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SPECIAL: ये हैं हिंदुस्तान के पहले चित्रकार, जिन्होंने घोंघे पर उकेरी पूरी रामायण - टीएस सिंहदेव

हरि सिंह यूं तो कई बार अपने हुनर से लोगों का ध्यान आकर्षित करते आए हैं लेकिन इस बार उन्होंने 35 घोंघों पर रामायण लिखकर एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है.

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Published : Apr 1, 2019, 3:45 PM IST

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कोरबा: अब तक आपने कई तरह की चित्रकारी देखी होगी. लेकिन जिस चित्रकारी को हम आपको दिखाएंगे, यकीन मानिए कि वो आपके लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होगा. जिले के एक खास कलाकार ने चित्रकारी के माध्यम से सम्पूर्ण रामायण को चंद घोंघे पर गढ़ दिया है.

बिना किसी पहेली को बुझाये हम आपको ले चलते हैं इस कलाकार के पास और दिखाते हैं घोंघों पर रामायण का अद्भुत सफर. ये जनाब हैं हरि सिंह क्षत्रीय जिनके एक नायाब हुनर ने काफी प्रशंसा बटोरी है. हरि सिंह यूं तो कई बार अपने हुनर से लोगों का ध्यान आकर्षित करते आए हैं लेकिन इस बार उन्होंने 35 घोंघों पर रामायण लिखकर एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है. इससे हिंदुस्तान में चित्रकारी को एक नई दिशा मिली है.

हरि सिंह बताते हैं कि घोंघे अक्सर लोगों के बगीचों को खराब कर देतें हैं, जिस वजह से लोग उन्हें मार देते हैं. बाद में ये घोंघे ऐसे ही पड़े-पड़े खराब हो जाते हैं. यहीं से उन्हें घोंघे को चित्रकारी में उपयोग करने का विचार आया. अयोध्या विवाद और तुलसीदास द्वारा हिंदी-भोजपुरी और वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में रामायण लिखे जाने से उन्हें प्रेरणा मिली कि भाषा के अलावा चित्रकारी से भी रामायण का वर्णन किया जा सकता है. और उन्होंनें घोंघों का उपयोग कर अपने कला को निखारना शुरू कर दिया.

सिर्फ घोंघे ही नहीं, हरि सिंह क्षत्रीय सूप आर्ट के लिए भी प्रसिद्ध हैं. ये कला भी अब तक हिंदुस्तान में कहीं नहीं आजमाई गयी है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी कोरवा की मदद करने की सोच के साथ उन्होंने सूपे पर चित्रकारी शुरू की. इस सूपे की चित्रकारी से पहाड़ी कोरवा को बहुत फायदा पहुंचा.

सूप आर्ट की इस कला के कायल पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव भी हैं. हरि सिंह ने अपने हाथों से दोनों ही नेताओं की तस्वीर सूपे पर तैयार की और एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें सूपे पर बनी तस्वीर भेंट कर चुके हैं.

अब क्षत्रिय समाज के लोगों ने उनसे वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर बनाकर उन्हें भेंट करने को कहा है. हरि सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में ये तस्वीर भी बनकर तैयार हो जाएगी और जिसे मुख्यमंत्री को भेंट भी किया जाएगा.

सचमुच चित्रकारी के ऐसे उदाहरण देखकर कहा जा सकता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती. इंसान की अच्छी सोच से प्रगति के नए आयाम हासिल किए जा सकते हैं.

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कोरबा: अब तक आपने कई तरह की चित्रकारी देखी होगी. लेकिन जिस चित्रकारी को हम आपको दिखाएंगे, यकीन मानिए कि वो आपके लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होगा. जिले के एक खास कलाकार ने चित्रकारी के माध्यम से सम्पूर्ण रामायण को चंद घोंघे पर गढ़ दिया है.

बिना किसी पहेली को बुझाये हम आपको ले चलते हैं इस कलाकार के पास और दिखाते हैं घोंघों पर रामायण का अद्भुत सफर. ये जनाब हैं हरि सिंह क्षत्रीय जिनके एक नायाब हुनर ने काफी प्रशंसा बटोरी है. हरि सिंह यूं तो कई बार अपने हुनर से लोगों का ध्यान आकर्षित करते आए हैं लेकिन इस बार उन्होंने 35 घोंघों पर रामायण लिखकर एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है. इससे हिंदुस्तान में चित्रकारी को एक नई दिशा मिली है.

हरि सिंह बताते हैं कि घोंघे अक्सर लोगों के बगीचों को खराब कर देतें हैं, जिस वजह से लोग उन्हें मार देते हैं. बाद में ये घोंघे ऐसे ही पड़े-पड़े खराब हो जाते हैं. यहीं से उन्हें घोंघे को चित्रकारी में उपयोग करने का विचार आया. अयोध्या विवाद और तुलसीदास द्वारा हिंदी-भोजपुरी और वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में रामायण लिखे जाने से उन्हें प्रेरणा मिली कि भाषा के अलावा चित्रकारी से भी रामायण का वर्णन किया जा सकता है. और उन्होंनें घोंघों का उपयोग कर अपने कला को निखारना शुरू कर दिया.

सिर्फ घोंघे ही नहीं, हरि सिंह क्षत्रीय सूप आर्ट के लिए भी प्रसिद्ध हैं. ये कला भी अब तक हिंदुस्तान में कहीं नहीं आजमाई गयी है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी कोरवा की मदद करने की सोच के साथ उन्होंने सूपे पर चित्रकारी शुरू की. इस सूपे की चित्रकारी से पहाड़ी कोरवा को बहुत फायदा पहुंचा.

सूप आर्ट की इस कला के कायल पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव भी हैं. हरि सिंह ने अपने हाथों से दोनों ही नेताओं की तस्वीर सूपे पर तैयार की और एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें सूपे पर बनी तस्वीर भेंट कर चुके हैं.

अब क्षत्रिय समाज के लोगों ने उनसे वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर बनाकर उन्हें भेंट करने को कहा है. हरि सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में ये तस्वीर भी बनकर तैयार हो जाएगी और जिसे मुख्यमंत्री को भेंट भी किया जाएगा.

सचमुच चित्रकारी के ऐसे उदाहरण देखकर कहा जा सकता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती. इंसान की अच्छी सोच से प्रगति के नए आयाम हासिल किए जा सकते हैं.

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