कोरबा : जयसिंह ने भारत सरकार की हिस्सेदारी वाली वेदान्त रिसोर्सेज द्वारा संचालित भारत एल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड यानी बालको पर नियम विरूद्ध जनविरोधी काम करने का आरोप लगाया है. पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है.जिसमें जयसिंह अग्रवाल ने लिखा कि राखड़ डैम भर चुके हैं. इसकी वजह उसे खाली करने ब्लेक स्मिथ नामक कंपनी को राख परिवहन का काम मिला. साल 2021 से 2023 तक 1 लाख 20 हजार टन से अधिक राख का परिवहन हुआ. जिसके लिए 200 करोड़ का भुगतान हुआ.
कंपनी ने गलत जगह डंप किया राखड़ : अग्रवाल के मुताबिक निर्धारित लो-लाईन एरिया की जगह और परिवहन भाड़ा बचाने के लिए कंपनी ने राखड़ सड़क मार्ग से खुले डम्परों के माध्यम से ढोया.इसके बाद आसपास के खुले क्षेत्र और जंगलों में ले जाकर राखड़ को डंप कर दिया.जिसके कारण आसपास की हवा प्रदूषित हो रही है. एनजीटी के नियमों का पालन कराने की प्रमुख जवाबदारी बालको प्रबंधन की है. लेकिन खुली छूट मिल जाने की वजह से क्षेत्र के लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
जांच कराने की मांग : पूर्व मंत्री ने पत्र में सवाल उठाया है कि नियम विरुद्ध राख परिवहन के लिए आखिर छूट किसके संरक्षण में दी गयी. जो अब भी जारी है, कई शिकायतों के बाद भी अब तक कंपनी के खिलाफ कोई प्रभावशाली कार्यवाही क्यों नहीं हुई. परदे के पीछे से किस तरह के प्रभावशाली ताकतें काम कर रही हैं, इसकी निष्पक्ष जांच केन्द्र और राज्य सरकार करें, ताकि आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे गुनहगारों का चेहरा सामने आ सके.
कितना होता है राख का उत्पादन ?: बालको कम्पनी का आधिपत्य ग्रहण करने के बाद वेदांत प्रबंधन ने संयंत्र विस्तार योजना के अन्तर्गत एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता में वृद्धि का लक्ष्य है. जिसके लिए 540 और 1200 मेगावॉट सहित कुल 1740 मेगावॉट क्षमता के दो विद्युत संयंत्रों को स्थापित किया गया है. बालको से लगभग 15 हजार टन राख प्रतिदिन की दर से हर साल लगभग 55 लाख टन राखड़ का निकल रहा है.
जयसिंह अग्रवाल में खत में लिखा कि छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री की हैसियत से 2022 में बालको प्रबंधन के ऐश डाइक का दौरा किया.उस समय बालको प्रबंधन के उच्चाधिकारियों को मौके पर बुलवाकर मनमानी करने से मना किया गया था.जिसके लिए प्रबंधन को एक माह का समय दिया गया.लेकिन बालको प्रबंधन ने इस ओर किसी भी तरह की रूचि नहीं दिखाई.