कोरबा: कोरबा विधानसभा से तीन बार के विधायक और कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल ने हार का पूरा ठीकरा भूपेश बघेल पर फोड़ा है. जयसिंह ने कहा कि इसबार का चुनाव पूरी तरह से केंद्रीकृत रहा. मंत्रियों के अधिकार छीन लिए गए. सिर्फ एक शक्ति ने पूरे चुनाव में काम किया. चुन चुनकर सुनियोजित षड्यंत्र के तहत ऐसे अधिकारियों को नियुक्त किया गया, जिन्होंने विकास कार्य को बाधित किया. इससे ना सिर्फ कोरबा जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस डैमेज हुई. सरकार की छवि खराब हुई. जिसका खामियाजा कोरबा ही नहीं पूरे प्रदेश में कांग्रेस को भुगतना पड़ा. सरकार चली गई और भाजपा को बड़ा जनादेश मिला.
2018 में बड़ा जनादेश मिला, जिसका हम सम्मान नहीं कर सके : जयसिंह ने कहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से चुनाव लड़ा था. वो साल 2023 के चुनाव में नहीं दिखा. जय सिंह ने कहा "साल 2018 के चुनाव के समय हम विपक्ष में थे. प्रदेश अध्यक्ष बघेल भूपेश बघेल थे. टीएस सिंहदेव के पास भी अहम जिम्मेदारी थी. तब हम एकजुट थे. जिसके कारण 2018 में बड़ा जनादेश मिला था. लेकिन हम उसका सम्मान नहीं कर पाए. सरकार बनने का बाद बीते 5 साल जो सरकार चलाने का तरीका था, वह एक ही स्थान पर केंद्रीकृत हो गया. मंत्रियों को जो अधिकार मिलने चाहिए थे. वह नहीं मिल पाए, सिर्फ एक स्थान से सेंट्रलाइज होकर कुछ चुनिंदा लोगों के साथ 5 साल तक काम किया गया. जिससे सरकार के कामकाज पर आरोप लगे. खींचतान का माहौल बना. इन बातों का नुकसान कांग्रेस को हुआ. "
योजनाएं सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र तक सीमित, शहर में सूपड़ा साफ : आगे जयसिंह ने कहा "प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में कांग्रेस बुरी तरह से पिछड़ गई. सरकार ने किसानों पर ध्यान दिया, बेशक उनके काम भी हुए. लेकिन ऐसा लगता है कि, हमारे मुखिया को कहीं ना कहीं यह विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्र की सारी सीट जीत लेंगे तो शहरी क्षेत्र की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन यह भी गलत साबित हुआ. शहरों की सीट भाजपा को मिल गई, शहरी क्षेत्र की सारी सीटों पर कांग्रेस को हार मिली."
षड्यंत्र के तहत कोरबा के विकास कार्यों को रोका, सीएम को लिखा था पत्र: कोरबा विधानसभा की हार पर चर्चा करते हुए जयसिंह ने कहा "कोरबा विधानसभा में मैंने कई काम कराया. जो काम नहीं हुए, उसके लिए सार्वजनिक उपक्रमों से सहायता ली. एसईसीएल से सड़क के लिए 199 करोड़ रुपये सैंक्शन कराए.इसके बाद एनटीपीसी से करोड़ों का फंड विकास करने के लिए सैंक्शन कराया. लेकिन कलेक्टर ने इस फंड को रोक दिया, काम नहीं होने दिया.
पूर्व सीएम ने नौकरशाहों पर कई आरोप लगाए. अग्रवाल ने कहा "ऐसे अधिकारियों को चुन- चुनकर कोरबा भेजा गया जिन्होंने काम में रुकावट पैदा की. कई चालू कामों को रोक दिया गया. जितने भी अधिकारी यहां भेजे गए, एसपी अभिषेक मीणा, भोजराम पटेल, उदय किरण से लेकर कलेक्टर रानू साहू और संजीव झा ने माहौल खराब किया. सरकार के खिलाब एंटी इनकंबेंसी पैदा की. षड्यंत्र के तहत अपराध भी कराए गए और उन सब का खामियाजा कांग्रेस भुगत रही है."
मैंने तब सीएम भूपेश बघेल को पत्र भी लिखा था. जिसमें मैंने इस बात का जिक्र किया कि इस तरह के भ्रष्ट अधिकारियों को कोरबा से नहीं हटाया गया और यही कार्यशाली रही तो हम कोरबा की चारों सीट हार जाएंगे, पहले हम कोरबा की चार में से तीन सीट जीत लेते थे. लेकिन इस बार हम सिर्फ एक ही सीट जीते हैं."- जय सिंह अग्रवाल, पूर्व मंत्री, छत्तीसगढ़
बिना नाम लिए सौम्या चौरसिया की पोल खोली : पूर्व मंत्री जयसिंह यही नहीं रुके. उन्होंने कहा "व्यवस्था इतनी केंद्रीयकृत हो गई थी कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक टीम काम कर रही थी. डिप्टी कलेक्टर स्तर की एक अधिकारी मंत्रियों और बड़े-बड़े नेताओं को संचालित करने का कोशिश करती थी. विधायकों के लेटर पैड पर मंत्रियों की शिकायत करवाई जाती थी. जबकि विधायकों को पता ही नहीं होता था कि उनके लेटर पैड पर क्या लिखा गया है. इस तरह के कार्य किए गए, कई गलत काम हुए. इसपर पार्टी को मंथन करना चाहिए.विचार विमर्श किया जाना चाहिए. कभी भी व्यवस्था को ऐसे तानाशाही पूर्वक नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को न सौंपा जाए, जिससे कि पार्टी बर्बादी के कगार पर पहुंच जाए. जिस तरह से सरकार का संचालन किया गया, उसका परिणाम आज हम सभी के सामने है."
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस इससे उबरने का प्रयास कर रही है. चूक कहां हुई इस पर मंथन हो रहा है. शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी प्रमुखों के साथ बैठक हुई. इधर कोरबा के टीपी नगर स्थित कांग्रेस कार्यालय में भी समीक्षा बैठक की गई जहां कार्यकर्ताओं ने अपनी पीड़ा पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के सामने निकाली.