कोरबा: सतरेंगा (satrenga) में विश्वस्तरीय सुविधाएं डेवलप कर वॉटर स्पोर्ट्स, कॉटेज (Water Sports, Cottage) सहित गोआ की तर्ज पर क्रूस उतारने की तैयारी है. सतरेंगा को पहले रह चुके कलेक्टर किरण कौशल के कार्यकाल में मनोरम स्थल का स्वरूप दिया गया था. करोड़ों रुपये के विकास कार्य यहां किए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने भी सतरेंगा की जमकर तारीफ की थी. यहां सीएम अपने मंत्रियों के साथ ठहर चुके हैं. सतरेंगा के कार्यों को अब और भी विस्तार दिया जाना है. कोरबा कलेक्टर रानू साहू पर्यटन विभाग में काम करने के बाद जिले का कार्यभार ग्रहण करने वाली आईएस हैं.
उनकी भी इस प्रोजेक्ट में खासी दिलचस्पी है. लेकिन विडंबना यह है कि सतरेंगा तक जाने वाले 37 किलोमीटर के पहुंच मार्ग का एक दशक से मरम्मत का काम रूका पड़ा है. लोग हिचकोले खाते हुए जर्जर सड़क से सतरेंगा पहुंचते हैं. ऐसे में यहां हेलीकॉप्टर उतारने की बात साकार होगी या फिर नहीं, इस पर प्रश्न चिन्ह लगा है. वर्तमान की कांग्रेस सरकार हो या पिछली भाजपा सरकार, किसी ने भी यहां गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में लोगों को अब सतरेंगा में हेलीकॉप्टर का इंतजार है.
सड़क के लिए अब भी करना होगा साल भर का इंतजार
सतरेंगा जाने वाले सड़क का निर्माण एक दशक पहले हुआ था. सड़क अब लगभग पूरी तरह से उखड़ चुकी है. स्थानीय प्रशासन की किरकिरी होने के बाद हाल फिलहाल में ही रूमगड़ा से सतरेंगा तक के 37 किलोमीटर सड़क बनाने का टेंडर जारी किया गया है. जिसकी लागत 23 करोड़ 37 लाख रुपये हैं.
डीसी कंस्ट्रक्शन को सौंपी गई काम पूरा करने की जिम्मेदारी
अब सतरेंगा तक पहुंचने के लिए 5.5 मीटर चौड़ीकरण डामरीकृत सड़क का निर्माण किया जाएगा. जिसे पूरा करने की अवधि 10 फरवरी 2022 निर्धारित है. सतरेंगा को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए नए सिरे से विकसित किया जा रहा है. लेकिन इनके पहले भी सालों से यह स्थान जिले वासियों के लिए एक मनोरम स्थल रहा है. यहां तक पहुंचने के लिए पहली बार 2003-04 में 13 करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सिंगल लेन सड़क का निर्माण किया गया था. इसके बाद बीच-बीच में मरम्मत का काम भी होता रहा. सड़क जब पूरी तरह से उखड़ गई तब 2013 में इसका नवीनीकरण नए सिरे से किया गया.
भारी-भरकम वाहनों के आवागमन से 2013 में निर्मित सड़क उखड़ने लगी. सड़क निर्माण के 5 साल तक उसके संधारण की जिम्मेदारी भी संबंधित ठेकेदार की रहती है. लेकिन इस बीच ठेकेदार की गारंटी विभाग में फंस गई. पेंच ऐसा फंसा कि 2013 के बाद सतरेंगा पहुंचने के लिए वाले सड़क की मरम्मत तक नहीं हो सकी.
इस बीच सड़क पर भारी वाहनों का दबाव बढ़ा. सड़क लगभग पूरी तरह से उखड़ गई. वर्तमान में सतरेंगा पहुंचने के मार्ग में गड्ढे ही गड्ढे हैं. दो पहिया वाहन चालकों के लिए यहां तक पहुंचना और भी कठिनाइयों भरा है. बारिश में कीचड़ तो सूखे मौसम में धूल के गुबार से निपटना पड़ता है.
अब हेलीकॉप्टर का दिखा रहे ख्वाब
रूमगड़ा से लेकर सतरेंगा तक के 37 किलोमीटर की सड़क को सरकार पिछले लगभग एक दशक में मरम्मत कर सुधार नहीं पाई है. लेकिन अब यहां हेलीकॉप्टर से पर्यटन का ख्वाब दिखाया जा रहा है. हाल ही में पर्यटन मंडल के अध्यक्ष के तौर पर पदभार संभालने के बाद अटल श्रीवास्तव ने सतरेंगा में पर्यटन के लिए हेलीकॉप्टर उतारे जाने की बात कही है. इसके लिए तैयारियां भी चल रही हैं. लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा कि एक दशक से जहां सड़क का निर्माण नहीं हो पाया, वहां हेलीकॉप्टर उतरता है या फिर नहीं.