कोरबा: कोरबा सीएमएचओ के फरमान के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भारी फजीहत का सामना करना पड़ा. जिले में निजी अस्पतालों में दूसरे जिले के कोरोना संक्रमितों के इलाज पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश जारी करने का अधिकार कलेक्टर या सीएमएचओ को नहीं है. आदेश पर कोर्ट ने काफी नाराजगी जाहिर की. जिसके बाद महाधिवक्ता ने CMHO का ये आदेश वापस लेने की बात कोर्ट से कही. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने की. मामले पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को डिस्पोज ऑफ कर दिया.
कोरबा के निजी अस्पतालों को दूसरे जिले के कोरोना मरीजों के इलाज से पहले लेनी होगी इजाजत
क्या है पूरा मामला ?
कोरबा CMHO ने 23 अप्रैल को आदेश जारी कर कहा था कि जिले के किसी अस्पताल में दूसरे जिले के कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए कलेक्टर के अनुमति लेनी होगी. CMHO के इस आदेश के खिलाफ अकलतरा के भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में सौरभ सिंह ने कहा कि CMHO का ये आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ है. इसके साथ ही CMHO या किसी भी जिले के कलेक्टर को इस तरह का आदेश जारी करने का कोई भी अधिकार नहीं है. पूरे मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट में मौजूद महाधिवक्ता सतीश चंद वर्मा ने कहा कि कोरबा में बढ़ते मरीजों को देखते हुए ऐसा आदेश जारी किया गया था. जिसपर कोर्ट ने काफी नाराजगी जाहिर की. इसके बाद महाधिवक्ता ने CMHO का ये आदेश वापस लेने की बात कोर्ट से कही.