बच्चे तो युद्ध के पहले ही वहां से निकल जाना चाहते थे. लेकिन डेनिप्रो स्थित वहां के यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कहा कि यदि आप अभी यहां से चले जाते हो तो आपकी डिग्री अटक जाएगी. यहां से जाने के बाद आपको परीक्षा से भी वंचित कर दिया जाएगा. इसलिए आप चले जाते हैं तो अपनी रिस्क पर जाइए. एमबीबीएस की डिग्री नहीं मिलने के डर के कारण बच्चों ने तब यूक्रेन नहीं छोड़ा. यूनिवर्सिटी की ओर से यह भी कहा गया कि किसी भी हालत में यहां युद्ध नहीं होगा. राष्ट्रपति शांति वार्ता कर रहे हैं. आप लोग यहां पूरी तरह सुरक्षित हैं. इन सब बातों की वजह से बच्चे वहां से समय रहते नहीं निकल पाए.
भीषण गोलीबारी और सैनिकों के बीच फंसे हैं बच्चे
बच्चों की सुरक्षा के सवाल पर टांडेकर ने बताया कि बच्चे फिलहाल ओडेसा के एयरपोर्ट के समीप मौजूद हैं. वहां सैनिकों के बंकर तैनात हैं. लगातार गोलीबारी जारी है. कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहा है. इमरजेंसी के हालात हैं. कर्फ्यू लगा हुआ है. बच्चे एक साथ वहां पर ठहरे हुए हैं. दूसरे भारतीय बच्चे भी हैं, लेकिन सब अलग-अलग स्थान पर हैं. मेरी बेटी जहां है, वहां एक साथ करीब 30 से 35 बच्चे फंसे हुए हैं.
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हेल्पलाइन नंबर का काम नहीं करना दु:खद
मदद के प्रयासों के सवाल पर टांडेकर ने बताया कि जहां बच्चे ठहरे हैं, वह लगातार हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर रहे हैं. ईमेल भी कर रहे हैं, लेकिन न तो फोन कॉल रिसीव हो रहा है और न ही ईमेल का ही कोई रिप्लाई दिया जा रहा है. भारतीय दूतावास हो या यूक्रेन दूतावास कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. यह सबसे दु:खद पहलू है.
पत्नी ने दो दिन से नहीं खाया खाना, चिंता में डूबा है पूरा परिवार
घर व परिवार के माहौल पर चर्चा करते हुए टांडेकर ने बताया कि उन्हें दो बेटियां और एक बेटा है. एक बेटी यूक्रेन में फंसी हुई है. इस कारण पूरा परिवार चिंता में डूबा हुआ है. उनकी पत्नी ने दो दिन से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया है. सभी बेहद चिंतित हैं. सबसे ज्यादा दु:ख इस बात का है कि मैं खुद को असहाय महसूस कर रहा हूं. यहां रहकर मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा. लगातार हम टीवी पर नजर बनाए हुए हैं. बच्चों से जितनी भी थोड़ी बात हो रही है, उनसे खोज खबर ले रहे हैं. हम सभी बेहद घबराए हुए हैं. बस यही चाहते हैं कि किसी तरह बच्ची की वापसी हो जाए.
भारत सरकार से ठोस प्रयास की अपील
बेटी के सुरक्षित घर वापसी के लिए टांडेकर भारत सरकार से अपील कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ठोस प्रयास करे, जिससे सुरक्षित तरीके से बच्चे घर लौट आएं. इसके पहले उन्होंने यह भी बताया कि फ्लाइट की टिकट तीन बार कैंसिल हो चुकी है. दाम भी बढ़ा दिए गए हैं. टिकटों के दाम 30 से 50 हजार के बीच हो चुके हैं. टिकट के दाम अभी और भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में तीन बार टिकटों की बुकिंग कराई, तीनों बार फ्लाइट कैंसिल हुई और पैसे भी वापस नहीं हुए.