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केंद्रीय कोयला मंत्री से मिले राजस्व मंत्री और सांसद, सड़क निर्माण की मंजूरी के लिए सौंपा ज्ञापन

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Published : Jul 31, 2020, 5:46 PM IST

कोरबा में संचालित कोयला खदान और पवार प्लांट से निकलने वाला धुआं लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. कोरबा के लोग बीमार हो रहे हैं वहीं सड़कों की हालत भी लगातार खस्ताहाल होते जा रही है. इन सभी मुद्दों को लेकर जस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से चर्चा की है.

meeting with union coal minister
केंद्रीय कोयला मंत्री के साथ बैठक

कोरबा: छत्तीसगढ़ के प्रवास पर रायपुर आए केंद्रीय कोयला एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी से राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और सांसद ज्योत्सना महंत ने मुलाकात की. इस दौरान दोनों ने खास तौर पर कोरबा जिले की समस्याओं को लेकर केंद्रीय कोयला मंत्री से चर्चा की. जयसिंह अग्रवाल ने प्रहलाद जोशी के सामने SECL क्षेत्र की बदहाल हो चुकी सड़कों के पुनर्निर्माण के लिए 84 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत करने का प्रस्ताव रखा है.

सांसद ज्योत्सना महंत ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि SECL से होने वाले कोयला परिवहन से जिलों की सड़कों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है और यही कारण है कि इस क्षेत्र की सड़कों के साथ- साथ कोरबा की सड़कें भी पूरी तरह बदहाल हो गई हैं. इससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है. इसके साथ ही राजस्व मंत्री और सांसद ने प्रहलाद जोशी को SECL की खदानों से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया. इसके साथ ही अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई.

कोरबा रहा है उपेक्षित

एसईसीएल कोरबा क्षेत्र में देश की दो सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा और कुसमुंडा मौजूद हैं. इन क्षेत्रों से कोयला तो निकाला जाता है, लेकिन विकास के मामले में यह जिला हमेशा उपेक्षित रहा है.

पढ़ें: SPECIAL: 'काले हीरे' की चमक से धुंधली हो रही ऊर्जाधानी की तस्वीर, बीमार हो रहे लोग

देश की 3 सबसे बड़ी खदान कोरबा में

बता दें कि एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान कोरबा में है. इसके अलावा कुल मिलाकर 14 खदानें कोरबा में हैं. जिसका उत्खनन 1960 की दशक से शुरू हुआ था, जो अब भी बदस्तूर जारी है. इसकी कीमत यहां के लोग अपने स्वास्थ्य से चुका रहे हैं. कोयला उत्खनन के घातक परिणाम सामने आएंगे. देश की 3 सबसे बड़ी खदान गेवरा, दीपका और कुसमुंडा कोरबा जिले में स्थापित हैं. देशभर में ऐसा कोई दूसरा जिला नहीं है, जहां एक ही स्थान पर इतनी अधिक मात्रा में कोयले की खदानें संचालित हों. देशभर की अन्य खदानें सालभर में 400 मिलियन टन कोयला प्रतिवर्ष उत्पादन करती हैं. इसमें से लगभग 120 मिलियन टन कोयले का सालाना उत्पादन कोरबा में होता है. यह आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. खदानों के विस्तार की प्रक्रिया लगातार जारी है.

कोयला और बिजली के लिए कई राज्य कोरबा पर निर्भर

देश के कई राज्यों को उनके पावर प्लांट चलाने के लिए कोयले की आपूर्ति हो, या फिर कोरबा में बनने वाली बिजली. कोयला और बिजली दोनों ही के लिए देश के कई राज्य कोरबा पर निर्भर है. इन राज्यों में छत्तीसगढ़ से लगे हुए महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित गुजरात, तेलंगाना जैसे देश के दक्षिण और पश्चिम के और भी कई राज्य पूरी तरह से आश्रित हैं. बावजूद इसके यहां विकास की गति बेहद धीमी है.

कोरबा: छत्तीसगढ़ के प्रवास पर रायपुर आए केंद्रीय कोयला एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी से राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और सांसद ज्योत्सना महंत ने मुलाकात की. इस दौरान दोनों ने खास तौर पर कोरबा जिले की समस्याओं को लेकर केंद्रीय कोयला मंत्री से चर्चा की. जयसिंह अग्रवाल ने प्रहलाद जोशी के सामने SECL क्षेत्र की बदहाल हो चुकी सड़कों के पुनर्निर्माण के लिए 84 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत करने का प्रस्ताव रखा है.

सांसद ज्योत्सना महंत ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि SECL से होने वाले कोयला परिवहन से जिलों की सड़कों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है और यही कारण है कि इस क्षेत्र की सड़कों के साथ- साथ कोरबा की सड़कें भी पूरी तरह बदहाल हो गई हैं. इससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है. इसके साथ ही राजस्व मंत्री और सांसद ने प्रहलाद जोशी को SECL की खदानों से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया. इसके साथ ही अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई.

कोरबा रहा है उपेक्षित

एसईसीएल कोरबा क्षेत्र में देश की दो सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा और कुसमुंडा मौजूद हैं. इन क्षेत्रों से कोयला तो निकाला जाता है, लेकिन विकास के मामले में यह जिला हमेशा उपेक्षित रहा है.

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देश की 3 सबसे बड़ी खदान कोरबा में

बता दें कि एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान कोरबा में है. इसके अलावा कुल मिलाकर 14 खदानें कोरबा में हैं. जिसका उत्खनन 1960 की दशक से शुरू हुआ था, जो अब भी बदस्तूर जारी है. इसकी कीमत यहां के लोग अपने स्वास्थ्य से चुका रहे हैं. कोयला उत्खनन के घातक परिणाम सामने आएंगे. देश की 3 सबसे बड़ी खदान गेवरा, दीपका और कुसमुंडा कोरबा जिले में स्थापित हैं. देशभर में ऐसा कोई दूसरा जिला नहीं है, जहां एक ही स्थान पर इतनी अधिक मात्रा में कोयले की खदानें संचालित हों. देशभर की अन्य खदानें सालभर में 400 मिलियन टन कोयला प्रतिवर्ष उत्पादन करती हैं. इसमें से लगभग 120 मिलियन टन कोयले का सालाना उत्पादन कोरबा में होता है. यह आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. खदानों के विस्तार की प्रक्रिया लगातार जारी है.

कोयला और बिजली के लिए कई राज्य कोरबा पर निर्भर

देश के कई राज्यों को उनके पावर प्लांट चलाने के लिए कोयले की आपूर्ति हो, या फिर कोरबा में बनने वाली बिजली. कोयला और बिजली दोनों ही के लिए देश के कई राज्य कोरबा पर निर्भर है. इन राज्यों में छत्तीसगढ़ से लगे हुए महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित गुजरात, तेलंगाना जैसे देश के दक्षिण और पश्चिम के और भी कई राज्य पूरी तरह से आश्रित हैं. बावजूद इसके यहां विकास की गति बेहद धीमी है.

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